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लाल बहादुर शास्त्री जयंतीः पढ़ाई का ऐसा जुनून कि हर रोज नदी तैरकर जाते थे स्कूल

आज लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri)जी का जन्म दिन है. ये देश के दूसरे प्रधानमंत्री (Second Prime Minister) थे. इनके बलिदान और उसूलों को आज भी याद किया जाता है. ये पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें मृत्यु के बाद भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से नवाजा गया. इनसे जु़ड़ी कुछ खास बातें ETV भारत आप तक पहुंचा रहा है.

lal bahadur shastri jayanti
लाल बहादुर शास्त्री जयंती
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Published : Oct 2, 2021, 7:45 AM IST

रायपुरः देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Second Prime Minister Lal Bahadur Shastri) का जन्म 2 अक्टूबर को मनाया जाता है. 2 अक्टूबर को देश के दो महान नेता की जयंती मनाई जाती है. आज ही के दिन महात्मा गांधी (Mahatma gandhi) का भी जन्म हुआ था और आज ही के दिन देश के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ( Lal Bahadur Shastri) जी का भी जन्मदिन है. इन दोनों ने अपना पूरा जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया था. शास्त्री जी का जन्म यूपी के मुगलसराय (Mughalsarai of UP) में 2 अक्टूबर, 1904 को हुआ था. इनके पिता का नाम शारदा प्रसाद और माता का नाम रामदुलारी देवी था. भारत की आजादी में लाल बहादुर शास्त्री का खास योगदान है. आज उनके जन्म दिवस के अवसर पर हम आपकों उनके बारे में कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं, जो जानना बेहद जरूरी है.

साल 1920 में शास्त्री जी भारत के आजादी की लड़ाई (India's freedom struggle) में शामिल हो गए थे.स्वाधीनता संग्राम (Freedom struggle)के जिन आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, इनमें मुख्‍य रूप से 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी मार्च और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन शामिल है. शास्त्रीजी ने ही देश को जय जवान, जय किसान का नारा दिया था.बताया जाता है कि बचपन में ही पिता की मौत के कारण वो अपनी मां के साथ नाना के यहां मिर्जापुर चले गए. यहीं पर उनकी प्राथमिक शिक्षा हुई. कहा जाता है कि नदी तैरकर वो हर दिन स्कूल जाया करते थे, क्योंकि उस समय बहुत कम गांवों में ही स्कूल हुआ करता था.

2 अक्टूबर गांधी जयंती पर मनाया जाता है विश्व अहिंसा दिवस, जानिए वजह

पहली बार महिला कंडक्टरों की नियुक्ति

उस दौर में देश में गहरी जड़ें जमाने वाली जाति-व्यवस्था का विरोध करते हुए 12 वर्ष की आयु में उन्होंने अपना उपनाम 'श्रीवास्तव' छोड़ दिया था. स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें 'शास्त्री' की उपाधि दी गई. वहीं, 15 अगस्त 1947 में शास्त्री जी पुलिस व परिवहन मंत्री बने. उनके कार्यकाल के दौरान पहली बार महिला कंडक्टरों की नियुक्ति की गई थी. उन्होंने ही अनियंत्रित भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठियों के बजाय पानी के जेट के इस्तेमाल का सुझाव दिया था.बताया जा रहा है कि शास्त्री जी काफी उसूलों वाले थे. आधिकारिक उपयोग के लिए उनके पास शेवरले इम्पाला कार थी.एक बार की बात है जब उनके बेटे ने ड्राइव के लिए कार का इस्तेमाल किया था, शास्त्री को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने अपने ड्राइवर से कहा कि कार का इस्तेमाल निजी इस्तेमाल के लिए कितनी दूरी पर किया गया और बाद में सरकारी खाते में पैसे जमा कर दिए गए.

जय जवान जय किसान का नारा

फिर 1952 में शास्त्री जी रेल मंत्री बने, लेकिन 1956 में तमिलनाडु में एक ट्रेन दुर्घटना में लगभग 150 यात्रियों की मौत के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. वहीं दूध के उत्पादन और आपूर्ति को बढ़ाने के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने श्वेत क्रांति को बढ़ावा दिया. साथ ही भारत के खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने हरित क्रांति को बढ़ावा दिया. लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बनने के बाद 1965 में भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ जिसमें शास्त्री जी ने विषम परिस्थितियों में देश को संभाले रखा.सेना के जवानों और किसानों महत्व बताने के लिए उन्होंने 'जय जवान जय किसान' का नारा भी दिया.

1951 में दिल्ली आए

आजादी के बाद वे 1951 में नई दिल्ली आ गए और केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई विभागों का प्रभार संभाला. वह रेल मंत्री, परिवहन एवं संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री एवं नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री भी रहे.जब शास्त्री जी प्रधानमंत्री थे तो उनके परिवार ने उन्हें एक कार खरीदने के लिए कहा था. उस वक्त उन्होंने जो फिएट कार खरीदी वह 12,000 रुपये में थी. चूंकि उनके बैंक खाते में केवल 7,000 रुपये थे, इसलिए उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से 5,000 रुपये के बैंक लोन के लिए आवेदन किया. कार को आज नई दिल्ली के शास्त्री मेमोरियल में रखा गया है.

जब देश में अन्न की कमी हुई

भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश में अन्न की कमी हो गई थी. देश भुखमरी की समस्या से जूझ रहा था. ऐसे संकट के समय में लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी तनख्वाह लेनी बंद कर दी और उन्‍होंने देश के लोगों से अपील की कि वो हफ्ते में एक दिन एक वक्त व्रत रखें. उनकी अपील को अच्छी प्रतिक्रिया मिली और सोमवार शाम को भोजनालयों ने शटर बंद कर दिए और जल्द ही लोगों ने इसे 'शास्त्री व्रत' कहना शुरू कर दिया.

मरणोपरांत मिला ये सम्मान

बताया जा रहा है कि लाल बहादुर शास्त्री जी ने 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी को अंतिम सांस ली थी. उनकी मृत्यु को आज भी एक रहस्य माना जाता है. वहीं मरने के बाद भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से नवाजे जाने वाले वो पहले व्यक्ति थे.

रायपुरः देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Second Prime Minister Lal Bahadur Shastri) का जन्म 2 अक्टूबर को मनाया जाता है. 2 अक्टूबर को देश के दो महान नेता की जयंती मनाई जाती है. आज ही के दिन महात्मा गांधी (Mahatma gandhi) का भी जन्म हुआ था और आज ही के दिन देश के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ( Lal Bahadur Shastri) जी का भी जन्मदिन है. इन दोनों ने अपना पूरा जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया था. शास्त्री जी का जन्म यूपी के मुगलसराय (Mughalsarai of UP) में 2 अक्टूबर, 1904 को हुआ था. इनके पिता का नाम शारदा प्रसाद और माता का नाम रामदुलारी देवी था. भारत की आजादी में लाल बहादुर शास्त्री का खास योगदान है. आज उनके जन्म दिवस के अवसर पर हम आपकों उनके बारे में कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं, जो जानना बेहद जरूरी है.

साल 1920 में शास्त्री जी भारत के आजादी की लड़ाई (India's freedom struggle) में शामिल हो गए थे.स्वाधीनता संग्राम (Freedom struggle)के जिन आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, इनमें मुख्‍य रूप से 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी मार्च और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन शामिल है. शास्त्रीजी ने ही देश को जय जवान, जय किसान का नारा दिया था.बताया जाता है कि बचपन में ही पिता की मौत के कारण वो अपनी मां के साथ नाना के यहां मिर्जापुर चले गए. यहीं पर उनकी प्राथमिक शिक्षा हुई. कहा जाता है कि नदी तैरकर वो हर दिन स्कूल जाया करते थे, क्योंकि उस समय बहुत कम गांवों में ही स्कूल हुआ करता था.

2 अक्टूबर गांधी जयंती पर मनाया जाता है विश्व अहिंसा दिवस, जानिए वजह

पहली बार महिला कंडक्टरों की नियुक्ति

उस दौर में देश में गहरी जड़ें जमाने वाली जाति-व्यवस्था का विरोध करते हुए 12 वर्ष की आयु में उन्होंने अपना उपनाम 'श्रीवास्तव' छोड़ दिया था. स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें 'शास्त्री' की उपाधि दी गई. वहीं, 15 अगस्त 1947 में शास्त्री जी पुलिस व परिवहन मंत्री बने. उनके कार्यकाल के दौरान पहली बार महिला कंडक्टरों की नियुक्ति की गई थी. उन्होंने ही अनियंत्रित भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठियों के बजाय पानी के जेट के इस्तेमाल का सुझाव दिया था.बताया जा रहा है कि शास्त्री जी काफी उसूलों वाले थे. आधिकारिक उपयोग के लिए उनके पास शेवरले इम्पाला कार थी.एक बार की बात है जब उनके बेटे ने ड्राइव के लिए कार का इस्तेमाल किया था, शास्त्री को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने अपने ड्राइवर से कहा कि कार का इस्तेमाल निजी इस्तेमाल के लिए कितनी दूरी पर किया गया और बाद में सरकारी खाते में पैसे जमा कर दिए गए.

जय जवान जय किसान का नारा

फिर 1952 में शास्त्री जी रेल मंत्री बने, लेकिन 1956 में तमिलनाडु में एक ट्रेन दुर्घटना में लगभग 150 यात्रियों की मौत के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. वहीं दूध के उत्पादन और आपूर्ति को बढ़ाने के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने श्वेत क्रांति को बढ़ावा दिया. साथ ही भारत के खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने हरित क्रांति को बढ़ावा दिया. लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बनने के बाद 1965 में भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ जिसमें शास्त्री जी ने विषम परिस्थितियों में देश को संभाले रखा.सेना के जवानों और किसानों महत्व बताने के लिए उन्होंने 'जय जवान जय किसान' का नारा भी दिया.

1951 में दिल्ली आए

आजादी के बाद वे 1951 में नई दिल्ली आ गए और केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई विभागों का प्रभार संभाला. वह रेल मंत्री, परिवहन एवं संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री एवं नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री भी रहे.जब शास्त्री जी प्रधानमंत्री थे तो उनके परिवार ने उन्हें एक कार खरीदने के लिए कहा था. उस वक्त उन्होंने जो फिएट कार खरीदी वह 12,000 रुपये में थी. चूंकि उनके बैंक खाते में केवल 7,000 रुपये थे, इसलिए उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से 5,000 रुपये के बैंक लोन के लिए आवेदन किया. कार को आज नई दिल्ली के शास्त्री मेमोरियल में रखा गया है.

जब देश में अन्न की कमी हुई

भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश में अन्न की कमी हो गई थी. देश भुखमरी की समस्या से जूझ रहा था. ऐसे संकट के समय में लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी तनख्वाह लेनी बंद कर दी और उन्‍होंने देश के लोगों से अपील की कि वो हफ्ते में एक दिन एक वक्त व्रत रखें. उनकी अपील को अच्छी प्रतिक्रिया मिली और सोमवार शाम को भोजनालयों ने शटर बंद कर दिए और जल्द ही लोगों ने इसे 'शास्त्री व्रत' कहना शुरू कर दिया.

मरणोपरांत मिला ये सम्मान

बताया जा रहा है कि लाल बहादुर शास्त्री जी ने 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी को अंतिम सांस ली थी. उनकी मृत्यु को आज भी एक रहस्य माना जाता है. वहीं मरने के बाद भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से नवाजे जाने वाले वो पहले व्यक्ति थे.

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