रायपुर: ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "विवाह करने के लिए दांपत्य सुख देखा जाता है. अगर दांपत्य सुख भाव में यानी सातवें भाव में शुभ ग्रहों की दृष्टि है जैसे गुरु, शुक्र, चंद्र तो जीवन अच्छा चलता है. दांपत्य सुख मिलता है. भले ही गुण मिलान हो या ना हो और अंतिम में जीवन (आयु) देखा जाता है कि जातक की आयु कितनी है. लेकिन इसको देखने की मनाही है. किसी को उसकी वास्तविक आयु नहीं बताई जानी चाहिए.''
"सातवें भाव पर किसी क्रूर ग्रह का या पाप ग्रह का प्रभाव नहीं": ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने आगे बताया कि " वास्तविक आयु नहीं बताना चाहिए बल्कि संकेत के माध्यम से कहना चाहिए कि गुण मिलान नहीं हो रहा है. जीवन सुखमय नहीं रहेगा. हो सकता है वर या वधू में कोई एक पक्ष छोड़कर चला जाए. वित्तीय स्थिति, फिजिकल फिटनेस, दांपत्य सुख और आयु चारों चीजें उत्तम है. सातवें भाव पर किसी क्रूर ग्रह का या पाप ग्रह का प्रभाव नहीं है तो जीवन अत्यंत सुख में होगा, अन्यथा कहीं ना कहीं कोई ना कोई कुछ ना कुछ विवाद होगा ही.संबंधित ग्रहों की दशा अंतर्दशा पर या गोचर में ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करेगा. ऐसे में ग्रहों की शांति के लिए उपाय या निदान कर लेना चाहिए."
सनातन संस्कृति को विकसित नहीं होने दिया गया: ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने आगे बताया कि "एक कारण यह भी है कि हमारी सनातन संस्कृति को बदनाम किया गया. विकसित नहीं होने दिया गया. उसका अध्ययन अध्यापन बंद रहा है. व्यक्ति की व्यक्तित्व की महानता और उनके सद्गुण परोपकार सद्भावना के गुण विकसित नहीं हो पाए. समर्पण नहीं हो पाया. प्रेम विकसित नहीं हो पाया. सब भौतिक सुख की ओर बढ़ने लगे हैं. इस कारण वर्तमान समय में गुण मिलान की पद्धति से सही निष्कर्ष नहीं निकल पाता है."