रायपुर : इस भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास अपनों के लिए समय नहीं है, लेकिन एक परिवार ऐसा भी है, जो अपनी इस भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच अपना कीमती समय निकालकर निस्वार्थ भाव से परायों की भी मदद कर रहा है.
इस तस्वीर में दिख रहे ये युवा हर गरीब और बेसहारा के लिए सहारा हैं. वे अपना फर्ज अदा करके चले जाते हैं. बदले में कुछ नहीं चाहते हैं. जिन युवाओं की हम बात कर रहे हैं, वे युवा 'कुछ फर्ज हमारा भी' नाम से अपनी संस्थान चला रहे हैं. इस टोली में तकरीबन 20 से 25 सदस्य हैं, जो 16 से 47 साल तक के हैं. ये सभी घूम-घूमकर समाज में जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं.
![कुछ फर्ज हमारा भी संस्थान के सदस्य](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4520202_rew.jpg)
कुछ ऐसे करते हैं गरीबों की मदद
- ये टोली सड़क पर पड़े बेसहारा की मदद कर उन्हें कपड़े और कंबल दान करते हैं फिर अपने साथ ले जाकर खाना खिलाने से लेकर नहलाना, बाल कटवना जैसे सभी काम भी दे खुद ही करते हैं.बदली गरीब की जिंदगी
- सारा काम खत्म होने के बाद अंत में उनकी मर्जी भी पूछते हैं. अगर बुजुर्ग आश्रम जाना चाहते हैं ,तो उन्हें वृद्ध आश्रम ले जाते हैं, यदि नहीं तो वे जहां जाना चाहते हैं, उन्हें वहां छोड़कर आते हैं. कुछ फर्ज हमारा भी
- इन सबके आलावा स्वच्छ भारत मिशन को घर-घर तक पहुंचाने के लिए संस्था के सदस्य सदैव तत्पर रहते हैं, जहां भी गंदगी दिखती है, ये लोग मिलकर उसे साफ करते हैं. साथ ही वहां के रहवासियों को भी स्वस्थ रहने की हिदायत देते हैं.आम इंसान की तरह जीने का देती हौसला
- इनके योगदान का सिलसिला यहीं नहीं रुकता है, वे जगह-जगह भंडारा कराकर भूखों को भोजन भी कराते हैं.बेसहारा की मदद करती संस्थान
- ऐसा करने की वजह टोली के सदस्य नितिन सिंह राजपूत बताते हैं कि, 'हम सभी जो भी कमाते हैं, उसमें से कुछ हिस्सा निकालते हैं और गरीबों की मदद करते हैं. वे कहते हैं कि हम सभी को जरूरत है, समाज में कहीं न कहीं किसी न किसी दिशा में पहल करने की. यदि हम पहल नहीं करेंगे, तो हम पीछे जरूर रह जाएंगे'.