ETV Bharat / state

पर्यावरणविद सनी उपाध्याय से जानिए क्यों जरूरी है 'जैव विविधता' - Information on biodiversity

अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस जैव विविधता के थीम पर मनाया गया. इस विषय पर ETV भारत को छत्तीसगढ़ के घनघोर जंगल भोरमदेव की वादियों में जीवन बिता रहे पर्यावरणविद सनी उपाध्याय ने संदेश दिया है.

environmentalist-sunny-upadhyay
पर्यावरणविद सनी उपाध्याय
author img

By

Published : Jun 6, 2020, 5:30 AM IST

Updated : Jun 6, 2020, 1:44 PM IST

रायपुर: लॉकडाउन का पर्यावरण की सेहत पर साकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है. कोरोना काल में हुए लॉकडाउन से प्रदूषण में कमी देखने को मिली है. साल 2020 का अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस जैव विविधता के थीम पर मनाया गया. छत्तीसगढ़ के जंगल और जलवायु विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं का स्थाई आवास रहा है. खास-तौर पर अचानकमार का जंगल अपने जैव विविधता के लिए वन प्रेमियों के बीच खासा लोकप्रिय है. इस विषय पर ETV भारत को छत्तीसगढ़ के घनघोर जंगल भोरमदेव की वादियों में जीवन बिता रहे पर्यावरण विद सनी उपाध्याय ने संदेश दिया है. उन्होंने जंगल के कुछ मनमोहक तस्वीरें भी हमसे साझा की हैं.

पर्यावरणविद सनी उपाध्याय का संदेश

बता दें पूरी दुनिया के जंगलों में घूमने के बाद कई भाषाओं के जानकार सनी उपाध्याय आज भोरमदेव के जंगल में बैगा आदिवासियों के बीच जीवन का लुत्फ उठा रहे हैं. साथ ही जंगल में वॉटर बॉडी रिचार्ज के साथ ही जीव-जन्तुओं के संरक्षण में अपना योगदान दे रहे हैं. संदेश में उन्होंने अपील की है कि पर्यावरण को बचाने की जिम्मेदारी हम सब की है. हम सभी को मिलकर इस ओर प्रयास करना होगा.

पढ़ें: SPECIAL: PPE किट और प्रॉपर सफाई के साथ सिर्फ सीरियस मरीजों का इलाज कर रहे हैं डेंटिस्ट

क्या है जैव विविधता
शब्द से ही साफ है कि अलग अलग जीवों के नाम उनके रहन-सहन के तरीके अलग होते हैं. उनका जीवन काल को जैव विविधता कहा जाता है. इनका पूरे पर्यावरण पर बढ़ा प्रभाव होता है. छोटे-छोटे कीटों से लेकर बड़े जानवर और छोटे-छोटे पौधों से लेकर विशालकाय वृक्ष सभी इसके हिस्से होते हैं. सनी बताते हैं कि हमें घने जंगलों की जरूरत है ताकि ये विविधता बनी रहे. प्रदूषण और शिकार के कारण कई जीव आज हमारे बीच नहीं हैं, या बहुत कम विलुप्ति की कागार पर हैं. हमें इस ओर अब ध्यान देने की जरूरत है.

रायपुर: लॉकडाउन का पर्यावरण की सेहत पर साकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है. कोरोना काल में हुए लॉकडाउन से प्रदूषण में कमी देखने को मिली है. साल 2020 का अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस जैव विविधता के थीम पर मनाया गया. छत्तीसगढ़ के जंगल और जलवायु विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं का स्थाई आवास रहा है. खास-तौर पर अचानकमार का जंगल अपने जैव विविधता के लिए वन प्रेमियों के बीच खासा लोकप्रिय है. इस विषय पर ETV भारत को छत्तीसगढ़ के घनघोर जंगल भोरमदेव की वादियों में जीवन बिता रहे पर्यावरण विद सनी उपाध्याय ने संदेश दिया है. उन्होंने जंगल के कुछ मनमोहक तस्वीरें भी हमसे साझा की हैं.

पर्यावरणविद सनी उपाध्याय का संदेश

बता दें पूरी दुनिया के जंगलों में घूमने के बाद कई भाषाओं के जानकार सनी उपाध्याय आज भोरमदेव के जंगल में बैगा आदिवासियों के बीच जीवन का लुत्फ उठा रहे हैं. साथ ही जंगल में वॉटर बॉडी रिचार्ज के साथ ही जीव-जन्तुओं के संरक्षण में अपना योगदान दे रहे हैं. संदेश में उन्होंने अपील की है कि पर्यावरण को बचाने की जिम्मेदारी हम सब की है. हम सभी को मिलकर इस ओर प्रयास करना होगा.

पढ़ें: SPECIAL: PPE किट और प्रॉपर सफाई के साथ सिर्फ सीरियस मरीजों का इलाज कर रहे हैं डेंटिस्ट

क्या है जैव विविधता
शब्द से ही साफ है कि अलग अलग जीवों के नाम उनके रहन-सहन के तरीके अलग होते हैं. उनका जीवन काल को जैव विविधता कहा जाता है. इनका पूरे पर्यावरण पर बढ़ा प्रभाव होता है. छोटे-छोटे कीटों से लेकर बड़े जानवर और छोटे-छोटे पौधों से लेकर विशालकाय वृक्ष सभी इसके हिस्से होते हैं. सनी बताते हैं कि हमें घने जंगलों की जरूरत है ताकि ये विविधता बनी रहे. प्रदूषण और शिकार के कारण कई जीव आज हमारे बीच नहीं हैं, या बहुत कम विलुप्ति की कागार पर हैं. हमें इस ओर अब ध्यान देने की जरूरत है.

Last Updated : Jun 6, 2020, 1:44 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.