रायपुर: कोरोना संकट के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन में सबसे ज्यादा परेशानी मजदूरों के हिस्से में आई है. पूरे देश के कोने-कोने से मजदूर अपने-अपने घरों की ओर जाने के लिए निकल पड़े हैं. जिसे जो साधन मिल रहा है, उसकी मदद से आगे बढ़ रहा है. वहीं कई मजदूर पैदल ही निकल पड़े हैं. मजदूर अब सिर्फ जल्द से जल्द अपने घर पहुंचना चाहते हैं. राजधानी रायपुर में गुरुवार को मुंबई से निकले हुए कई मजदूर साइकिल से पहुंचे. 6 दिनों तक लगातार साइकिल चलाने के बाद ये मजदूर रायपुर पहुंचे, जो ओडिशा जाने के लिए निकले हैं.
इतने दिनों से न उन्होंने ठीक से खाना खाया, न ही उनके लिए कहीं भी रुकने का ठिकाना रहा. मजदूरों ने कहा कि वह बस अब घर पहुंचना चाहते हैं. उन्होंने मुंबई से ही साइकिल खरीदी और अपने गृहग्राम की तरफ जाने के लिए निकल पड़े. इतनी दूर का सफर साइकिल से करने के बाद भी उन मजदूरों के चेहरे पर शिकन नहीं थी, उनमें सिर्फ घर पहुंचने की ललक थी. शासन-प्रशासन की तरफ से लाख दावे किए जा रहे हैं कि मजदूरों के लिए बेहतर व्यवस्था की जा रही है, लेकिन प्रवासी मजदूरों के आने-जाने का सिलसिला लगातार जारी है.
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लगातार परेशान हो रहे हैं मजदूर
कोरोना संकट ने मजदूरों से उनकी रोजी-रोटी छीन ली. उनके रहने का ठिकाना छीन लिया. वे दो वक्त के निवाले के मोहताज हो गए. वहीं लॉकडाउन की वजह से लाखों मजदूर 24 घंटे पैदल चल रहे हैं, ताकि वे घर पहुंच जाएं. इस बीच कई मजदूरों की जान भी चली गई. सरकार ने मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था जरूर की है, लेकिन अभी भी कई मजदूर इससे अनजान हैं और उन्हें इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है. जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ और ही है.