रायपुर :कृष्णजन्माष्टमी के शुभ अवसर पर पुरानी बस्ती स्थित जैतूसाव मठ में श्रीकृष्ण को शुद्ध देसी घी से बना मालपुआ का भोग लगाया जाएगा. हर साल कृष्णजन्माष्टमी के अवसर पर 11 क्विंटल का मालपुआ बनाया जाता है. इस प्रसाद को ग्रहण करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु इस मंदिर में पहुंचते हैं. भोग अर्पित करने के बाद मंदिर परिसर में ही बिठाकर मालपुआ खिलाया जाता है.
कब शुरु होगा आयोजन ? : जैतुसाव मठ में भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव 7 सितंबर को रात्रि 12:00 बजे मनाया जाएगा. इसके बाद दूसरे दिन दोपहर को भोग आरती के बाद मालपुआ का वितरण प्रसाद के तौर पर भक्तों को किया जाएगा. मालपुआ बनाने का काम 5 सितंबर से शुरू हो गया है. यह 7 सितंबर तक चलेगा.जैतू सावमठ के ट्रस्टी अजय तिवारी ने बताया कि राजधानी के पुरानी बस्ती स्थित जैतुसाव मठ के पहले महंत लक्ष्मी नारायण दास के समय सन 1916 में रामनवमी और कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मालपुआ बनाने का काम शुरू किया गया था, जो आज तक निरंतर चल रहा है. वर्तमान में जैतूसाव मठ के महंत राम सुंदरदास जी हैं.
''कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर इस साल 11 क्विंटल की सामग्री का मालपुआ बनाने का कार्य किया जा रहा है. मालपुआ बनाने का काम 10 मजदूर कर रहे हैं. गुरुवार की देर रात तक मालपुआ बनाने का काम पूरा कर लिया जाएगा." अजय तिवारी, ट्रस्टी,जैतुसाव मठ
किन चीजों को मिलाकर बनाया जाता है मालपुआ ? : मालपुआ बनाने के लिए शक्कर, गेहूं का आटा, सूखे मेवे, काली मिर्च, मोटा सौंफ का इस्तेमाल होता है. लगभग 10 कर्मचारियों की मदद से मालपुआ का घोल बनाने के बाद इसे तेल और घी में छाना जाता है. मालपुआ छानने के बाद उसे पैरा में सुखाया जाता है. ताकि अतिरिक्त घी या तेल सूख जाए. सूखने के बाद भगवान कृष्ण को भोग लगाने और अर्पित करने के बाद भक्तों को प्रसाद के रूप में इसी मालपुए को बांटा जाता है.