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KTUJM management fired employees: केटीयू प्रबंधन ने काम से निकाले गए 23 संविदा कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन - कर्मचारी नेता विजय कुमार झा

गुरुवार को कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय द्वारा संविदा पर काम करने वाले 23 कर्मचारियों को निकाल दिया गया है. जिसको लेकर कर्मचारियों ने बूढ़ातालाब धरना स्थल पर अपनी 5 सूत्रीय मांग को लेकर प्रदर्शन किया और कहा कि 23 कर्मचारियों की जल्द बहाली की जाए. ऐसा नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

KTUJM management fired employees
केटीयू प्रबंधन ने 23 कर्मचारियों को निकाला
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Published : Feb 9, 2023, 10:34 PM IST

केटीयू प्रबंधन ने काम से 23 कर्मचारियों को निकाला

रायपुर: छत्तीसगढ़ में ठेका प्रथा और छटनी को बंद किए जाने को लेकर लगातार प्रदर्शन का दौर देखने को मिल रहा है. कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय द्वारा निकाले गए कर्मचारियों ने बूढ़ातालाब धरना स्थल पर अपनी 5 सूत्रीय मांग को लेकर प्रदर्शन किया. उन्होंने 23 कर्मचारियों की जल्द बहाली की मांग रखी है. ऐसा नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी गई दी है. संविदा पर काम करने वाले कर्मचारी पिछले 18 सालों से संविदा पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं.


प्रबंधन ने बिना किसी नोटिस काम से निकाला: केटीयू प्रबंधन द्वारा बिना किसी कारण बताए 6 फरवरी को संविदा में काम कर रहे 23 कर्मचारियों को निकाल दिया गया है. जिसके कारण इन कर्मचारियों के सामने अब रोजी रोटी और परिवार चलाने की समस्या खड़ी हो गई है. निकाले गए कर्मचारियों का कहना है कि "प्रबंधन द्वारा बिना किसी नोटिस या बिना किसी गड़बड़ी के कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया गया है. अब उन पर आउटसोर्सिंग और ठेका पद्धति से नौकरी में वापस आने के लिए दबाव बनाया जा रहा है, जिसका विरोध निकाले गए कर्मचारी कर रहे हैं. इन कर्मचारियों के समर्थन में कर्मचारी नेता विजय कुमार झा भी पहुंचे थे.

धरना स्थल पर प्रदर्शन करने से रोका जा रहा: कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने बताया कि "कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय की स्थापना भाजपा शासनकाल में साल 2005 में हुआ था. प्रदेश सरकार ने अनियमित और संविदा कर्मचारियों को 10 दिनों के भीतर नियमित करने का वादा किया था. अब तक पूरे प्रदेश में लगभग 20 हजार संविदा और अनियमित कर्मचारियों की छंटनी प्रदेश सरकार के द्वारा की जा चुकी है. अब पुलिस और प्रशासन के द्वारा बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर प्रदर्शन करने से रोका जा रहा है. ऐसे में प्रदेश सरकार नौकरी जाने के बाद उनके पेट पर लात मार रही है."

यह भी पढ़ें: Jhiram Inquiry: अजय चंद्राकर के बयान पर बरसे सीएम भूपेश, 'रमन, मुकेश गुप्ता, लखमा का भी हो जाए नारको टेस्ट'


निकाले गए कर्मचारियों की मांगें: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश 27 सितंबर 2022 के विपरीत विश्वविद्यालय के द्वारा 23 संविदा कर्मचारियों को सेवा से हटा दिया गया है, इन्हें तत्काल विश्वविद्यालय की सेवा में यथावत रखा जाए. विश्वविद्यालय में नियम विरुद्ध प्लेसमेंट और ठेका प्रथा को तत्काल समाप्त किया जाए. 23 कर्मचारी को कलेक्टर दर से विश्वविद्यालय अपने पास कार्य पर रखें, इसके साथ ही प्लेसमेंट या ठेका में इन संविदा कर्मचारियों को शामिल न किया जाए. अनियमित और संविदा कर्मचारियों को किसी प्रकार से प्रताड़ित ना किया जाए. विश्व विद्यालय में संविदा और अनियमित कर्मचारियों का कर्मचारी भविष्य निधि की राशि 35 लाख रुपए का भुगतान कर्मचारी भविष्य निधि खाते में तत्काल जमा किया जाए.

केटीयू प्रबंधन ने काम से 23 कर्मचारियों को निकाला

रायपुर: छत्तीसगढ़ में ठेका प्रथा और छटनी को बंद किए जाने को लेकर लगातार प्रदर्शन का दौर देखने को मिल रहा है. कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय द्वारा निकाले गए कर्मचारियों ने बूढ़ातालाब धरना स्थल पर अपनी 5 सूत्रीय मांग को लेकर प्रदर्शन किया. उन्होंने 23 कर्मचारियों की जल्द बहाली की मांग रखी है. ऐसा नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी गई दी है. संविदा पर काम करने वाले कर्मचारी पिछले 18 सालों से संविदा पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं.


प्रबंधन ने बिना किसी नोटिस काम से निकाला: केटीयू प्रबंधन द्वारा बिना किसी कारण बताए 6 फरवरी को संविदा में काम कर रहे 23 कर्मचारियों को निकाल दिया गया है. जिसके कारण इन कर्मचारियों के सामने अब रोजी रोटी और परिवार चलाने की समस्या खड़ी हो गई है. निकाले गए कर्मचारियों का कहना है कि "प्रबंधन द्वारा बिना किसी नोटिस या बिना किसी गड़बड़ी के कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया गया है. अब उन पर आउटसोर्सिंग और ठेका पद्धति से नौकरी में वापस आने के लिए दबाव बनाया जा रहा है, जिसका विरोध निकाले गए कर्मचारी कर रहे हैं. इन कर्मचारियों के समर्थन में कर्मचारी नेता विजय कुमार झा भी पहुंचे थे.

धरना स्थल पर प्रदर्शन करने से रोका जा रहा: कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने बताया कि "कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय की स्थापना भाजपा शासनकाल में साल 2005 में हुआ था. प्रदेश सरकार ने अनियमित और संविदा कर्मचारियों को 10 दिनों के भीतर नियमित करने का वादा किया था. अब तक पूरे प्रदेश में लगभग 20 हजार संविदा और अनियमित कर्मचारियों की छंटनी प्रदेश सरकार के द्वारा की जा चुकी है. अब पुलिस और प्रशासन के द्वारा बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर प्रदर्शन करने से रोका जा रहा है. ऐसे में प्रदेश सरकार नौकरी जाने के बाद उनके पेट पर लात मार रही है."

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निकाले गए कर्मचारियों की मांगें: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश 27 सितंबर 2022 के विपरीत विश्वविद्यालय के द्वारा 23 संविदा कर्मचारियों को सेवा से हटा दिया गया है, इन्हें तत्काल विश्वविद्यालय की सेवा में यथावत रखा जाए. विश्वविद्यालय में नियम विरुद्ध प्लेसमेंट और ठेका प्रथा को तत्काल समाप्त किया जाए. 23 कर्मचारी को कलेक्टर दर से विश्वविद्यालय अपने पास कार्य पर रखें, इसके साथ ही प्लेसमेंट या ठेका में इन संविदा कर्मचारियों को शामिल न किया जाए. अनियमित और संविदा कर्मचारियों को किसी प्रकार से प्रताड़ित ना किया जाए. विश्व विद्यालय में संविदा और अनियमित कर्मचारियों का कर्मचारी भविष्य निधि की राशि 35 लाख रुपए का भुगतान कर्मचारी भविष्य निधि खाते में तत्काल जमा किया जाए.

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