रायपुर: एक ओर जहां स्कूल कॉलेज जैसे शैक्षिक संस्थान बंद हैं, वहीं इससे जुड़े तमाम व्यवसाय भी ठप पड़े हैं. कोरोना काल में प्राइवेट हॉस्टल संचालकों की मुसीबतें बढ़ गई है. एक समय जहां जून के महीने में हॉस्टल में रहने के लिए एडमिशन नहीं होता था. वहीं अब स्कूल कॉलेज और एजुकेशन से जुड़ी संस्थाएं बंद होने के चलते निजी हॉस्टल बंद पड़े हुए हैं. निजी हॉस्टल संचालकों की आमदनी पर लॉकडाउन का खासा असर पड़ा है.
खुशी गर्ल्स हॉस्टल के संचालक ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान सभी लोग प्रभावित हुए हैं. इसका असर हॉस्टल और छात्रावास पर भी पड़ा है. होटल संचालकों का कहना है कि उन्हें हॉस्टल के संचालन से थोड़ी बहुत आमदनी हो जाती थी. लेकिन अब वो भी बंद हो गई है. लॉकडाउन के बाद से ही हॉस्टल के संचालन और उसका मेंटेनेंस कर पाना मुश्किल हो गया है.
छात्राओं को वापस भेजा घर
प्रेरणा हॉस्टल के संचालक ने बताया कि उनका 3 हॉस्टल चलता था. लेकिन लॉकडाउन के बाद काम पूरी तरह प्रभावित हो गया है. वहीं तीन हॉस्टल जो किराए के भवन पर चलते थे उन्हें खाली करना पड़ा है. जिसके बाद अब वे एक ही हॉस्टल का संचालन कर रहे हैं. लॉकडाउन लगने के पहले ही हॉस्टल के छात्राओं को उनके घर भेज दिया गया था.
150 करोड़ का नुकसान
क्वीन्स गर्ल्स हॉस्टल के संचालक ने बताया की लॉकडाउन के चलते हॉस्टल के संचालन में बड़ी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है. हॉस्टल संचालकों की मानें तो शहर में करीब 50 हजार लोग हॉस्टल या किराए के कैंपस में रहते हैं. इनमें ज्यादातर कॉलेज स्टूडेंट्स, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी और इनके अलावा जॉब गोइंग बैचलर रहते हैं. लॉकडाउन के इन 3 महीनों में शहर के करीब 3 हजार हॉस्टलों के संचालकों को अंदाजन 150 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.