रायपुर: आपने ये बात तो सुनी ही होगी की ईश्वर के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं. ऐसी ही उम्मीद के साथ जीवन जी रहे 56 साल के मजदूर को अब घर वासपी का रास्ता मिल गया. आप भी इस बात को सुनकर हैरान हो जाएंगे कि कैसे एक इंसान मौत के मुँह से बचकर डेढ़ साल तक भटकता रहा. लेकिन अंत में उसे अपने घर वापस जाने का रास्ता छत्तीसगढ़ से मिला. कौन है और कहां का रहने वाला है ये शख्स. आइये आपको बताते हैं. (Ashok Naskar laborer missing from Bengal)
पश्चिम बंगाल के बरुइपुर कस्बे से डेढ़ साल पहले लापता हुए अशोक नस्कर अलग-अलग राज्यों में भटकने के बाद आखिरकार छत्तीसगढ़ के देवभोग पहुंचा. डेढ़ साल पहले मजदूरी करने वाले अशोक को ट्रेन से किसी ने नीचे धकेल दिया गया था. जिसके बाद शुरू हुआ उनका बेनाम सफर, जिंदा रहने के लिए पीड़ित अशोक नस्कर ने हर दिन यातनाएं सही. जिसका असर उसके दिमाग पर भी पड़ा. वे अपने डेढ़ साल की इस अवधि के घटनाक्रम को लगभग भूल चुका है.
छत्तीसगढ़ के देवभोग में मिला: ट्रेन से धकेले जाने के बाद पीड़ित महाराष्ट्र और उड़ीसा जैसे राज्यों में भटकता रहा. सफर को जारी रखते हुए अशोक नस्कर शांत अवस्था में एक ट्राईसाइकिल में छत्तीसगढ़ के देवभोग में मिला. 18 जून रात के समय असामान्य अवस्था में सड़क किनारे एक ट्राईसाइकिल में पीड़ित अशोक को एक स्थानीय युवक गौरीशंकर कश्यप ने देखा और उनसे बात करने लगा. बात करते-करते गौरीशंकर की नजर पीड़ित के पैरों पर पड़ी. एक पैर का निचला हिस्सा जला हुआ दिखा. ऐसे में युवक ने पीड़ित का इलाज करवाने की ठानी. जिसके बाद गौरीशंकर और शुभम भटनागर ने पीड़ित को गरियाबंद के एक अस्पताल लेकर गए थे, जहां उसे पीड़ित को किसी बड़े अस्पताल में दाखिल करने के लिए कहा गया.
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रायपुर के मेकाहारा में इलाज के बाद की गई सर्जरी: ऐसे में गौरीशंकर ने अपने संपर्क क्षेत्र की मदद से रायपुर के मनोवैज्ञानिक औषविधि सेवा संस्था के माध्यम से पीड़ित अशोक को गरियाबंद से 19 जून को रायपुर के मेकाहारा अस्पताल लाया. पीड़ित के साथ उसके परिजन नहीं होने के कारण इलाज में दिक्कत आ रही थी. ऐसे में मनोवैज्ञानिक एवं औषविधि सेवा संस्था के वालंटियर्स ने इसकी भूमिका निभाई. तब जाकर इलाज शुरू हुआ. पैर से पस निकल रहा था. सड़ने के कारण कीड़े पैर से चिपक गए थे. डॉक्टर ने सर्जरी करने का फैसला लिया और सर्जरी की गई.
लापता अशोक से मिलकर परिजन हुए खुश: परिजनों ने बताया, "लापता अशोक नस्कर के मिलने से डेढ़ सालों के बाद उनके घर में खुशियां वापस लौट आई है. आखिरकार 22 जून को पीड़ित अशोक का अपने बेटे, दामाद और अन्य परिजनों से विडियो कॉल के माध्यम से बातचीत हुई. डेढ़ साल बाद अपने मुखिया को सही सलामत देख परिवार ने राहत की सांस ली. अशोक को ले जाने के लिए उनका बेटा अभिषेक और दामाद संदीप रायपुर पहुंचे. आज अशोक नस्कर को रायपुर से पश्चिम बंगाल के ले जाया जा रहा है."
गौरीशंकर कश्यप ने दी थी संस्था को जानकारी: मनोवैज्ञानिक एवं औषविधि सेवा संस्था के संस्थापक और अध्यक्ष संदीप छेदइया ने बताया, "गौरीशंकर कश्यप ने हमारे संस्था से संपर्क किया. जिससे हमें अशोक नस्कर के बारे में पता चला. पीड़ित व्यक्ति का पैर बुरी तरह से गल चूका था. हमें पीड़ित के संबंध में कुछ भी पता नहीं था. इस बात की जानकारी पुलिस को दी गई. हमारे संस्था के कोषाध्यक्ष वैभव श्रीवास्तव ने पीड़ित द्वारा बताये गए पता पर पश्चिम बंगाल के कई थानों में फोन लगाकर बात की, जिसके बाद आखिरकार पीड़ित अशोक नस्कर के परिवार वालों से संपर्क हो पाया."