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इन युवाओं ने तो अपना फर्ज अदा किया, लेकिन क्या आपने किया ? - गरीबों की मदद करने वाली संस्थान

'कुछ फर्ज हमारा भी' नाम की संस्थान ने जरूरतमंदो की मदद कर अपना फर्ज अदा कर रहे है. साथ ही वे लोगों से भी अपील कर रहे हैं कि वे भी अपना फर्ज अदा करें.

कुछ फर्ज हमारा भी संस्थान
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Published : Sep 22, 2019, 8:24 PM IST

Updated : Sep 22, 2019, 8:42 PM IST

रायपुर : इस भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास अपनों के लिए समय नहीं है, लेकिन एक परिवार ऐसा भी है, जो अपनी इस भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच अपना कीमती समय निकालकर निस्वार्थ भाव से परायों की भी मदद कर रहा है.

इन युवाओं ने तो अपना फर्ज अदा किया, लेकिन क्या आपने किया ?

इस तस्वीर में दिख रहे ये युवा हर गरीब और बेसहारा के लिए सहारा हैं. वे अपना फर्ज अदा करके चले जाते हैं. बदले में कुछ नहीं चाहते हैं. जिन युवाओं की हम बात कर रहे हैं, वे युवा 'कुछ फर्ज हमारा भी' नाम से अपनी संस्थान चला रहे हैं. इस टोली में तकरीबन 20 से 25 सदस्य हैं, जो 16 से 47 साल तक के हैं. ये सभी घूम-घूमकर समाज में जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं.

कुछ फर्ज हमारा भी संस्थान के सदस्य
कुछ फर्ज हमारा भी संस्थान के सदस्य

कुछ ऐसे करते हैं गरीबों की मदद

  • ये टोली सड़क पर पड़े बेसहारा की मदद कर उन्हें कपड़े और कंबल दान करते हैं फिर अपने साथ ले जाकर खाना खिलाने से लेकर नहलाना, बाल कटवना जैसे सभी काम भी दे खुद ही करते हैं.
    बदली गरीब की जिंदगी
    बदली गरीब की जिंदगी
  • सारा काम खत्म होने के बाद अंत में उनकी मर्जी भी पूछते हैं. अगर बुजुर्ग आश्रम जाना चाहते हैं ,तो उन्हें वृद्ध आश्रम ले जाते हैं, यदि नहीं तो वे जहां जाना चाहते हैं, उन्हें वहां छोड़कर आते हैं.
    कुछ फर्ज हमारा भी
    कुछ फर्ज हमारा भी
  • इन सबके आलावा स्वच्छ भारत मिशन को घर-घर तक पहुंचाने के लिए संस्था के सदस्य सदैव तत्पर रहते हैं, जहां भी गंदगी दिखती है, ये लोग मिलकर उसे साफ करते हैं. साथ ही वहां के रहवासियों को भी स्वस्थ रहने की हिदायत देते हैं.
    आम इंसान की तरह जीने का देती हौसला
    आम इंसान की तरह जीने का देती हौसला
  • इनके योगदान का सिलसिला यहीं नहीं रुकता है, वे जगह-जगह भंडारा कराकर भूखों को भोजन भी कराते हैं.
    बेसहारा की मदद करती संस्थान
    बेसहारा की मदद करती संस्थान
  • ऐसा करने की वजह टोली के सदस्य नितिन सिंह राजपूत बताते हैं कि, 'हम सभी जो भी कमाते हैं, उसमें से कुछ हिस्सा निकालते हैं और गरीबों की मदद करते हैं. वे कहते हैं कि हम सभी को जरूरत है, समाज में कहीं न कहीं किसी न किसी दिशा में पहल करने की. यदि हम पहल नहीं करेंगे, तो हम पीछे जरूर रह जाएंगे'.

रायपुर : इस भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास अपनों के लिए समय नहीं है, लेकिन एक परिवार ऐसा भी है, जो अपनी इस भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच अपना कीमती समय निकालकर निस्वार्थ भाव से परायों की भी मदद कर रहा है.

इन युवाओं ने तो अपना फर्ज अदा किया, लेकिन क्या आपने किया ?

इस तस्वीर में दिख रहे ये युवा हर गरीब और बेसहारा के लिए सहारा हैं. वे अपना फर्ज अदा करके चले जाते हैं. बदले में कुछ नहीं चाहते हैं. जिन युवाओं की हम बात कर रहे हैं, वे युवा 'कुछ फर्ज हमारा भी' नाम से अपनी संस्थान चला रहे हैं. इस टोली में तकरीबन 20 से 25 सदस्य हैं, जो 16 से 47 साल तक के हैं. ये सभी घूम-घूमकर समाज में जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं.

कुछ फर्ज हमारा भी संस्थान के सदस्य
कुछ फर्ज हमारा भी संस्थान के सदस्य

कुछ ऐसे करते हैं गरीबों की मदद

  • ये टोली सड़क पर पड़े बेसहारा की मदद कर उन्हें कपड़े और कंबल दान करते हैं फिर अपने साथ ले जाकर खाना खिलाने से लेकर नहलाना, बाल कटवना जैसे सभी काम भी दे खुद ही करते हैं.
    बदली गरीब की जिंदगी
    बदली गरीब की जिंदगी
  • सारा काम खत्म होने के बाद अंत में उनकी मर्जी भी पूछते हैं. अगर बुजुर्ग आश्रम जाना चाहते हैं ,तो उन्हें वृद्ध आश्रम ले जाते हैं, यदि नहीं तो वे जहां जाना चाहते हैं, उन्हें वहां छोड़कर आते हैं.
    कुछ फर्ज हमारा भी
    कुछ फर्ज हमारा भी
  • इन सबके आलावा स्वच्छ भारत मिशन को घर-घर तक पहुंचाने के लिए संस्था के सदस्य सदैव तत्पर रहते हैं, जहां भी गंदगी दिखती है, ये लोग मिलकर उसे साफ करते हैं. साथ ही वहां के रहवासियों को भी स्वस्थ रहने की हिदायत देते हैं.
    आम इंसान की तरह जीने का देती हौसला
    आम इंसान की तरह जीने का देती हौसला
  • इनके योगदान का सिलसिला यहीं नहीं रुकता है, वे जगह-जगह भंडारा कराकर भूखों को भोजन भी कराते हैं.
    बेसहारा की मदद करती संस्थान
    बेसहारा की मदद करती संस्थान
  • ऐसा करने की वजह टोली के सदस्य नितिन सिंह राजपूत बताते हैं कि, 'हम सभी जो भी कमाते हैं, उसमें से कुछ हिस्सा निकालते हैं और गरीबों की मदद करते हैं. वे कहते हैं कि हम सभी को जरूरत है, समाज में कहीं न कहीं किसी न किसी दिशा में पहल करने की. यदि हम पहल नहीं करेंगे, तो हम पीछे जरूर रह जाएंगे'.
Intro:रायपुर आज युवा वर्ग अपनी व्यस्तता और भागदौड़ भरी जिंदगी में उलझता जा रहा है वहीं दूसरी ओर समाज में कुछ युवा ऐसे भी हैं जो अपनी अलग पहचान बनाने में लगें हुए हैं ये व्यस्ततम दिनचर्या के बावजूद भी समाज से सरोकार जोड़ रहे हैं जरूरतमंदों की मदद कर कर्तव्यों का पालन कर रही हैं। ।


Body:जिस उम्र में युवा मौज मस्ती में अपना समय गुजारते हैं उस उम्र में राजधानी के रहने वाले इन युवाओं ने समाज से अपना सरोकार जोड़ लिया है युवाओं की यह डोली कुछ फर्ज हमारा भी नाम से अपनी संस्थान चला रही है इसमें तकरीबन 20 से 25 सदस्य हैं यह सभी सदस्य अलग अलग तरीके से समाज में अपना योगदान देते हैं

सड़कों पर घूमने वाले लोग जिनकी पूछ परख करने वाला कोई नहीं होता यह उन्हें वहां से लाते हैं उनके बाल कटवाते हैं उनकी सेविंग करवाते हैं और उन्हें कपड़े देते हैं इसके बाद ही उनकी मर्जी पूछते हैं अगर वे वृद्ध आश्रम जाना चाहते हैं तो उन्हें वृद्ध आश्रम ले जाया जाता है और यदि नहीं तो वे जहां जाना चाहते हैं उन्हें वहां छोड़ दिया जाता है

खुद करते हैं सफाई

स्वच्छ भारत मिशन को घर-घर पहुंचाने के लिए संस्था के सदस्य सदैव तत्पर रहते हैं जहां भी गंदगी दिखती है यह लोग मिलकर उसे साफ करते हैं और वहां के रहवासियों को भी स्वस्थ रहने की हिदायत देते हैं

सार्वजनिक स्थलों पर बैठते हैं खाना

टोली के लोग समय-समय पर पैसे कटे करके सार्वजनिक स्थलों पर पूजन का वितरण करते हैं ताकि कोई भी व्यक्ति भूखा ना रह सके इसके लिए वे लोग उन जख्मों को चुनते हैं जहां पर अधिक से अधिक मांग कर खाने वाले लोग बैठा करते हैं


Conclusion:इस टोली में 16 साल की उम्र से लेकर 47 साल तक के लोग शामिल है डोली के सदस्य नितिन सिंह राजपूत बताते हैं कि हम सभी जो भी कमाते हैं उसमें से कुछ हिस्सा निकालते हैं और इस काम के लिए इस्तेमाल करते हैं हम सब को जरूरत है समाज में कहीं ना कहीं किसी ना किसी दिशा में पहल करने की यदि हम पहल नहीं करेंगे तो हम पीछे जरूर रह जाएंगे

बाईट - नितिन सिंह राजपूत
Last Updated : Sep 22, 2019, 8:42 PM IST
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