रायपुर : छत्तीसगढ़ में नींबू की खेती या फिर नर्सरी की अपार संभावनाएं हैं. नींबू की ऑर्गेनिक खेती करके प्रदेश के किसान अधिक उत्पादन लेने के साथ ही अच्छा आय भी अर्जित कर सकते हैं. नींबू बहुवर्षीय फसल है, जो एक बार बीज लगाने के बाद साल दर साल नींबू का फल लगता है. वैसे तो आमतौर पर नींबू का उपयोग आचार या सलाद के समय इसका उपयोग किया जाता है. करोना महामारी के दौरान नींबू के दाम आसमान छूने लगे थे, राजधानी के बाजार में प्रति नींबू की कीमत लगभग 10 रुपये थी. ऐसे में हर घर की बगिया में नींबू का पेड़ होना चाहिए.Lemon crop gave you big profit
नींबू की खेती है लाभदायक : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (Indira Gandhi Agricultural University) के उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ घनश्याम दास साहू ने बताया कि "नींबू का व्यावसायिक खेती करना है, तो एनआरसी नागपुर से रिलीज किस्में जैसे प्रमालिनी, विक्रम साइन, शरबती और सीटलेस लाइम जैसी नींबू की किस्में अच्छी मानी गई है. इन किस्मों में बीज नहीं के बराबर होता है. साइज बड़ा होने के साथ ही इसमें रस और जूस की मात्रा भी अधिक होती है. नींबू का एसेंस भी तैयार किया जाता है, जो परफ्यूम डियो और खाने के चीजों में इस्तेमाल होता है. व्यावसायिक रूप से नींबू की खेती या नर्सरी लगानी है, तो ऑर्गेनिक खेती करना अच्छा माना गया है. ऑर्गेनिक खेती करते समय बायो फर्टिलाइजर के रूप में केंचुआ का वास और गोमूत्र का छिड़काव नींबू के पौधा या पेड़ों में करने से नींबू का अधिक उत्पादन लिया जा सकता है."know farming tips of lemon
नींबू को किस कीट का खतरा : नींबू में लेमन बटरफ्लाई कीट का प्रकोप बारिश के दिनों में अक्सर देखने को मिलता है. इसके साथ ही ठंड के समय जब नींबू के पेड़ों पर नई पत्तियां निकलती है, तो उस समय इसका अटैक ज्यादा होता है. ऐसे में ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को 1 लीटर पानी में 2ml नीम आयल का छिड़काव करने से इस प्रकोप से काफी हद तक बचा जा सकता है. प्रदेश के किसान खेतों और बाड़ी में नींबू लगाते इस बात का ध्यान रखें की पौधे से पौधे की दूरी 3 मीटर और कतार से कतार की दूरी 3 मीटर होनी चाहिए. प्रदेश के किसान साल में दो बार जुलाई और नवंबर या दिसंबर के महीने में ऑर्गेनिक खाद की संतुलित मात्रा का छिड़काव करके नींबू का अधिक उत्पादन ले सकते हैं.