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Kokila Vrat 2023 : ब्रम्ह योग में मनाया जाएगा कोकिला व्रत, जानिए विधान और नियम - कोकिला व्रत

Kokila Vrat 2023 हिंदू धर्म में अन्य व्रत की तरह कोकिला व्रत को भी महत्वपूर्ण माना गया है.इस व्रत के दिन माता जगदंबा के विशेष रुप की पूजा की जाती है.ऐसी मान्यता है कि माता जगदंबा ने शिव के वियोग के बाद कोकिला का रूप धारण किया था.जिसे शिवजी ने शापमुक्त किया था.

Kokila Vrat 2023
ब्रम्ह योग में मनाया जाएगा कोकिला व्रत
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Published : Jul 1, 2023, 2:26 PM IST



रायपुर : कोकिला व्रत एक हिंदू व्रत है. जो मुख्य रूप से महिलाएं आदर्श मातृ व्रत के रूप में मनाती हैं. यह व्रत विशेष रूप से उत्तर भारतीय राज्यों में प्रसिद्ध है. जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल. यह व्रत आशापूर्णा अमावस्या तिथि को जो हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के दूसरे पक्ष में पड़ती है, मनाया जाता है.

ब्रम्ह योग में मनाया जाएगा कोकिला व्रत

किसके लिए किया जाता है कोकिला व्रत : यह व्रत मुख्य रूप से नारायणी देवी यानी कोकिला देवी की पूजा और आराधना के साथ जोड़ा जाता है. इस व्रत का फल प्राप्त करने के लिए विशेष धार्मिक और आचार्यों द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करना चाहिए. हम आपको कुछ महत्वपूर्ण विधान बता रहे हैं जो कोकिला व्रत में पालन किए जाते हैं.

कैसे करें व्रत की शुरुआत: कोकिला व्रत की शुरुआत विशेष मंत्रों के जाप और देवी का आवाहन करके की जाती है. इसके लिए विधि अनुसार पंडित या आचार्य से सलाह लेनी चाहिए.

कैसी हो व्रत की संगति: कोकिला व्रत के दौरान महिलाओं को नवरात्रि के नियमों का पूरा पालन करना चाहिए. इसमें सातवें दिन तक नवरात्रि की पूजा करनी चाहिए. व्रत के नियमों का पालन करते हुए अन्न और जल का त्याग करना चाहिए.

पूजा एवं आराधना: कोकिला व्रत में नारायणी देवी की पूजा और आराधना की जाती है, लाल वस्त्रों से देवी को सुसज्जित करना चाहिए. मां जगदंबा की आराधना करके पूजन करना चाहिए।

क्या है पौराणिक कथा : कोकिला व्रत के दिन कोयल की पूजा की जाती है. इस दिन स्वर कोकिला कोयल का दर्शन करना अत्यंत ही शुभ और पवित्र माना गया है. ऐसी मान्यता है कि माता सती अपने पिता के द्वारा भगवान शिव का अपमान किए जाने पर दुखी हृदय से भस्माभूत हो जाती हैं. उसके बाद हजार वर्षों तक माता सती कोकिला रूप में जीवन जीती हैं. भगवान शिव कोकिला को मुक्ति देकर माता पार्वती के रूप में ग्रहण करते हैं. इस दिन मधुर वचन बोलने वाली कोयल का दर्शन अत्यंत शुभ माना गया है.

"कोकिला रूप में माता सती और माता पार्वती की पूजा की जाती है. ब्रह्म मुहूर्त में योग ध्यान और आसन से निवृत्त होकर भगवान शिव की पूजा करने का विधान है. भगवान शिव को बेलपत्र आक धतूरा नीले पुष्प दूध दही पंचामृत गन्ने के रस गंगा यमुना सरस्वती के जल से अभिषेक करने का विधान है. आज के शुभ दिन भगवान शंकर का अष्टगंध अष्ट चंदन आदि से अभिषेक किया जाता है. पूर्णिमा का प्रभाव होने से स्नान दान और पूजन का विशेष महत्व होता है. आज के शुभ दिन महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है. शिव संकल्प मंत्र शिव नमस्कार मंत्र रुद्राष्टकम शिवास्टकम शिव तांडव शिव चालीसा गायत्री शिव मंत्र गणेश शंकर जी की आरती आज के दिन करने से भगवान शंकर अत्यंत प्रसन्न होते हैं." पंडित विनीत शर्मा,ज्योतिषाचार्य

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कोकिला व्रत से किन्हें मिल सकता है लाभ : कुंवारी कन्या जिनका विवाह ना हो रहा हो इस व्रत को करने से उन्हें मनवांछित फल मिलता है. इस व्रत को उत्साह उमंग और संयम के साथ करना चाहिए. भगवान भोलेनाथ एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं. इस शुभ दिन माता पार्वती के साथ गौरी शंकर की पूजा की जाती है. व्रती को संयमित मर्यादित और अनुशासित होकर इस व्रत का पालन करना चाहिए. गुरु पूर्णिमा के प्रभाव से इस दिन दान पुण्य करना सर्वोत्तम माना गया है. इस दिन जरूरतमंदों गरीबों और निराश्रित वर्ग को निश्चित तौर पर दान करना चाहिए.



रायपुर : कोकिला व्रत एक हिंदू व्रत है. जो मुख्य रूप से महिलाएं आदर्श मातृ व्रत के रूप में मनाती हैं. यह व्रत विशेष रूप से उत्तर भारतीय राज्यों में प्रसिद्ध है. जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल. यह व्रत आशापूर्णा अमावस्या तिथि को जो हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के दूसरे पक्ष में पड़ती है, मनाया जाता है.

ब्रम्ह योग में मनाया जाएगा कोकिला व्रत

किसके लिए किया जाता है कोकिला व्रत : यह व्रत मुख्य रूप से नारायणी देवी यानी कोकिला देवी की पूजा और आराधना के साथ जोड़ा जाता है. इस व्रत का फल प्राप्त करने के लिए विशेष धार्मिक और आचार्यों द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करना चाहिए. हम आपको कुछ महत्वपूर्ण विधान बता रहे हैं जो कोकिला व्रत में पालन किए जाते हैं.

कैसे करें व्रत की शुरुआत: कोकिला व्रत की शुरुआत विशेष मंत्रों के जाप और देवी का आवाहन करके की जाती है. इसके लिए विधि अनुसार पंडित या आचार्य से सलाह लेनी चाहिए.

कैसी हो व्रत की संगति: कोकिला व्रत के दौरान महिलाओं को नवरात्रि के नियमों का पूरा पालन करना चाहिए. इसमें सातवें दिन तक नवरात्रि की पूजा करनी चाहिए. व्रत के नियमों का पालन करते हुए अन्न और जल का त्याग करना चाहिए.

पूजा एवं आराधना: कोकिला व्रत में नारायणी देवी की पूजा और आराधना की जाती है, लाल वस्त्रों से देवी को सुसज्जित करना चाहिए. मां जगदंबा की आराधना करके पूजन करना चाहिए।

क्या है पौराणिक कथा : कोकिला व्रत के दिन कोयल की पूजा की जाती है. इस दिन स्वर कोकिला कोयल का दर्शन करना अत्यंत ही शुभ और पवित्र माना गया है. ऐसी मान्यता है कि माता सती अपने पिता के द्वारा भगवान शिव का अपमान किए जाने पर दुखी हृदय से भस्माभूत हो जाती हैं. उसके बाद हजार वर्षों तक माता सती कोकिला रूप में जीवन जीती हैं. भगवान शिव कोकिला को मुक्ति देकर माता पार्वती के रूप में ग्रहण करते हैं. इस दिन मधुर वचन बोलने वाली कोयल का दर्शन अत्यंत शुभ माना गया है.

"कोकिला रूप में माता सती और माता पार्वती की पूजा की जाती है. ब्रह्म मुहूर्त में योग ध्यान और आसन से निवृत्त होकर भगवान शिव की पूजा करने का विधान है. भगवान शिव को बेलपत्र आक धतूरा नीले पुष्प दूध दही पंचामृत गन्ने के रस गंगा यमुना सरस्वती के जल से अभिषेक करने का विधान है. आज के शुभ दिन भगवान शंकर का अष्टगंध अष्ट चंदन आदि से अभिषेक किया जाता है. पूर्णिमा का प्रभाव होने से स्नान दान और पूजन का विशेष महत्व होता है. आज के शुभ दिन महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है. शिव संकल्प मंत्र शिव नमस्कार मंत्र रुद्राष्टकम शिवास्टकम शिव तांडव शिव चालीसा गायत्री शिव मंत्र गणेश शंकर जी की आरती आज के दिन करने से भगवान शंकर अत्यंत प्रसन्न होते हैं." पंडित विनीत शर्मा,ज्योतिषाचार्य

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