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रायपुर: तारपा नृत्य के जरिए महाराष्ट्र के आदिवासी कल्चर को समझ सकेगा इंडिया - महाराष्ट्र के लोक कलाकार

महाराष्ट्र के यह कलाकार खंडवा सहित देशभर में अलग-अलग जगहों पर पहले भी कई बार प्रस्तुति दे चुके हैं. तारपा नाम के आदिवासी नृत्य को पूरे देश भर में फैलाने की कोशिश कर रहे हैं यह नृत्य काफी पुराना है और काफी लोगों को इसके बारे में नहीं पता है इसलिए इस नृत्य के माध्यम से महाराष्ट्र के आदिवासी कल्चर को पूरे देश में फैलाने का बीड़ा इन कलाकारों ने उठाया है.

Maharashtra team arrives to participate in National Tribal Dance Festival
महाराष्ट्र के लोक कलाकार
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Published : Dec 26, 2019, 8:24 PM IST

रायपुर: प्रदेश की आदिवासी संस्कृति और लोक कला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने के लिए राजधानी साइंस कॉलेज ग्राउंड में 27 दिसंबर से राष्ट्रीय आदिवासी डांस फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है. यह 3 दिवसीय आयोजन है, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए कलाकार अपने लोकगीत और आदिवासी संस्कृति की प्रस्तुति देंगे. इसके साथ ही कुछ कलाकार विदेशों से जैसे मालदीव, थाईलैंड, बांग्लादेश के साथ ही दूसरे देशों से भी कलाकार आए हुए हैं.

महाराष्ट्र से आई टीम
इसी कड़ी में जब ईटीवी भारत ने महाराष्ट्र के कलाकारों से बातचीत की तो कलाकारों ने बताया कि वो महाराष्ट्र के पालघर जिले के पास के गांव से आए हैं और वो ठेठ आदिवासी कल्चर को अपने नृत्य के जरिए प्रस्तुत करेंगे. महाराष्ट्र के कलाकार तारपा नाम के नृत्य को प्रस्तुत करेंगे यह नृत्य आदिवासी लड़के और लड़कियां करती हैं. तारपा नृत्य में इसी नाम का म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट का प्रयोग होता है जिसके नाम से इस नृत्य को भी जाना जाता है. यह तारपा बांस की लकड़ी, दूधी और माड़ के पत्ते से बनाया जाता है.

महाराष्ट्र के लोक कलाकार


महाराष्ट्र के आदिवासी कल्चर
महाराष्ट्र के यह कलाकार खंडवा सहित पूरे देश भर के अलग-अलग जगहों पर पहले भी कई बार प्रस्तुति दे चुके हैं. तारपा नाम के आदिवासी नृत्य को पूरे देश भर में फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. यह नृत्य काफी पुराना है और काफी लोगों को इसके बारे में नहीं पता है इसलिए इस नृत्य के माध्यम से महाराष्ट्र के आदिवासी कल्चर को पूरे देश में फैलाने का बीड़ा इन कलाकारों ने उठाया है.

रायपुर: प्रदेश की आदिवासी संस्कृति और लोक कला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने के लिए राजधानी साइंस कॉलेज ग्राउंड में 27 दिसंबर से राष्ट्रीय आदिवासी डांस फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है. यह 3 दिवसीय आयोजन है, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए कलाकार अपने लोकगीत और आदिवासी संस्कृति की प्रस्तुति देंगे. इसके साथ ही कुछ कलाकार विदेशों से जैसे मालदीव, थाईलैंड, बांग्लादेश के साथ ही दूसरे देशों से भी कलाकार आए हुए हैं.

महाराष्ट्र से आई टीम
इसी कड़ी में जब ईटीवी भारत ने महाराष्ट्र के कलाकारों से बातचीत की तो कलाकारों ने बताया कि वो महाराष्ट्र के पालघर जिले के पास के गांव से आए हैं और वो ठेठ आदिवासी कल्चर को अपने नृत्य के जरिए प्रस्तुत करेंगे. महाराष्ट्र के कलाकार तारपा नाम के नृत्य को प्रस्तुत करेंगे यह नृत्य आदिवासी लड़के और लड़कियां करती हैं. तारपा नृत्य में इसी नाम का म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट का प्रयोग होता है जिसके नाम से इस नृत्य को भी जाना जाता है. यह तारपा बांस की लकड़ी, दूधी और माड़ के पत्ते से बनाया जाता है.

महाराष्ट्र के लोक कलाकार


महाराष्ट्र के आदिवासी कल्चर
महाराष्ट्र के यह कलाकार खंडवा सहित पूरे देश भर के अलग-अलग जगहों पर पहले भी कई बार प्रस्तुति दे चुके हैं. तारपा नाम के आदिवासी नृत्य को पूरे देश भर में फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. यह नृत्य काफी पुराना है और काफी लोगों को इसके बारे में नहीं पता है इसलिए इस नृत्य के माध्यम से महाराष्ट्र के आदिवासी कल्चर को पूरे देश में फैलाने का बीड़ा इन कलाकारों ने उठाया है.

Intro:छत्तीसगढ़ प्रदेश की आदिवासी संस्कृति वह लोक कला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय लेवल पर पहचान देने के लिए छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर साइंस कॉलेज ग्राउंड में कल से राष्ट्रीय आदिवासी डांस फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है यह आयोजन 3 दिन का रखा गया है जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए कलाकार अपने लोकगीत और आदिवासी संस्कृति की प्रस्तुति करेंगे। इसके साथ ही कुछ कलाकार विदेशों से भी आए हुए हैं जैसे फिल्म का मालदीप , थाईलैंड , बांग्लादेश आदि से।





Body:इसी कड़ी में जब ईटीवी भारत ने महाराष्ट्र के कलाकारों से बातचीत की तो महाराष्ट्र के कलाकारों ने बताया कि वह महाराष्ट्र के ठाणे जिले से कुछ दूर से आए हैं और वह ठेठ आदिवासी कल्चर को अपने नृत्य के द्वारा प्रस्तुत करेंगे महाराष्ट्र के कलाकार तारपा नाम के नृत्य को प्रस्तुत करेंगे यह नृत्य आदिवासी लड़के और लड़कियों द्वारा किया जाता है और तारपा नाम का म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट होता है जिसके नाम से ही के नृत्य भी जाना जाता है यह तारपा बांस की लकड़ी , दूधी और माड़ के पत्ते से बनाया जाता है।




Conclusion:महाराष्ट्र के यह कलाकार खंडवा सहित पूरे देश भर के विभिन्न जगहों पर पहले भी कई बार प्रस्तुति दे चुके हैं और तारपा नाम के आदिवासी नृत्य को पूरे देश भर में फैलाने की कोशिश कर रहे हैं यह नृत्य काफी पुराना है और काफी लोगों को इसके बारे में नहीं पता है इसलिए यह इस नृत्य के माध्यम से महाराष्ट्र आदिवासी कल्चर को पूरे देश में फैला रहे हैं।

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