रायपुर: भगवान राम जिस वन पथ पर चलकर मर्यादा पुरूषोत्तम कहलाए आज छत्तीसगढ़ में वह वन पथ देश-दुनिया के लिए खुल गया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM bhupesh baghel)ने मां कौशल्या की नगरी चंदखुरी में राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना (Ram Van Gaman Tourism Circuit Project) के प्रथम चरण का लोकार्पण किया. इस अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय भव्य समारोह का शुभारंभ करते हुए सीएम ने कहा कि भगवान श्री राम (lord Ram) का छत्तीसगढ़ से बड़ा गहरा नाता है. भगवान श्री राम छत्तीसगढ़ियों के जीवन और मन में रचे बसे हैं. सीएम ने कहा कि छत्तीसगढ़िया लोग, भगवान श्री राम को माता कौशल्या के राम, भांचा राम, वनवासी राम, शबरी के स्नेही और दयालु राम के रूप में जानते और मानते हैं. कार्यक्रम की अध्यक्षता लोक निर्माण, गृह एवं पर्यटन मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू ने की.
मुख्यमंत्री ने चंदखुरी (Chandkhuri) में नवरात्रि पर्व के दौरान तीन दिन तक आयोजित होने वाले रंगारंग सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा कि यहां तीन दिन तक छत्तीसगढ़ सहित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कलाकार स्तर के कलाकार प्रस्तुति देंगे. सीएम ने राम वन गमन पर्यटन परिपथ के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी और कहा कि कोरिया जिले के सीतामढ़ी में हरचौका से लेकर सुकमा के रामाराम तक लगभग 2260 किलोमीटर का राम वन गमन पर्यटन परिपथ विकसित किया जा रहा है.
तीन दिवसीय धार्मिक और रंगारंग कार्यक्रम
लोक निर्माण, गृह और पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू ने छत्तीसगढ़ में भगवान श्री राम के वन गमन के स्मृति को संजोने के लिए राम वन गमन पर्यटन परिपथ के विकास एवं निर्माण के लिए सीएम भूपेश बघेल को पूरे देश के राम और रामायण से जुड़े लोगों की ओर से बधाई दी.माता कौशल्या मंदिर और राम वन गमन पथ सौन्दर्यीकरण लोकार्पण समारोह के पहले दिन लोक कलाकरों और मुंबई के कलाकारों ने रंगा-रंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी.
छत्तीसगढ़ को भगवान राम (Lord Ram) का ननिहाल कहा जाता है. अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने की तैयारी चल रही है, तो छत्तीसगढ़ में सरकार राम वन गमन पथ को विकसित कर रही है. राम वन गमन पथ के पहले चरण में चंदखुरी शामिल है. चंदखुरी को माता कौशल्या का जन्मस्थान कहा जाता है. यहां मां कौशल्या का मंदिर है. जो सातवीं शताब्दी का माना जाता है.
करीब 126 तालाब वाले इस गांव में सात तालाबों से घिरे जलसेन तालाब के बीच प्राचीन द्वीप पर यह मंदिर बना है. यहां भगवान श्रीराम की माता कौशल्या की प्रतिमा (Statue of Lord Shri Ram mother Kaushalya) स्थापित है और रामलला उनकी गोद में विराजमान हैं. ऐसी मान्यता है कि एक ही पत्थर में उभरी माता कौशल्या और भगवान श्रीराम की प्रतिमा (Statue of Lord Shri Ram) गांव के जलसेन तालाब से ही प्राप्त हुई थी. पुरातत्व विभाग भले ही इसे प्रमाणित नहीं करता है, लेकिन लोगों की आस्था ने इस स्थान को मनोरम और पूजनीय बना दिया है.
सुषेण वैद्य की समाधि
कौशल्या माता का मंदिर हरियाली और मंदिरों से घिरा हुआ है. भगवान शिव और नंदी की विशाला प्रतिमा यहां स्थित है. द्वार पर हनुमान जी विराजमान हैं. यहां आने वाले श्रद्धालुओं को सबसे पहले उनके दर्शन होते हैं. मन्नत का पेड़, दशरथ जी का दरबार है. इसके साथ ही सुषेण वैद्य की समाधि है.
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154 करोड़ की योजना
श्रीराम छत्तीसगढ़ सरकार माता कौशल्या (Mata Kaushalya Temple) के मंदिर को भव्य तरीके से डेवलप करने के साथ ही पूरे छत्तीसगढ़ में भगवान राम के वनवास की यादों को सहेजने का काम कर रही है. माता कौशल्या मंदिर (Mata Kaushalya Temple) को डेवलपमेंट करने के लिए 154 करोड़ की योजना तैयार की गई है. चंदखुरी राजधानी रायपुर से 25 किलोमीटर दूर स्थित है. कोरिया से लेकर सुकमा तक श्रीराम वन गमन पथ विकसित किए जाने पर काम किया जा रहा है.
छत्तीसगढ़ पहले है कौशल प्रदेश
वाल्मीकि रामायण (Valmiki Ramayana) में मिलता है जिक्र इतिहासकारों का कहना है कि माता कौशल्या के पिता सुकौशल थे. उन्हें स्थानीय निवासी भानुमंत राजा के नाम से जानते हैं. छत्तीसगढ़ को पहले कौशल प्रदेश (Kausaul Zone) के नाम से जाना जाता था. वहीं माता सुबाला/अमृतप्रभा थीं. रामचरित मानस व वाल्मिकी रामायण में भी कौशल प्रदेश का उल्लेख मिलता है.