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क्या राज्य में फर्जी NGO पर कोई निगरानी है? - ngo corruption in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर सामाजिक संस्थाएं और NGO (non-governmental organization) सक्रिय हैं. राज्य में करीब 45 हजार 500 एनजीओ पंजीकृत हैं. 89 हजार से ज्यादा सोसायटी रजिस्टर्ड हैं. हैरत की बात तो यह है कि राज्य सरकार के पास भी NGO का आंकड़ा मौजूद नहीं है. यानी कई NGO बगैर रजिस्ट्रेशन के काम कर रहे हैं. यही नहीं वे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से दान इकट्ठा कर रहे हैं.

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Published : Mar 28, 2021, 9:01 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में राज्य बनने के बाद समाज सेवा के नाम पर मनमाने तरीके से संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन हुआ. बड़े अधिकारियों की सांठगांठ की भी शिकायतें सामने आईं हैं. पहले इस क्षेत्र में आमतौर पर वे लोग सामने आते थे, जो खुद के संसाधनों के बूते समाज सेवा करना चाहते थे. लेकिन अब एनजीओ रोजगार के बढ़िया साधन बन चुके हैं. कई बार दूसरी नौकरी से भी अच्छे वेतनमान पर यहां काम मिल सकता है. यही वजह है कि भ्रष्टाचार की शिकायतों का भी अंबार है.

छत्तीसगढ़ में NGO के भ्रष्टाचार को लेकर काफी शिकायतें

फर्जी संस्थाओं के चलते काम करने वालों को भी दिक्कतें

डेढ़ सौ से ज्यादा दिव्यांगों को छात्रावास में रखकर शिक्षण-प्रशिक्षण देने वाली संस्था कोपलवाणी की डायरेक्टर सीमा छाबड़ा बताती हैं कि कोरोनाकाल में भी कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए जरूरतमंदों को ट्रेनिंग दी जा रही है. 53 श्रवण बाधित दिव्यांग बच्चे भी महाविद्यालय में अध्ययन करते हैं. इस संस्था की संयोजिका पदमा शर्मा बताती हैं कि सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि कुछ लोग शॉर्टकट तरीके से ही काम करके इसे धंधे की तरह उपयोग कर रहे हैं. ऐसी संस्थाओं की वजह से ही समाजसेवी संस्थाओं की छवि बिगड़ती है. ऐसे कागजी संस्थाओं पर बड़ी कार्रवाई की जरूरत है.

राज्य सरकार को भी करनी होगी मॉनिटरिंग

रायपुर में संकल्प सामाजिक संस्था लंबे समय से नशा मुक्ति को लेकर काम कर रही है. इस संस्था की संचालक मनीषा शर्मा कहती हैं कि केंद्र सरकार के एफसीआरए बिल लाने के बाद देश भर के तमाम एनजीओ की निगरानी अलग-अलग लेवल पर की जा रही रही है. केंद्र सरकार ने तमाम विभागों के लिए इसकी निगरानी करने के लिए ऑनलाइन सिस्टम भी तैयार कर दिया है. सामाजिक सेवा की आड़ में फर्जीवाड़ा करने वालों पर सीधे तौर पर निगरानी रखी जा रही है. राज्य सरकारों को भी कसावट लानी चाहिए ताकि वास्तविक तौर पर काम करने वाले सामाजिक संस्थाओं को ही ग्रांट मिल सके.

NGO घोटाला : CBI ने भोपाल में अज्ञात के खिलाफ दर्ज की FIR

फर्जीवाड़ा करने वाले एनजीओ पर होनी चाहिए कार्रवाई

दरअसल केंद्र सरकार ने एफसीआरए बिल पास किया है. नए बिल में अब गैर सरकारी संस्थाओं यानी एनजीओ के प्रशासनिक कार्य में 50 फीसदी विदेशी फंड की जगह केवल 20 फीसदी फंड ही इस्तेमाल किया जा सकेगा. यानी इसमें 30 फीसदी तक कटौती कर दी गई है. नियम-कानून की धज्जियां उड़ाने वाले कई एनजीओ के लाइसेंस कैंसिल किए जा रहे हैं. पिछले कुछ सालों में ही करीब 2 लाख 600 से ज्यादा गैर सरकारी संस्थाओं पर कार्रवाई की गई है. उनके एफसीआरए लाइसेंस कैंसिल कर दिए गए हैं. सामाजिक कार्यकर्ता राज चुन्नी शर्मा कहते हैं कि इस तरह के संस्थाओं का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया है. लिहाजा लोगों को भी अपने उद्देश्यों को लेकर निष्पक्ष होने की जरूरत है.

फर्जी NGO बनाकर 1 हजार करोड़ रुपये का घोटाला

छत्तीसगढ़ में बड़े अधिकारियों पर एनजीओ बनाकर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं. 1000 करोड़ के कथित भ्रष्टाचार की CBI में शिकायत हुई. हाईकोर्ट के एडवोकेट देवर्षि ठाकुर ने बताया कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में उन्होंने 12 अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने को लेकर शिकायत की थी. यह पूरा मामला समाज कल्याण विभाग से संबंधित है. साल 2004 में तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक एनजीओ राज्य स्रोत नि:शक्तजन संस्थान की स्थापना की गई थी. इसके जरिए राज्य के कई IAS अफसर सीधे तौर पर जुड़े हुए थे. रायपुर के कुंदन सिंह ठाकुर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि उनके सहित अनेक लोगों को किसी भी अन्य सरकारी संस्था में नियमित कर्मचारी बताकर उनका वेतन आहरित किया गया था.

समाज कल्याण विभाग घोटाला मामले में हाईकोर्ट ने खारिज की राज्य शासन की याचिका

केंद्र सरकार की ओर से लाए गए नियम के बाद फंडिंग रोकने में बड़े पैमाने पर निगरानी रखी जा रही है. इस तरह का सिस्टम राज्य सरकारों को भी तय करना जरूरी होगा. सबसे बड़ी बात यह है कि कई एनजीओ चलाने वाले सालाना रिपोर्ट भी नहीं देते हैं, जबकि नियम के मुताबिक हर पंजीकृत एनजीओ को सरकार के पास समय-समय पर रिपोर्ट जमा करना जरूरी होता है. राज्य के 40 फीसदी एनजीओ ही बमुश्किल इस नियम का पालन करते हैं.

NGO का उद्देश्य

  • NGO( नॉन गवर्मेंटल आर्गेनाइजेशन) यानी गैर सरकारी संगठन.
  • एनजीओ किसी मिशन के तहत चलाए जाते हैं.
  • सामाजिक समस्याओं को हल करना और विभिन्न क्षेत्रों के विकास की गतिविधियों को बल देना एक एनजीओ का मुख्य उद्देश्य होता है.
  • कृषि, पर्यावरण, शिक्षा, संस्कृति, मानव अधिकार, स्वास्थ्य, महिला समस्या, बाल विकास, दिव्यांगों के कल्याण जैसे कई क्षेत्रों में काम किया जा सकता है.
  • यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां आप नाम और पैसा दोनों कमा सकते हैं. यही वजह है कि एनजीओ को लेकर लोकप्रियता बढ़ी है.

छत्तीसगढ़ में सोसायटी और एनजीओ की संख्या

  • राज्य में करीब 45 हजार 500 एनजीओ पंजीकृत हैं.
  • 89 हजार से ज्यादा सोसायटी रजिस्टर्ड हैं.
  • राज्य सरकार के पास भी NGO का आंकड़ा मौजूद नहीं है.
  • यानी कई NGO बगैर रजिस्ट्रेशन के काम कर रहे हैं.
  • यही नहीं वे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से दान इकट्ठा कर रहे हैं.
  • नियमों का पालन नहीं करने वाले 10 एनजीओ की मान्यता रद्द
  • करीब 5000 एनजीओ को नोटिस जारी किया

रायपुर: छत्तीसगढ़ में राज्य बनने के बाद समाज सेवा के नाम पर मनमाने तरीके से संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन हुआ. बड़े अधिकारियों की सांठगांठ की भी शिकायतें सामने आईं हैं. पहले इस क्षेत्र में आमतौर पर वे लोग सामने आते थे, जो खुद के संसाधनों के बूते समाज सेवा करना चाहते थे. लेकिन अब एनजीओ रोजगार के बढ़िया साधन बन चुके हैं. कई बार दूसरी नौकरी से भी अच्छे वेतनमान पर यहां काम मिल सकता है. यही वजह है कि भ्रष्टाचार की शिकायतों का भी अंबार है.

छत्तीसगढ़ में NGO के भ्रष्टाचार को लेकर काफी शिकायतें

फर्जी संस्थाओं के चलते काम करने वालों को भी दिक्कतें

डेढ़ सौ से ज्यादा दिव्यांगों को छात्रावास में रखकर शिक्षण-प्रशिक्षण देने वाली संस्था कोपलवाणी की डायरेक्टर सीमा छाबड़ा बताती हैं कि कोरोनाकाल में भी कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए जरूरतमंदों को ट्रेनिंग दी जा रही है. 53 श्रवण बाधित दिव्यांग बच्चे भी महाविद्यालय में अध्ययन करते हैं. इस संस्था की संयोजिका पदमा शर्मा बताती हैं कि सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि कुछ लोग शॉर्टकट तरीके से ही काम करके इसे धंधे की तरह उपयोग कर रहे हैं. ऐसी संस्थाओं की वजह से ही समाजसेवी संस्थाओं की छवि बिगड़ती है. ऐसे कागजी संस्थाओं पर बड़ी कार्रवाई की जरूरत है.

राज्य सरकार को भी करनी होगी मॉनिटरिंग

रायपुर में संकल्प सामाजिक संस्था लंबे समय से नशा मुक्ति को लेकर काम कर रही है. इस संस्था की संचालक मनीषा शर्मा कहती हैं कि केंद्र सरकार के एफसीआरए बिल लाने के बाद देश भर के तमाम एनजीओ की निगरानी अलग-अलग लेवल पर की जा रही रही है. केंद्र सरकार ने तमाम विभागों के लिए इसकी निगरानी करने के लिए ऑनलाइन सिस्टम भी तैयार कर दिया है. सामाजिक सेवा की आड़ में फर्जीवाड़ा करने वालों पर सीधे तौर पर निगरानी रखी जा रही है. राज्य सरकारों को भी कसावट लानी चाहिए ताकि वास्तविक तौर पर काम करने वाले सामाजिक संस्थाओं को ही ग्रांट मिल सके.

NGO घोटाला : CBI ने भोपाल में अज्ञात के खिलाफ दर्ज की FIR

फर्जीवाड़ा करने वाले एनजीओ पर होनी चाहिए कार्रवाई

दरअसल केंद्र सरकार ने एफसीआरए बिल पास किया है. नए बिल में अब गैर सरकारी संस्थाओं यानी एनजीओ के प्रशासनिक कार्य में 50 फीसदी विदेशी फंड की जगह केवल 20 फीसदी फंड ही इस्तेमाल किया जा सकेगा. यानी इसमें 30 फीसदी तक कटौती कर दी गई है. नियम-कानून की धज्जियां उड़ाने वाले कई एनजीओ के लाइसेंस कैंसिल किए जा रहे हैं. पिछले कुछ सालों में ही करीब 2 लाख 600 से ज्यादा गैर सरकारी संस्थाओं पर कार्रवाई की गई है. उनके एफसीआरए लाइसेंस कैंसिल कर दिए गए हैं. सामाजिक कार्यकर्ता राज चुन्नी शर्मा कहते हैं कि इस तरह के संस्थाओं का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया है. लिहाजा लोगों को भी अपने उद्देश्यों को लेकर निष्पक्ष होने की जरूरत है.

फर्जी NGO बनाकर 1 हजार करोड़ रुपये का घोटाला

छत्तीसगढ़ में बड़े अधिकारियों पर एनजीओ बनाकर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं. 1000 करोड़ के कथित भ्रष्टाचार की CBI में शिकायत हुई. हाईकोर्ट के एडवोकेट देवर्षि ठाकुर ने बताया कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में उन्होंने 12 अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने को लेकर शिकायत की थी. यह पूरा मामला समाज कल्याण विभाग से संबंधित है. साल 2004 में तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक एनजीओ राज्य स्रोत नि:शक्तजन संस्थान की स्थापना की गई थी. इसके जरिए राज्य के कई IAS अफसर सीधे तौर पर जुड़े हुए थे. रायपुर के कुंदन सिंह ठाकुर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि उनके सहित अनेक लोगों को किसी भी अन्य सरकारी संस्था में नियमित कर्मचारी बताकर उनका वेतन आहरित किया गया था.

समाज कल्याण विभाग घोटाला मामले में हाईकोर्ट ने खारिज की राज्य शासन की याचिका

केंद्र सरकार की ओर से लाए गए नियम के बाद फंडिंग रोकने में बड़े पैमाने पर निगरानी रखी जा रही है. इस तरह का सिस्टम राज्य सरकारों को भी तय करना जरूरी होगा. सबसे बड़ी बात यह है कि कई एनजीओ चलाने वाले सालाना रिपोर्ट भी नहीं देते हैं, जबकि नियम के मुताबिक हर पंजीकृत एनजीओ को सरकार के पास समय-समय पर रिपोर्ट जमा करना जरूरी होता है. राज्य के 40 फीसदी एनजीओ ही बमुश्किल इस नियम का पालन करते हैं.

NGO का उद्देश्य

  • NGO( नॉन गवर्मेंटल आर्गेनाइजेशन) यानी गैर सरकारी संगठन.
  • एनजीओ किसी मिशन के तहत चलाए जाते हैं.
  • सामाजिक समस्याओं को हल करना और विभिन्न क्षेत्रों के विकास की गतिविधियों को बल देना एक एनजीओ का मुख्य उद्देश्य होता है.
  • कृषि, पर्यावरण, शिक्षा, संस्कृति, मानव अधिकार, स्वास्थ्य, महिला समस्या, बाल विकास, दिव्यांगों के कल्याण जैसे कई क्षेत्रों में काम किया जा सकता है.
  • यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां आप नाम और पैसा दोनों कमा सकते हैं. यही वजह है कि एनजीओ को लेकर लोकप्रियता बढ़ी है.

छत्तीसगढ़ में सोसायटी और एनजीओ की संख्या

  • राज्य में करीब 45 हजार 500 एनजीओ पंजीकृत हैं.
  • 89 हजार से ज्यादा सोसायटी रजिस्टर्ड हैं.
  • राज्य सरकार के पास भी NGO का आंकड़ा मौजूद नहीं है.
  • यानी कई NGO बगैर रजिस्ट्रेशन के काम कर रहे हैं.
  • यही नहीं वे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से दान इकट्ठा कर रहे हैं.
  • नियमों का पालन नहीं करने वाले 10 एनजीओ की मान्यता रद्द
  • करीब 5000 एनजीओ को नोटिस जारी किया
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