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कौन हैं शहीद वीर नारायण सिंह, जिनकी याद में प्रदेशवासी मना रहे बलिदान दिवस, जानिए

Martyr Veer Narayan Singh Death anniversary 2023 छत्तीसगढ़ आज शहीद वीर नारायण सिंह का बलिदान दिवस मना रहा है. प्रदेशवासी शहीद वीर नारायण सिंह की वीरता को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. प्रदेश के राजनेताओं ने भी शहीद वीर नारायण सिंह को श्रद्धांजलि दी है. Raipur News

Veer Narayan Singh Death anniversary  2023
शहीद वीर नारायण सिंह का बलिदान दिवस
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 10, 2023, 2:20 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद वीरनारायण सिंह की आज पुण्यतिथि मनाई जा रही है. आज ही के दिन 10 दिसंबर 1857 को अंग्रेजों ने रायपुर के जयस्तंभ चौक पर वीरनारायण सिंह को फांसी दी थी. तब से लेकर आज तक हर साल 10 दिसंबर को पूरा छत्तीसगढ़ अपने वीर सपूत की याद में शहीद दिवस मनाता है.

सोनाखान में जन्में वीर नारायण: शहीद वीर नारायण सिंह का जन्म 1795 को बलौदाबाजार के छोटे से गांव सोनाखान में हुआ था. वीर नारायण सिंह के पिता गांव के जमींदार थे. सोनाखान में वीरनारायण सिंह के पूर्वजों की 300 गांवों की जमींदारी थी. शहीद वीर नारायण सिंह का अपनी प्रजा के प्रति अटूट लगाव था. इसी बीच साल 1856 को सोनाखान में भीषण अकाल पड़ा, जिससे आम जनता दाने-दाने के लिए मोहताज हो गयी. भूख से मरते लोगों को दुख देख वीर नारायण सिंह ने कसडोल के साहूकारों का अनाज गोदाम लूट लिया और भूखी जनता में बंटवा दिया. लेकिन साहूकारों ने इसकी शिकायत अंग्रेजों से कर दी.

वीर नारायण सिंह से खौफ खाते थे अंग्रेज: साहूकारों की शिकायत के बाद अंग्रेजों ने शहीद वीरनारायण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. वीर नारायण सिंह ने बहादुर के साथ अंग्रेजों से अकेले लोहा लिया. अंग्रेजों से मुकाबला करने के लिए वीरनारायण सिंह ने कुरुपाठ नामक पहाड़ी की गुफाओं में आकर रहने लगे. अंग्रेजों को वीरनारायण सिंह के बारे में पता चला, तो अंग्रेजों ने कुरुपाठ पहाड़ी में धावा बोल दिया. अंग्रेजों और वीरनारायण सिंह के बीच भीषण युद्ध हुआ, जिसमें वीरनारायण सिंह ने अंग्रेजों को कुरुपाठ से मार भगाया. अंग्रेज सैनिकों की मौत से अंग्रेजी हुकूमत सिहर गई और अंग्रेजों ने वीरनारायण सिंह को मारने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी. लेकिन अंग्रेज वीरनारायण सिंह को नहीं पकड़ सके.

रायपुर के जयस्तंभ चौक पर दी फांसी: हार से हताश अंग्रेजों ने सोनाखान की जनता पर जुल्म करने लगे. अंग्रेजों के बढ़ते जुल्म को देख वीरनारायण की पत्नी ने उन्हें आत्मसमर्पण करने की सलाह दी. जिसके बाद वीरनारायण ने अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण किया. आत्मसर्मपण करते ही अंग्रेजों ने वीरनारायण सिंह को रायपुर जेल भेज दिया. जिसके बाद 10 दिसंबर 1857 को रायपुर के जयस्तंभ चौक पर वीर नारायण सिंह को फांसी दे दी गई.

अरुण साव ने वीर नारायण सिंह को दी श्रद्धांजली: शहीद वीरनारायण सिंह के पुण्यतिथि के अवसर पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने उन्हें नमन किया है. अरुण साव ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, "सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता आंदोलन में ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिला देने वाले छत्तीसगढ़ महतारी के लाल अमर शहीद वीर नारायण सिंह जी की पुण्यतिथि पर उन्हें शत-शत नमन"

  • सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता आंदोलन में ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिला देने वाले छत्तीसगढ़ महतारी के लाल अमर शहीद वीर नारायण सिंह जी की पुण्यतिथि पर उन्हें शत-शत नमन। pic.twitter.com/AIFFK64p4l

    — Arun Sao (@ArunSao3) December 10, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
शहीद वीर नारायण सिंह को तोप से नहीं उड़ाया गया था बल्कि दी गई थी फांसी
शहीद वीरनारायण सिंह की पुण्यतिथि : रायपुर जयस्तंभ चौक में दी गई थी फांसी
शहीद वीर नारायण को राज्यपाल ने दी श्रद्धांजलि, आरक्षण विधेयक पर सरकार से सवाल

रायपुर: छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद वीरनारायण सिंह की आज पुण्यतिथि मनाई जा रही है. आज ही के दिन 10 दिसंबर 1857 को अंग्रेजों ने रायपुर के जयस्तंभ चौक पर वीरनारायण सिंह को फांसी दी थी. तब से लेकर आज तक हर साल 10 दिसंबर को पूरा छत्तीसगढ़ अपने वीर सपूत की याद में शहीद दिवस मनाता है.

सोनाखान में जन्में वीर नारायण: शहीद वीर नारायण सिंह का जन्म 1795 को बलौदाबाजार के छोटे से गांव सोनाखान में हुआ था. वीर नारायण सिंह के पिता गांव के जमींदार थे. सोनाखान में वीरनारायण सिंह के पूर्वजों की 300 गांवों की जमींदारी थी. शहीद वीर नारायण सिंह का अपनी प्रजा के प्रति अटूट लगाव था. इसी बीच साल 1856 को सोनाखान में भीषण अकाल पड़ा, जिससे आम जनता दाने-दाने के लिए मोहताज हो गयी. भूख से मरते लोगों को दुख देख वीर नारायण सिंह ने कसडोल के साहूकारों का अनाज गोदाम लूट लिया और भूखी जनता में बंटवा दिया. लेकिन साहूकारों ने इसकी शिकायत अंग्रेजों से कर दी.

वीर नारायण सिंह से खौफ खाते थे अंग्रेज: साहूकारों की शिकायत के बाद अंग्रेजों ने शहीद वीरनारायण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. वीर नारायण सिंह ने बहादुर के साथ अंग्रेजों से अकेले लोहा लिया. अंग्रेजों से मुकाबला करने के लिए वीरनारायण सिंह ने कुरुपाठ नामक पहाड़ी की गुफाओं में आकर रहने लगे. अंग्रेजों को वीरनारायण सिंह के बारे में पता चला, तो अंग्रेजों ने कुरुपाठ पहाड़ी में धावा बोल दिया. अंग्रेजों और वीरनारायण सिंह के बीच भीषण युद्ध हुआ, जिसमें वीरनारायण सिंह ने अंग्रेजों को कुरुपाठ से मार भगाया. अंग्रेज सैनिकों की मौत से अंग्रेजी हुकूमत सिहर गई और अंग्रेजों ने वीरनारायण सिंह को मारने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी. लेकिन अंग्रेज वीरनारायण सिंह को नहीं पकड़ सके.

रायपुर के जयस्तंभ चौक पर दी फांसी: हार से हताश अंग्रेजों ने सोनाखान की जनता पर जुल्म करने लगे. अंग्रेजों के बढ़ते जुल्म को देख वीरनारायण की पत्नी ने उन्हें आत्मसमर्पण करने की सलाह दी. जिसके बाद वीरनारायण ने अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण किया. आत्मसर्मपण करते ही अंग्रेजों ने वीरनारायण सिंह को रायपुर जेल भेज दिया. जिसके बाद 10 दिसंबर 1857 को रायपुर के जयस्तंभ चौक पर वीर नारायण सिंह को फांसी दे दी गई.

अरुण साव ने वीर नारायण सिंह को दी श्रद्धांजली: शहीद वीरनारायण सिंह के पुण्यतिथि के अवसर पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने उन्हें नमन किया है. अरुण साव ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, "सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता आंदोलन में ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिला देने वाले छत्तीसगढ़ महतारी के लाल अमर शहीद वीर नारायण सिंह जी की पुण्यतिथि पर उन्हें शत-शत नमन"

  • सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता आंदोलन में ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिला देने वाले छत्तीसगढ़ महतारी के लाल अमर शहीद वीर नारायण सिंह जी की पुण्यतिथि पर उन्हें शत-शत नमन। pic.twitter.com/AIFFK64p4l

    — Arun Sao (@ArunSao3) December 10, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
शहीद वीर नारायण सिंह को तोप से नहीं उड़ाया गया था बल्कि दी गई थी फांसी
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