रायपुर/हैदराबाद: कालाष्टमी एक सनातनी त्योहार है जो हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है और जो भगवान शिव के उग्र रूप भगवान भैरव को समर्पित है. काल भैरव की पूजा के कारण इसे काल भैरव अष्टमी या भैरव अष्टमी भी कहा जाता है. हिंदू मान्यता के मुताबिक जो भक्त कालाष्टमी के दिन व्रत करता है और भैरव की पूजा-अर्चना करता है, उसको सभी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है. कालाष्टमी व्रत करने से हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
जानिए, कालाष्टमी के दिन के शुभ मुहूर्त: कालाष्टमी रविवार या मंगलवार के दिन पड़ने पर इसका महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि सप्ताह के ये दिन भी भगवान भैरव को समर्पित माने जाते हैं. इस बार फाल्गुन में कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाएगा, जो 13 फरवरी को है. इस दिन कालभैरव की पूजा करने से घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है. 13 फरवरी 2023 को सुबह 9.46 बजे से अगले दिन 14 फरवरी 2023 की सुबह 9.04 बजे तक शुभ मुहूर्त है.
कालाष्टमी के दिन इस विधि से करें बाबा भैरव का पूजन:
-सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान कर लें.
-साफ-सुथरे या हो सके तो नए कपड़े पहने.
-काल भैरव के मंदिर में जाकर पूजा करें.
-काल भैरव को नारियल, पान, गेरुआ आदि चीजें अर्पित करें.
-इसके बाद काल भैरव के नाम से दीपक जलाकर विधि विधान से पूज अर्चना करें और भगवान को भोग लगाएं.
-इसके बाद काल भैरव चालीसा और शिव चालीसा का पाठ करें.
जानिए कालाष्टमी व्रत का क्या है महत्व: हिंदू मान्यता के मुताबिक जो भी भक्त कालाष्टमी के दिन व्रत करता है और भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना करता है, उसको सभी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है. इतना ही नहीं कालाष्टमी व्रत करने से हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही भगवान काल भैरव के आशीर्वाद से शत्रुओं से भी छुटकारा मिल जाता है.