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Ram Ram by Bhupesh छत्तीसगढ़ के कण कण में राम, वनवास के दौरान 10 साल यहीं गुजरे- भूपेश बघेल

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Published : Mar 31, 2023, 9:38 AM IST

Updated : Mar 31, 2023, 1:56 PM IST

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चुनाव से पहले एक बार फिर राम नाम का जाप शुरू किया है. उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ के कण कण में राम है. हमारी परंपरा में राम है. छत्तीसगढ़ में जन्म से मृत्यु तक राम नाम का संचार होता है. राम छत्तीसगढ़ के भाचा (भांजा) है. इस वजह से छत्तीसगढ़ में भांजे के पैर मामा छूते हैं. छत्तीसगढ़ में उत्तर से दक्षिण तक पूर्व से पश्चिम तक रामवनगमन पथ है जिसका जल्द से जल्द विकास किया जाएगा. Ram in every particle in Chhattisgarh

Ram in every particle in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ के कण कण में राम

रायपुर: भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान 10 साल छत्तीसगढ़ में ही गुजारे. ये दावा छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश ने किया है. उन्होंने कहा " राम के बारे में छत्तीसगढ़ के लोगों को बताने की जरूरत नहीं है. हमारे जनजीवन में हमारी संस्कृति में राम है. गांव में राम कोठी बनाई जाती है. गांव में अकाल के समय उसी धान को निकालकर गांव में बांटा जाता है. किसी को परेशानी हो तो रामकोठी से ही धान निकालकर देते हैं. छत्तीसगढ़ में माता कौशल्या का मायका, चंदखुरी में उनका मंदिर, शिवरीनारायण में राम मंदिर, खरौर, तुरतुरिया में वाल्मीकी ऋषि का आश्रम है. वहीं वनवास के दौरान माता सीता रही थी. लव कुश का जन्म यहीं हुआ था. "

भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के "अटकन बटकन दही चटाका" गीत गाकर सुनाया और उसका अर्थ बताया-" अटकन बटकन दही चटाका लौउा लाठा बन में काठा, सावन में करेला फूटा चल चल बेटा गंगा जाबो, गंगा ले गोदावरी, पाका पाका बेल खाबो बेर की डाली टूट भरे कटोरा फूट गे अउ भरे ब्याहता छूट गे. इसका मतलब बताते उन्होंने कहा कि "इस गीत का संबंध छत्तीसगढ़ और माता सीता से जुड़ा है. अटकन बटकन मतलब दंडक वन में अटक गया भटक गया. लौउा लाठा बन में काठा यानी वन इतना सघन है, यहां इमली आम बेर के पेड़ है. जो खट्टे है. बेल और बबूल के झाड़ कांटों से भरे हैं. इनके चुभने से खून निकल जाता है. सावन की महिमा प्रीतम से मिलने की होती है. लेकिन इस माह में करेला का फूलना प्रीतम की कड़वाहट का प्रतीक है. सीता जी इन परिस्थितियों में व्यथित होकर अपने बेटों से कहती है. यहां से गंगा और गोदवरी के घाट में बेल के बहुत पेड़ है, वह शिवजी का क्षेत्र है. बेल के पेड़ काफी मजबूत होते हैं लेकिन उसकी डाली भी टूट गई और ब्याहता पति का साथ छूट गया. भरे कटोरा यानी धान का कटोरा फूट गया."

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छत्तीसगढ़ के कण कण में राम: "राम से हमारा जुड़ाव है. सरगुजा से जांजगीर चांपा शिवरी नारायण होते हुए बस्तर तक रामवनगमन है. हमारे गांव के नाम राम नाम पर हैं. छत्तीसगढ़ में दो लाख से ऊपर रमरमिया हैं. जो पूरे शरीर में राम नाम का गोदना गोदवाते हैं. ये ऋषि मुनि का प्रदेश हैं. छत्तीसगढ़ में जन्म से मृत्यु तक राम नाम की परंपरा है. जो दिया है वो राम का हैं जो ले जाएंगे वो भी राम का है. "

गुरुवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रामनवमी के अवसर पर हनुमान चालीसा महापाठ कार्यक्रम में भी शामिल हुए. रायपुर के बलवीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम परिसर में श्री हनुमान महापाठ समिति और लाइफ मैनेजमेंट ग्रुप की तरफ से आयोजित किया गया था. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी हनुमान भक्तों के साथ हनुमान चालीसा का पाठ किया.

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हनुमान चालीसा महापाठ में भूपेश बघेल: सीएम भूपेश बघेल ने कहा "हनुमान जी भक्ति ज्ञान और शक्ति के समुच्चय हैं. उनसे बड़ा कोई योगी नहीं, उनसे बड़ा कोई भक्त ज्ञानी या बलशाली नहीं हैं. हनुमान जी जैसा चरित्र शायद ही किसी वेद, पुराण या ग्रंथ में मिलेगा."कार्यक्रम में राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास, शदाणी दरबार के पीठाधीश्वर महंत युधिष्ठिर लाल, सांसदसुनील सोनी, विधायक बृजमोहन अग्रवाल, रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद शर्मा, छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा उपस्थित रहे.

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रायपुर: भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान 10 साल छत्तीसगढ़ में ही गुजारे. ये दावा छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश ने किया है. उन्होंने कहा " राम के बारे में छत्तीसगढ़ के लोगों को बताने की जरूरत नहीं है. हमारे जनजीवन में हमारी संस्कृति में राम है. गांव में राम कोठी बनाई जाती है. गांव में अकाल के समय उसी धान को निकालकर गांव में बांटा जाता है. किसी को परेशानी हो तो रामकोठी से ही धान निकालकर देते हैं. छत्तीसगढ़ में माता कौशल्या का मायका, चंदखुरी में उनका मंदिर, शिवरीनारायण में राम मंदिर, खरौर, तुरतुरिया में वाल्मीकी ऋषि का आश्रम है. वहीं वनवास के दौरान माता सीता रही थी. लव कुश का जन्म यहीं हुआ था. "

भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के "अटकन बटकन दही चटाका" गीत गाकर सुनाया और उसका अर्थ बताया-" अटकन बटकन दही चटाका लौउा लाठा बन में काठा, सावन में करेला फूटा चल चल बेटा गंगा जाबो, गंगा ले गोदावरी, पाका पाका बेल खाबो बेर की डाली टूट भरे कटोरा फूट गे अउ भरे ब्याहता छूट गे. इसका मतलब बताते उन्होंने कहा कि "इस गीत का संबंध छत्तीसगढ़ और माता सीता से जुड़ा है. अटकन बटकन मतलब दंडक वन में अटक गया भटक गया. लौउा लाठा बन में काठा यानी वन इतना सघन है, यहां इमली आम बेर के पेड़ है. जो खट्टे है. बेल और बबूल के झाड़ कांटों से भरे हैं. इनके चुभने से खून निकल जाता है. सावन की महिमा प्रीतम से मिलने की होती है. लेकिन इस माह में करेला का फूलना प्रीतम की कड़वाहट का प्रतीक है. सीता जी इन परिस्थितियों में व्यथित होकर अपने बेटों से कहती है. यहां से गंगा और गोदवरी के घाट में बेल के बहुत पेड़ है, वह शिवजी का क्षेत्र है. बेल के पेड़ काफी मजबूत होते हैं लेकिन उसकी डाली भी टूट गई और ब्याहता पति का साथ छूट गया. भरे कटोरा यानी धान का कटोरा फूट गया."

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गुरुवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रामनवमी के अवसर पर हनुमान चालीसा महापाठ कार्यक्रम में भी शामिल हुए. रायपुर के बलवीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम परिसर में श्री हनुमान महापाठ समिति और लाइफ मैनेजमेंट ग्रुप की तरफ से आयोजित किया गया था. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी हनुमान भक्तों के साथ हनुमान चालीसा का पाठ किया.

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हनुमान चालीसा महापाठ में भूपेश बघेल: सीएम भूपेश बघेल ने कहा "हनुमान जी भक्ति ज्ञान और शक्ति के समुच्चय हैं. उनसे बड़ा कोई योगी नहीं, उनसे बड़ा कोई भक्त ज्ञानी या बलशाली नहीं हैं. हनुमान जी जैसा चरित्र शायद ही किसी वेद, पुराण या ग्रंथ में मिलेगा."कार्यक्रम में राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास, शदाणी दरबार के पीठाधीश्वर महंत युधिष्ठिर लाल, सांसदसुनील सोनी, विधायक बृजमोहन अग्रवाल, रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद शर्मा, छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा उपस्थित रहे.

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Last Updated : Mar 31, 2023, 1:56 PM IST
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