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रायपुर: कोरोना नहीं भूख से मरने की नौबत, दिहाड़ी मजदूरों ने लगाई सरकार से मदद की गुहार

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Published : Sep 25, 2020, 4:48 PM IST

Updated : Sep 25, 2020, 8:24 PM IST

छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन की वजह से मजदूर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. लॉकडाउन और अनलॉक की आंख मिचौली से दिहाड़ी मजदूर परेशान हैं. मजदूरों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से दो वक्त का खाना नसीब नहीं हो पा रहा है. अब सरकार से मदद की दरकार है.

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रायपुर में काम नहीं मिलने से मजदूर परेशान

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस के कारण बार-बार हो रहे लॉकडाउन से लोग उबर नहीं पा रहे हैं. सरकार ने लॉकडाउन में छूट भले ही दे दी हो, लेकिन इसका असर अब लोगों के काम पर लिख रहा है. लॉकडाउन के दौरान काम नहीं मिलने से मजदूर खासा परेशान हैं. मजदूरों को अपने घर चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आलम यह है कि मजदूर कई दिनों तक बिना खाए भूखे-प्यासे रह रहे हैं. दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो पा रही है. दिहाड़ी मजदूरों का हाल इस लॉकडाउन ने खस्ता कर दिया है.

कोरोना की वजह से हुई भूखे मरने की नौबत

SPECIAL : कहां गए सरकार के दावे, आखिर क्यों रोटी के लिए मजदूर फिर शहरों की ओर भागे

कोविड-19 की वजह से लगे लॉकडाउन ने मजदूरों की कमर तोड़ दी है. मजदूरों के घरों में राशन तक नहीं है, जिसकी वजह से उन्हें अपने बच्चों को भूखा पेट ही सुलाना पड़ रहा है. मजदूर भी बिना कुछ खाए पिए ही काम की तलाश में निकल रहा है. मजदूरों का कहना है कि बार-बार हो रहे लॉकडाउन की वजह से सारे काम लगभग बंद हैं. इस वजह से उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. पिछले 6 महीने से उन्हें ज्यादा कोई काम नहीं मिला है. इस वजह से उनके सिर पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है. घर में बच्चों के खाने तक के पैसे नहीं होने से वह काफी परेशान हैं.

labours struggling with economic crisis due to lockdown in Chhattisgarh
रायपुर में काम नहीं मिलने से मजदूर परेशान

बचपन पर दलालों का साया, झारखंड का मनातू बना बाल मजदूरी का केंद्र

गांव से काम ढूंढने शहर पहुंच रहे लोग

कुछ मजदूरों ने बताया कि वह आस-पास के गांव से मजदूरी करने के लिए रायपुर आते हैं. बार-बार हो रहे लॉकडाउन में गाड़ी तक नहीं चल रही है, तो वह काम की तलाश में पैदल रायपुर आ रहे हैं. काम मिलने की आस में मजदूर रोजाना 20 से 25 किलोमीटर का फासला तय कर शहर आते हैं, लेकिन हर बार इन मजदूरों को निराशा ही हाथ लगता है.

कोरोना से नहीं भूख से मर जाएंगे साहब

इन मजदूरों ने सरकार से अनुरोध किया है कि लॉकडाउन करना अच्छी चीज है. इससे हम लोग कोरोना वायरस से बच सकते हैं, लेकिन लॉकडाउन में भूख से नहीं बच सकते हैं. सरकार को दिहाड़ी मजदूरों की ओर ध्यान देने की जरूरत है. ताकि दिहाड़ी मजदूरों को भी दो वक्त की रोटी नसीब हो सके.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस के कारण बार-बार हो रहे लॉकडाउन से लोग उबर नहीं पा रहे हैं. सरकार ने लॉकडाउन में छूट भले ही दे दी हो, लेकिन इसका असर अब लोगों के काम पर लिख रहा है. लॉकडाउन के दौरान काम नहीं मिलने से मजदूर खासा परेशान हैं. मजदूरों को अपने घर चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आलम यह है कि मजदूर कई दिनों तक बिना खाए भूखे-प्यासे रह रहे हैं. दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो पा रही है. दिहाड़ी मजदूरों का हाल इस लॉकडाउन ने खस्ता कर दिया है.

कोरोना की वजह से हुई भूखे मरने की नौबत

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कोविड-19 की वजह से लगे लॉकडाउन ने मजदूरों की कमर तोड़ दी है. मजदूरों के घरों में राशन तक नहीं है, जिसकी वजह से उन्हें अपने बच्चों को भूखा पेट ही सुलाना पड़ रहा है. मजदूर भी बिना कुछ खाए पिए ही काम की तलाश में निकल रहा है. मजदूरों का कहना है कि बार-बार हो रहे लॉकडाउन की वजह से सारे काम लगभग बंद हैं. इस वजह से उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. पिछले 6 महीने से उन्हें ज्यादा कोई काम नहीं मिला है. इस वजह से उनके सिर पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है. घर में बच्चों के खाने तक के पैसे नहीं होने से वह काफी परेशान हैं.

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रायपुर में काम नहीं मिलने से मजदूर परेशान

बचपन पर दलालों का साया, झारखंड का मनातू बना बाल मजदूरी का केंद्र

गांव से काम ढूंढने शहर पहुंच रहे लोग

कुछ मजदूरों ने बताया कि वह आस-पास के गांव से मजदूरी करने के लिए रायपुर आते हैं. बार-बार हो रहे लॉकडाउन में गाड़ी तक नहीं चल रही है, तो वह काम की तलाश में पैदल रायपुर आ रहे हैं. काम मिलने की आस में मजदूर रोजाना 20 से 25 किलोमीटर का फासला तय कर शहर आते हैं, लेकिन हर बार इन मजदूरों को निराशा ही हाथ लगता है.

कोरोना से नहीं भूख से मर जाएंगे साहब

इन मजदूरों ने सरकार से अनुरोध किया है कि लॉकडाउन करना अच्छी चीज है. इससे हम लोग कोरोना वायरस से बच सकते हैं, लेकिन लॉकडाउन में भूख से नहीं बच सकते हैं. सरकार को दिहाड़ी मजदूरों की ओर ध्यान देने की जरूरत है. ताकि दिहाड़ी मजदूरों को भी दो वक्त की रोटी नसीब हो सके.

Last Updated : Sep 25, 2020, 8:24 PM IST
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