रायपुर: राजधानी रायपुर के सिद्ध पीठ मां महामाया मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था असीम है. श्रद्धालु पूरी श्रद्धा भाव से पीला-लाल कपड़ा या जय माता दी लिखी हुई चुनरी में सूखे नारियल को बांध मनोकामना लेकर मां से प्रार्थना करते हैं. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि "भक्तों की मनोकामना पूरी होने के बाद भक्त इस नारियल को देवी मां को अर्पित करते हैं या फिर नारियल को तोड़कर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है."
मनोकामना पूरी करने नारियल बांधते हैं श्रद्धालु: राजधानी के सिद्ध पीठ मां महामाया मंदिर में दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु भावेश शुक्ला ने बताया कि "श्रद्धालु अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए देवी मां के मंदिर में एक निश्चित स्थान पर कपड़े या फिर चुनरी में नारियल को बांधकर चले जाते हैं. मनोकामना पूरी होने के बाद बंधी हुई नारियल को निकालकर देवी मां को अर्पित किया जाता है. कई लोग पुत्र प्राप्ति की कामना कुछ लोग अपने कष्टों के निवारण और कई लोग अपने घर में सुख शांति की कामना लेकर नारियल को बांधते हैं. जिससे लोगों की मनचाही मुराद भी पूरी होती है."
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हैहयवंशीय राजाओं के शासनकाल में बनी थी महामाया मंदिर: सिद्ध पीठ महामाया मंदिर हैहयवंशीय राजाओं के शासनकाल में निर्मित यह मंदिर काफी प्राचीन और ऐतिहासिक है. बताया जाता है कि आठवीं शताब्दी के आसपास इन मंदिरों का निर्माण हैहयवंशीय राजाओं के द्वारा कराया गया था. मां महामाया हैहयवंशीय राजाओं की कुलदेवी है. राजा इन मंदिरों में तंत्र मंत्र साधना करते थे. महामाया मंदिर का गर्भगृह और गुंबद का निर्माण श्री यंत्र के रूप में हुआ. जो कि स्वयं में महालक्ष्मी का रूप है. वर्तमान समय में मां महालक्ष्मी, मां महामाया और मां समलेश्वरी तीनों की पूजा आराधना एक साथ की जाती है.