रायपुर: स्वामी विवेकानंद की जयंती विश्व भर में युवा दिवस के रूप में मनाई जाती है. युवाओं के आदर्श स्वामी विवेकानंद ने अपने संदेशों के माध्यम से हमेशा युवाओं को जागृत किया है और उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाया है.
रायपुर शहर से स्वामी विवेकानंद का गहरा नाता रहा है. यहां स्थित विवेकानंद आश्रम में उनके बताए हुए मार्गों पर कई तरह के क्रियाकलाप आए दिन आयोजित होते रहते हैं. हमने इसी संस्था के सचिव स्वामी सत्यरूपानंद से बात की और आज के युवाओं के लिए स्वामी विवेकानंद के संदेश कितने प्रासंगिक हैं उन्हें संक्षेप में समझने की कोशिश की.
स्वामी सत्यरूपानंद ने कहा कि राष्ट्र और समाज के निर्माण में हर काल में स्वामी विवेकानंद के संदेश प्रासंगिक हैं. खासतौर पर युवा और बाल समाज के लिए उनके संदेश प्रेरणादायक हैं.
'आत्मसंयम करना सीखो, शरीर और मन से दृढ़ बनों'
स्वामी विवेकानंद हमेशा युवाओं को संदेश देते थे कि आत्मसंयम करना सीखो, शरीर और मन से दृढ़ बनों क्योंकि अगर आप शरीर और मन से दृढ़ नहीं बनेंगे तो जीवन में सफलता पाना बहुत मुश्किल है.
'स्वाधीन भारत में जन्म लेने पर युवाओं को गर्व होना चाहिए'
युवाओं को स्वाधीन भारत में जन्म लेने पर गर्व महसूस करना चाहिए. भारत जगत गुरु रहा है अपनी मातृभूमि का सम्मान करते हुए गर्व महसूस करना चाहिए.
'भारतीय संस्कृति का ज्ञान युवाओं को अवश्य होना चाहिए'
भारतीय संस्कृति का ज्ञान होना आवश्यक है. हमारी संस्कृति आध्यत्मिक संस्कृति है, ईश्वर और नैतिकता पर विश्वास करने वाली संस्कृति है. व्यक्तित्व के विकास के लिए संस्कृति का ज्ञान जरूरी है.
'ईश्वर पर विश्वास करें क्योंकि हम सभी उनके ही अंश है'
किसी भी धर्म या संप्रदाय से ताल्लुक रखते हो उसपर विश्वास होना चाहिए क्योंकि हम सभी ईश्वर के अंश है. नास्तिकता से बचना बेहद जरूरी है.
'अच्छा चरित्र ही हमें अच्छा और सफल इंसान बना सकता है'
अच्छा चरित्र ही हमें अच्छा इंसान बना सकता है चाहे हम शिक्षक हो या राजनेता हमारा चरित्र ही तय करता है कि हम अपने क्षेत्र में कितने बेहतर और सफल होंगे, इसलिए चरित्र को अच्छा और मजबूत बनाएं.
वैसे तो स्वामी विवेकानंद की पूरी जीवन यात्रा अपने आप में एक संदेश है लेकिन आज के परिप्रेक्ष्य में युवाओं के लिए उनका संदेश बेहद अहम है.