रायपुर: राजनीतिक कमेटी इस दौरान वैशाली और नालंदा का भी दौरा करेगी. कमेटी के सदस्य और कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि बिहार में शराबबंदी जरूरी हो गई है. लेकिन अभी भी यहां शराब वहां आसानी से मिल जाता है. यहां पर इसी चीज का अध्ययन हम कर रहे हैं कि यहां पर अगर शराबबंदी हो गई है. तो फिर शराब यहां मिल कैसे रही है. शराब की अवैध सप्लाई चेन और अवैध तरीके से शराब बेचने के तकनकों के बारे में भी हम यहां पर जानकारी ले रहे हैं. ताकि इसे पूरी तरह से रोका जा सके. शराबबंदी के पहले के प्रदेश के हालात, बंदी के लिए कानून, पुलिस और प्रशासन की तरफ से इसे लागू कराने में सहभागिता और शराब के बंद होने से पैदा होने वाली दिक्कतों से लेकर जानकारी इतट्ठा हम कर रहे हैं."
बिहार के बाद मिजोरम जाएगी कमेटी: इस विषय में जानकारी देते हुए आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने बताया कि "शराबबंदी के लिए बनाई गई टीम बिहार के लिए रवाना हो गई है. जहां वे तीन दिनों तक शराबबंदी के लिए अध्ययन करेंगे. फिर कमेटी मिजोरम के लिए रवाना होगी. इन राज्यों की नीतियों का अध्ययन करने के बाद कमेटी अपना रिपोर्ट राज्य सरकार को देगी. इस रिपोर्ट का पूरी तरह से अध्ययन कर कोई निर्णय लिया जाएगा."
ये तीन कमेटियां सरकार ने बनाई हैं: शराबबंदी के लिए राज्य सरकार ने तीन समितियं बनाई हैं. जिसमें से पहली समिति शराबबंदी वाले राज्यों का अध्ययन करेगी. वहीं दूसरी कमेटी सामाजिक संगठनों से चर्चा करेगी. जबकि तीसरी कमेटी में राज्य के मुख्य दलों के विधायक को शामिल किया गया है.
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यहां हो चुकी है शराबबंदी: गुजरात देश में शराबबंदी करने वाला पहला राज्य है. जिसने 1960 में शराबबंदी नीति को लागु किया था. 2016 में बिहार में भी शराबबंदी की गई. मिजोरम, नागालैंड और लक्षद्वीप में भी शराबबंदी लागू की गई है. मणिपुर ने 1991 से शराबबंदी लागू की गई थी. लेकिन बाद में इसमें कुछ संसोधन कर दिए गए. हरियाणा और आंध्रप्रदेश ने भी शराबबंदी की थी. लेकिन राजस्व घाटे की वजह से इसे बाद में हटा दिया गया.