रायपुर: छत्तीसगढ़ पुलिस ने बीजापुर जिले में अपना अभियान शुरू कर नक्सलियों को आश्चर्यचकित कर दिया और उन्हें घेरने में सफलता हासिल की. इस दौरान पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के 31 नक्सली मारे गए. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी.
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़े हमलों में से एक में, सुरक्षा बलों ने रविवार को इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में एक जंगली पहाड़ी पर 11 महिलाओं सहित 31 उग्रवादियों को मार गिराया. गोलीबारी में दो सुरक्षाकर्मी भी मारे गए और कई अन्य घायल हो गए.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ''हमें उनके सामरिक जवाबी आक्रामक अभियान (टीसीओसी) से पहले एक बैठक के लिए इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र के सुदूर जंगलों में माओवादियों की तेलंगाना राज्य समिति, पश्चिम बस्तर डिवीजन और राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र समिति से संबंधित कैडरों की उपस्थिति के बारे में जानकारी मिली थी.''
नक्सली मार्च और जून के बीच टीसीओसी को अंजाम देते हैं. इस दौरान वे अपनी गतिविधियां बढ़ा देते हैं. अधिकारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस के जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और बस्तर फाइटर्स की लड़ाकू इकाइयों को 7 फरवरी को क्षेत्र में अलग-अलग दिशाओं से तैनात किया गया था.
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उन्होंने कहा, "रणनीतिक रूप से आश्चर्य के तत्व का उपयोग करने के लिए(strategically utilise the element of surprise),कुछ टीमों को पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र पुलिस के लॉन्च पैड से इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान में तैनात किया गया था." रविवार की सुबह, गश्ती दल एक पहाड़ी पर पहुंचे, जहां नक्सलियों की गतिविधि देखी गई.
अधिकारी ने बताया कि गोलीबारी सुबह करीब आठ बजे शुरू हुई, जब सुरक्षा बलों ने पहाड़ी को घेरना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा, "मुठभेड़ के बीच नक्सली दो समूहों में बंट गए. एक समूह, जिसमें स्पष्ट रूप से तेलंगाना राज्य समिति के कैडर शामिल थे, पीछे हटने लगे, जबकि दूसरा समूह गोलीबारी में लगा रहा."
ऐसा प्रतीत होता है कि महाराष्ट्र की ओर से प्रवेश करने वाली गश्ती टीमों ने नक्सलियों को आश्चर्यचकित कर दिया था, क्योंकि उन्हें उस दिशा से बलों की आवाजाही का अनुमान नहीं था और उनकी संख्या कम थी. अधिकारी ने बताया कि रुक-रुक कर गोलीबारी शाम करीब चार बजे तक चली.
अधिकारी ने कहा कि पहुंच मार्गों को बदलने की रणनीति से ऑपरेशन में बड़ी सफलता हासिल करने में मदद मिली क्योंकि 31 नक्सली मारे गए.
मुठभेड़ स्थल बीजापुर जिला मुख्यालय से लगभग 80 किमी दूर और महाराष्ट्र सीमा से छत्तीसगढ़ के अंदर 40 किमी दूर है. उन्होंने बताया कि तीन दिन तक चले ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाकर्मियों ने लगभग 100 किमी पैदल चलकर तय किया.
उन्होंने बताया कि मुठभेड़ के बाद सुरक्षा बल माओवादियों के शवों को अस्थायी स्लिंग की मदद से लगभग पांच किलोमीटर तक ले आए, जिसके बाद हवाई परिवहन का सहारा लिया गया.
उन्होंने कहा, "सुरक्षा बलों के लिए 31 शवों को अपने कंधों पर उठाकर लगभग 45 किमी तक पैदल चलना संभव नहीं था क्योंकि वे पहले से ही थके हुए थे, 7 फरवरी से ऑपरेशन पर थे। इसलिए, शहीद जवानों और दो घायल कर्मियों के शवों को निकालने के साथ-साथ हमने नक्सलियों के शवों को भी हवाई मार्ग से ले जाने का फैसला किया."
अधिकारी ने बताया कि कुछ जवान, ज्यादातर महिला कमांडो, जो निर्जलीकरण से पीड़ित थे, उन्हें भी हवाई मार्ग से बीजापुर ले जाया गया. उन्होंने बताया कि मुठभेड़ स्थल से चौबीस आग्नेयास्त्र और भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद किए गए हैं.
मारे गए 31 नक्सलियों में से पांच की पहचान खूंखार कैडरों के रूप में की गई है, जिन पर कुल मिलाकर 25 लाख रुपये का इनाम था. अधिकारी ने कहा कि पांचों में से, माओवादियों के पश्चिम बस्तर डिवीजन के डिवीजनल कमेटी सदस्य हुंगा कर्मा पर 8 लाख रुपये का इनाम था.
अधिकारी ने कहा, "माओवादियों के पश्चिम और दक्षिण बस्तर डिवीजन क्षेत्र में उनकी सबसे मजबूत संरचनाएं हैं और पिछले एक साल में, पश्चिम बस्तर डिवीजन के कई प्रमुख कैडर समाप्त हो गए हैं."
इस साल अब तक राज्य में मारे गए 81 नक्सलियों में से 65 बीजापुर सहित सात जिलों वाले बस्तर संभाग में मारे गए. पुलिस के मुताबिक, पिछले साल छत्तीसगढ़ में अलग-अलग मुठभेड़ों में सुरक्षा बलों ने 219 नक्सलियों को मार गिराया था.
(Source PTI)