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Guru Pradosh Vrat 2023: कृतिका और भरणी नक्षत्र में मनाया जाएगा गुरु प्रदोष व्रत, सफेद और नीले वस्त्रों में शिव की पूजा से मिलेगा लाभ

गुरु प्रदोष व्रत कृतिका और भरणी नक्षत्र में 15 जून को मनाया जाएगा. इस दिन भगवान शिव की खास विधि से पूजा करने से जीवन की सभी समस्या दूर हो जाती है.

Guru Pradosh Vrat
गुरु प्रदोष व्रत
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Published : Jun 12, 2023, 5:17 PM IST

Updated : Jun 13, 2023, 2:10 PM IST

पंडित विनीत शर्मा

रायपुर: 15 जून को गुरु प्रदोष का व्रत मनाया जाएगा. यह आषाढ़ कृष्ण पक्ष भरणी और कृतिका नक्षत्र सुकर्मा योग में मनाया जाएगा. इस दिन चंद्रमा मेष राशि में और रात के समय वृषभ में विराजमान रहेंगे. प्रदोष व्रत भगवान शिव भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए किया जाता है. शिव के पूजन में प्रत्येक मंत्र भाव में शुभता और जीव के लिए गुणकर्म स्वभाव और पदार्थ से कल्याणकारी भावना अंतर्निहित रहती है. भगवान शिव के स्मरण मात्र से ही जीवन में शुभ संकल्पों, शुभ विचारों और श्रेष्ठ कर्मों का प्रादुर्भाव होता है. भगवान शिव संहार के देवता हैं. भोलेनाथ जी को थोड़ी सी ही प्रार्थना से ही प्रसन्न किया जा सकता है.

सफेद वस्त्रों में करनी चाहिए पूजा: प्रदोष व्रत में भगवान मृत्युंजय को स्मरण कर योगाभ्यास, आसन, प्राणायाम कर ध्यान करना चाहिए. इसके अलावा गंगा मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए. यदि आप सरोवर के पास रहते हो सरोवर में स्नान करना चाहिए. स्नान करने के बाद सफेद और नीले वस्त्रों में भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. महामृत्युंजय मंत्र, लिंगाष्टकम, रुद्राष्टकम, नमस्कार मंत्र, शिव संकल्प मंत्रों का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से भगवान शिव भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. प्रदोष व्रत करने से सभी मनोरथ पूरे होते हैं.

सामर्थ्य अनुसार करें व्रत: प्रदोष व्रत में अपने सामर्थ्य के अनुसार एकासना फलाहारी या फिर निराहार व्रत करना चाहिए. यह व्रत संकल्प लेकर करना चाहिए. कोई मनोरथ लेकर इस व्रत को शुरू किया जा सकता है. शिवालय में जाकर भगवान शिव को जल से अभिषेक करना चाहिए. जल में कुशा डूब कर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया जाता है.

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ऐसे करें भगवान भोलेनाथ की पूजा: भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल काफी प्रिय हैं. इसी तरह श्वेत चंदन, श्वेत पुष्प आदि भगवान भोलेनाथ जी को अर्पित किए जाते हैं. रूद्र देवता को अबीर, गुलाल, पीला चंदन, अष्ट चंदन, गोपी चंदन से शिवजी की पूजा करनी चाहिए. इस दिन भगवान भोलेनाथ को ऋतु फल जैसे आम, लीची, केले, सेव, नाशपाती आदि मौसमी फलों का भोग लगाया जाता है. भगवान शिव को श्रृंगार बहुत प्रिय है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का श्रृंगार सच्चे भाव से करनी चाहिए.

प्रदोष काल का विशेष महत्व: प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का खास महत्व होता है. शाम के 5:39 से लेकर शाम के 7:53 तक प्रदोष काल माना जाता है. इस काल में भगवान शिव का पूजन करना श्रेष्ठ माना गया है. ऐसी मान्यता है कि इस काल में नीलकंठ भगवान प्रसन्न होकर कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं. आनंद के भाव में होते हैं. इस समय भगवान शिव का जाप, पाठ, अनुष्ठान करने से जीवन के सभी दु:ख दूर होते हैं.

पंडित विनीत शर्मा

रायपुर: 15 जून को गुरु प्रदोष का व्रत मनाया जाएगा. यह आषाढ़ कृष्ण पक्ष भरणी और कृतिका नक्षत्र सुकर्मा योग में मनाया जाएगा. इस दिन चंद्रमा मेष राशि में और रात के समय वृषभ में विराजमान रहेंगे. प्रदोष व्रत भगवान शिव भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए किया जाता है. शिव के पूजन में प्रत्येक मंत्र भाव में शुभता और जीव के लिए गुणकर्म स्वभाव और पदार्थ से कल्याणकारी भावना अंतर्निहित रहती है. भगवान शिव के स्मरण मात्र से ही जीवन में शुभ संकल्पों, शुभ विचारों और श्रेष्ठ कर्मों का प्रादुर्भाव होता है. भगवान शिव संहार के देवता हैं. भोलेनाथ जी को थोड़ी सी ही प्रार्थना से ही प्रसन्न किया जा सकता है.

सफेद वस्त्रों में करनी चाहिए पूजा: प्रदोष व्रत में भगवान मृत्युंजय को स्मरण कर योगाभ्यास, आसन, प्राणायाम कर ध्यान करना चाहिए. इसके अलावा गंगा मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए. यदि आप सरोवर के पास रहते हो सरोवर में स्नान करना चाहिए. स्नान करने के बाद सफेद और नीले वस्त्रों में भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. महामृत्युंजय मंत्र, लिंगाष्टकम, रुद्राष्टकम, नमस्कार मंत्र, शिव संकल्प मंत्रों का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से भगवान शिव भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. प्रदोष व्रत करने से सभी मनोरथ पूरे होते हैं.

सामर्थ्य अनुसार करें व्रत: प्रदोष व्रत में अपने सामर्थ्य के अनुसार एकासना फलाहारी या फिर निराहार व्रत करना चाहिए. यह व्रत संकल्प लेकर करना चाहिए. कोई मनोरथ लेकर इस व्रत को शुरू किया जा सकता है. शिवालय में जाकर भगवान शिव को जल से अभिषेक करना चाहिए. जल में कुशा डूब कर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया जाता है.

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ऐसे करें भगवान भोलेनाथ की पूजा: भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल काफी प्रिय हैं. इसी तरह श्वेत चंदन, श्वेत पुष्प आदि भगवान भोलेनाथ जी को अर्पित किए जाते हैं. रूद्र देवता को अबीर, गुलाल, पीला चंदन, अष्ट चंदन, गोपी चंदन से शिवजी की पूजा करनी चाहिए. इस दिन भगवान भोलेनाथ को ऋतु फल जैसे आम, लीची, केले, सेव, नाशपाती आदि मौसमी फलों का भोग लगाया जाता है. भगवान शिव को श्रृंगार बहुत प्रिय है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का श्रृंगार सच्चे भाव से करनी चाहिए.

प्रदोष काल का विशेष महत्व: प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का खास महत्व होता है. शाम के 5:39 से लेकर शाम के 7:53 तक प्रदोष काल माना जाता है. इस काल में भगवान शिव का पूजन करना श्रेष्ठ माना गया है. ऐसी मान्यता है कि इस काल में नीलकंठ भगवान प्रसन्न होकर कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं. आनंद के भाव में होते हैं. इस समय भगवान शिव का जाप, पाठ, अनुष्ठान करने से जीवन के सभी दु:ख दूर होते हैं.

Last Updated : Jun 13, 2023, 2:10 PM IST
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