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Magh Kalashtami 2023: डर और दरिद्रता से चाहते हैं मुक्ति तो आज के दिन करें बाबा भैरव की पूजा

according to hindu belief हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी होती है. इस बार फाल्गुन माह में कालाष्टमी 13 फरवरी को है. सनातन धर्म में इसका खास महत्व है. कालाष्टमी व्रत भगवान काल भैरव को समर्पित है. हिन्दू मान्यता के अनुसार इस दिन व्रत रखने और बाबा भैरव की पूजा करने से इंसान के जीवन में दरिद्रता, डर, दुख और परेशानी दूर हो जाती है.

Magh Kalashtami 2023
कालाष्टमी पर करें बाबा भैरव की पूजा
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Published : Feb 13, 2023, 9:59 AM IST

रायपुर/हैदराबाद: कालाष्टमी एक सनातनी त्योहार है जो हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है और जो भगवान शिव के उग्र रूप भगवान भैरव को समर्पित है. काल भैरव की पूजा के कारण इसे काल भैरव अष्टमी या भैरव अष्टमी भी कहा जाता है. हिंदू मान्यता के मुताबिक जो भक्त कालाष्टमी के दिन व्रत करता है और भैरव की पूजा-अर्चना करता है, उसको सभी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है. कालाष्टमी व्रत करने से हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

जानिए, कालाष्टमी के दिन के शुभ मुहूर्त: कालाष्टमी रविवार या मंगलवार के दिन पड़ने पर इसका महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि सप्ताह के ये दिन भी भगवान भैरव को समर्पित माने जाते हैं. इस बार फाल्गुन में कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाएगा, जो 13 फरवरी को है. इस दिन कालभैरव की पूजा करने से घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है. 13 फरवरी 2023 को सुबह 9.46 बजे से अगले दिन 14 फरवरी 2023 की सुबह 9.04 बजे तक शुभ मुहूर्त है.

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कालाष्टमी के दिन इस विधि से करें बाबा भैरव का पूजन:

-सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान कर लें.

-साफ-सुथरे या हो सके तो नए कपड़े पहने.

-काल भैरव के मंदिर में जाकर पूजा करें.

-काल भैरव को नारियल, पान, गेरुआ आदि चीजें अर्पित करें.

-इसके बाद काल भैरव के नाम से दीपक जलाकर विधि विधान से पूज अर्चना करें और भगवान को भोग लगाएं.

-इसके बाद काल भैरव चालीसा और शिव चालीसा का पाठ करें.

जानिए कालाष्टमी व्रत का क्या है महत्व: हिंदू मान्यता के मुताबिक जो भी भक्त कालाष्टमी के दिन व्रत करता है और भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना करता है, उसको सभी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है. इतना ही नहीं कालाष्टमी व्रत करने से हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही भगवान काल भैरव के आशीर्वाद से शत्रुओं से भी छुटकारा मिल जाता है.

रायपुर/हैदराबाद: कालाष्टमी एक सनातनी त्योहार है जो हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है और जो भगवान शिव के उग्र रूप भगवान भैरव को समर्पित है. काल भैरव की पूजा के कारण इसे काल भैरव अष्टमी या भैरव अष्टमी भी कहा जाता है. हिंदू मान्यता के मुताबिक जो भक्त कालाष्टमी के दिन व्रत करता है और भैरव की पूजा-अर्चना करता है, उसको सभी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है. कालाष्टमी व्रत करने से हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

जानिए, कालाष्टमी के दिन के शुभ मुहूर्त: कालाष्टमी रविवार या मंगलवार के दिन पड़ने पर इसका महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि सप्ताह के ये दिन भी भगवान भैरव को समर्पित माने जाते हैं. इस बार फाल्गुन में कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाएगा, जो 13 फरवरी को है. इस दिन कालभैरव की पूजा करने से घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है. 13 फरवरी 2023 को सुबह 9.46 बजे से अगले दिन 14 फरवरी 2023 की सुबह 9.04 बजे तक शुभ मुहूर्त है.

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कालाष्टमी के दिन इस विधि से करें बाबा भैरव का पूजन:

-सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान कर लें.

-साफ-सुथरे या हो सके तो नए कपड़े पहने.

-काल भैरव के मंदिर में जाकर पूजा करें.

-काल भैरव को नारियल, पान, गेरुआ आदि चीजें अर्पित करें.

-इसके बाद काल भैरव के नाम से दीपक जलाकर विधि विधान से पूज अर्चना करें और भगवान को भोग लगाएं.

-इसके बाद काल भैरव चालीसा और शिव चालीसा का पाठ करें.

जानिए कालाष्टमी व्रत का क्या है महत्व: हिंदू मान्यता के मुताबिक जो भी भक्त कालाष्टमी के दिन व्रत करता है और भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना करता है, उसको सभी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है. इतना ही नहीं कालाष्टमी व्रत करने से हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही भगवान काल भैरव के आशीर्वाद से शत्रुओं से भी छुटकारा मिल जाता है.

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