रायपुर: रायपुर सहित पूरे देश में कई दुर्लभ प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है, लेकिन महासमुंद जिले के सिरपुर में स्थित लक्ष्मण मंदिर पूरे देश में ईंटों से निर्मित अपनी तरह का यह पहला और अनोखा मंदिर है. इस मंदिर का निर्माण महारानी वासटा देवी ने अपने पति की याद में बनवाई थी, जिस तरह से शाहजहां ने मुमताज की याद में ताजमहल का निर्माण कराया था. इतिहासकार और पुरातत्वविद की मानें तो ईंटों से निर्मित यह मंदिर सिरपुर की महिला शिल्पी वासटा देवी ने बनवाया था और आज भी ईंटों से बना यह मंदिर लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस लक्ष्मण मंदिर में भगवान लक्ष्मण के शेषनाग रूप में मूर्ति स्थापित है. सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर 5 वीं शताब्दी में पांडूवंशीय राजाओं के शासनकाल में बनवाया गया था.
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ईंटों से बने लक्ष्मण मंदिर भारत का इकलौता मंदिर: इतिहासकार और पुरातत्वविद डॉक्टर हेमू यादव बताते हैं कि "सिरपुर स्थित ईंटों से निर्मित यह लक्ष्मण मंदिर पूरे भारत में अपनी तरह का अनोखा और इकलौता मंदिर है. ईटों में शिल्पकारी कम ही देखने को मिलता है. उन्होंने कहा कि इसे ईटों के ताजमहल के नाम से भी जाना जाता है. पुरातत्वविद और इतिहासकार ने सिरपुर के लक्ष्मण मंदिर को लेकर एक किताब भी लिखी है, जिसका शीर्षक है "सिरपुर की महिला शिल्पी महारानी वासटा देवी" के नाम से है.
5 वीं शताब्दी में सिरपुर में पांडूवंशीय राजाओं का शासन था और हर्षगुप्त हुआ करते थे. राजा हर्ष गुप्त वैष्णव संप्रदाय से प्रेम करते थे, लेकिन राजा शैव संप्रदाय से जुड़े हुए थे. जीवित रहते हुए राजा हर्षगुप्त ने अपनी महारानी वासटा देवी से इच्छा जताई थी कि मेरी मृत्यु होने के बाद एक मंदिर का निर्माण कराया जाए. महारानी ने अपने पति की याद में सिरपुर में लक्ष्मण मंदिर का निर्माण करवाया था, महारानी वासटा देवी राजा सूर्यदेव की पुत्री और मगध की राजकुमारी थी."
पति की याद में महारानी वासटा देवी ने बनवाया था सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर: इतिहासकार और पुरातत्वविद हेमू यदु का कहना है कि "पति की मृत्यु के बाद उनकी इच्छा को पूरा करना महारानी वासटा देवी का पहला सपना था. महारानी वासटा देवी ने आसपास के सभी शिल्पकार और कारीगरों को बुलाकर मंदिर निर्माण करने पर विचार किया. कुछ कारीगर और शिल्पकार ने ईटो से मंदिर बनाने के लिए मना कर दिया.
जिसके बाद एक वृद्ध शिल्पकार जिसने राजिम में ईट से मंदिर का निर्माण कराया था, उसे बुलाया गया और महारानी वासटा देवी के दिशा निर्देश पर ईटों से लक्ष्मण मंदिर का निर्माण कराया गया. महारानी वासटा देवी एक शिल्पकार भी थी, जो शिल्पकार और नक्काशी की कला में पारंगत थी. सिरपुर के लक्ष्मण मंदिर में भगवान लक्ष्मण का शेषनाग रूप में मूर्ति स्थापित है.