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जागते रहो: जानिए साइबर अपराधों से कैसे निपटती है हमारी छत्तीसगढ़ पुलिस ?

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Published : Jan 11, 2021, 1:05 PM IST

Updated : Jan 11, 2021, 1:12 PM IST

छत्तीसगढ़ में साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ पुलिस साइबर अपराध को लेकर सजग नजर आ रही है. इसके लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं. साथ ही पुलिस सभी केसेज को सॉल्व करने में लगी हुई है. ETV भारत आपको बताएगा कि पुलिस इन मामलों से आखिरकार कैसे निपटती है.

cyber crime in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में साइबर अपराध के मामले

रायपुर: छत्तीसगढ़ में साइबर आपराध के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. हाल ही में रायपुर पुलिस ने साल 2020 के आपराधिक मामलों के आंकड़े बताए हैं. जिसमें साल 2019 के मुकाबले सभी मामलों में कमी देखी गई है, लेकिन साइबर अपराध के मामलों की बात की जाए, तो साल दर साल ये आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. साल 2019 में जहां साइबर अपराध के 558 मामले देखे गए थे, वहीं साल 2020 में 31 अक्टूबर तक साइबर अपराध के 660 मामले सिर्फ राजधानी में दर्ज किए गए. जिसमें से कई मामले अभी तक सॉल्व नहीं हो पाए हैं.

छत्तीसगढ़ में साइबर अपराध के मामले

पिछले 3 साल के ऑनलाइन ठगी (साइबर फ्रॉड) आंकड़ों की बात की जाए तो:

सालऑनलाइन अपराधकेस साल्व्डरिफंड रकम
2018 348 12418 लाख 71 हजार 146
2019 548 15538 लाख 836
2020 660 12922 लाख 25 हजार 939

पढ़ें: सावधान: आधार, वोटर ID, मोबाइल और ई-मेल से भी खाली हो सकते हैं बैंक अकाउंट

ज्यादातर साइबर आपराधिक मामलों को टैकल करने में पुलिस सक्षम

अभी तक जितने भी साइबर क्राइम के अपराध हो रहे हैं, कहीं न कहीं पुलिस उसे टैकल करने में काफी हद तक सक्षम हो चुकी है. पिछले 2 से 3 साल में फर्जी कॉल की अगर बात करें, तो पुलिस ने इन्हें सॉल्व करने में सफलता पाई है. वहीं फॉरेंसिक क्राइम जैसे कुछ ऐसे केस हैं, जिसे सॉल्व करने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. ये सिर्फ छत्तीसगढ़ की बात नहीं, पूरे भारत में ऐसे बड़े साइबर अपराध के मामलों को टैकल करने में पुलिस को समस्या होती है. इसलिए भारत सरकार या छत्तीसगढ़ सरकार साइबर एक्सपर्ट का इन्वॉल्वमेंट ऐसे मामलों में वालंटियर की तरह कर रही है. ताकि इस तरह के मामले जल्दी सॉल्व हो सकें.

स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बनाकर किया जाता है काम

पुलिस के पास एक SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) है, जिसे पुलिस फॉलो करती है. जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप या सोशल मीडिया से कोई भी क्राइम हुआ, तो सबसे पहले पुलिस कंपनी से आईपी एड्रेस निकालती है, उसके बाद उस मोबाइल कंपनी को भेजती है. अगर मोबाइल पर अपराध होता है, तो उसका सीटीआर डाटा लेना और उसको फिर डाटा से मैच करना कि इस अपराध के पीछे कौन हो सकता है, यह सिंपल मेथड होता है, जिसे पुलिस फॉलो करती है. लेकिन पुलिस को सबसे ज्यादा समस्या डाटा को इकट्ठा करने में होती है. जैसे कहीं फॉरेन का आईपी ऐड्रेस या जो इंटरनेट वॉइस कॉल हो, वहां पुलिस को वॉइस कॉल ट्रेस करने में समस्या होती है.

पढ़ें: रायपुर: साइबर क्राइम पर लगाम लगाने में जुटी पुलिस, हेल्पलाइन नंबर किया गया जारी

हैकिंग के प्रकार

हैकिंग आमतौर पर तीन तरह की होती है, जिसमें-

  • वाइट हेड हैकर: वाइट हेड हैकर मुख्यत: एक कंपनी के लिए काम करते हैं. उनकी कंपनी में इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर की सिक्योरिटी में आए बग्स (लूप होल) को बताने और उसे दूर करने का काम करते हैं.
  • ब्लैक हेड हैकर: ये वो लोग होते हैं जो दुनिया से छिपकर काम करते हैं. इनकी आइडेंटिटी फेक होती है. उनके नाम फेक होते हैं. इनकी टेक्निकल स्किल बहुत अच्छी होती है. ये डाटा हैकिंग या साइबर हैकिंग करने का काम करते हैं. इनका मकसद लोगों को परेशान करना और पैसा लेना होता है.
  • ग्रे हेड हैकर: ग्रे हेड हैकर दोनों हेड हैकर का मिलाजुला रूप है. ये बुरे काम भी करते हैं और अच्छे काम भी करते हैं. इस तरीके के हैकर स्टेट स्पॉन्सर्ड हैकिंग जैसे मामलों में जुड़े होते हैं. जैसे अगर यह किसी चीज का विरोध करते हैं, तो विरोध करने का तरीका इनका हैकिंग के थ्रू होता है. इनसे कहीं न कहीं एक ऑर्गनाइजेशन या एक देश को काफी नुकसान सहना पड़ता है.

लगातार किया जा रहा जागरूक

साइबर क्राइम से निपटने के लिए हमारे जिले में एक साइबर सेल की यूनिट है. जिसमें 40 से 45 लोग हैं. ये अधिकारी भी हैं. रायपुर पुलिस लगातार साइबर संगवारी नाम से अभियान चला रही है. लोगों को साइबर अपराधों के प्रति सचेत किया जा रहा है. ज्यादातर साइबर क्राइम के केस में बाहर के आरोपी शामिल हैं. जिसमें पुलिस कार्रवाई करते हुए बाहर टीम भेजती है और आरोपियों को गिरफ्तार किया जाता है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में साइबर आपराध के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. हाल ही में रायपुर पुलिस ने साल 2020 के आपराधिक मामलों के आंकड़े बताए हैं. जिसमें साल 2019 के मुकाबले सभी मामलों में कमी देखी गई है, लेकिन साइबर अपराध के मामलों की बात की जाए, तो साल दर साल ये आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. साल 2019 में जहां साइबर अपराध के 558 मामले देखे गए थे, वहीं साल 2020 में 31 अक्टूबर तक साइबर अपराध के 660 मामले सिर्फ राजधानी में दर्ज किए गए. जिसमें से कई मामले अभी तक सॉल्व नहीं हो पाए हैं.

छत्तीसगढ़ में साइबर अपराध के मामले

पिछले 3 साल के ऑनलाइन ठगी (साइबर फ्रॉड) आंकड़ों की बात की जाए तो:

सालऑनलाइन अपराधकेस साल्व्डरिफंड रकम
2018 348 12418 लाख 71 हजार 146
2019 548 15538 लाख 836
2020 660 12922 लाख 25 हजार 939

पढ़ें: सावधान: आधार, वोटर ID, मोबाइल और ई-मेल से भी खाली हो सकते हैं बैंक अकाउंट

ज्यादातर साइबर आपराधिक मामलों को टैकल करने में पुलिस सक्षम

अभी तक जितने भी साइबर क्राइम के अपराध हो रहे हैं, कहीं न कहीं पुलिस उसे टैकल करने में काफी हद तक सक्षम हो चुकी है. पिछले 2 से 3 साल में फर्जी कॉल की अगर बात करें, तो पुलिस ने इन्हें सॉल्व करने में सफलता पाई है. वहीं फॉरेंसिक क्राइम जैसे कुछ ऐसे केस हैं, जिसे सॉल्व करने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. ये सिर्फ छत्तीसगढ़ की बात नहीं, पूरे भारत में ऐसे बड़े साइबर अपराध के मामलों को टैकल करने में पुलिस को समस्या होती है. इसलिए भारत सरकार या छत्तीसगढ़ सरकार साइबर एक्सपर्ट का इन्वॉल्वमेंट ऐसे मामलों में वालंटियर की तरह कर रही है. ताकि इस तरह के मामले जल्दी सॉल्व हो सकें.

स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बनाकर किया जाता है काम

पुलिस के पास एक SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) है, जिसे पुलिस फॉलो करती है. जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप या सोशल मीडिया से कोई भी क्राइम हुआ, तो सबसे पहले पुलिस कंपनी से आईपी एड्रेस निकालती है, उसके बाद उस मोबाइल कंपनी को भेजती है. अगर मोबाइल पर अपराध होता है, तो उसका सीटीआर डाटा लेना और उसको फिर डाटा से मैच करना कि इस अपराध के पीछे कौन हो सकता है, यह सिंपल मेथड होता है, जिसे पुलिस फॉलो करती है. लेकिन पुलिस को सबसे ज्यादा समस्या डाटा को इकट्ठा करने में होती है. जैसे कहीं फॉरेन का आईपी ऐड्रेस या जो इंटरनेट वॉइस कॉल हो, वहां पुलिस को वॉइस कॉल ट्रेस करने में समस्या होती है.

पढ़ें: रायपुर: साइबर क्राइम पर लगाम लगाने में जुटी पुलिस, हेल्पलाइन नंबर किया गया जारी

हैकिंग के प्रकार

हैकिंग आमतौर पर तीन तरह की होती है, जिसमें-

  • वाइट हेड हैकर: वाइट हेड हैकर मुख्यत: एक कंपनी के लिए काम करते हैं. उनकी कंपनी में इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर की सिक्योरिटी में आए बग्स (लूप होल) को बताने और उसे दूर करने का काम करते हैं.
  • ब्लैक हेड हैकर: ये वो लोग होते हैं जो दुनिया से छिपकर काम करते हैं. इनकी आइडेंटिटी फेक होती है. उनके नाम फेक होते हैं. इनकी टेक्निकल स्किल बहुत अच्छी होती है. ये डाटा हैकिंग या साइबर हैकिंग करने का काम करते हैं. इनका मकसद लोगों को परेशान करना और पैसा लेना होता है.
  • ग्रे हेड हैकर: ग्रे हेड हैकर दोनों हेड हैकर का मिलाजुला रूप है. ये बुरे काम भी करते हैं और अच्छे काम भी करते हैं. इस तरीके के हैकर स्टेट स्पॉन्सर्ड हैकिंग जैसे मामलों में जुड़े होते हैं. जैसे अगर यह किसी चीज का विरोध करते हैं, तो विरोध करने का तरीका इनका हैकिंग के थ्रू होता है. इनसे कहीं न कहीं एक ऑर्गनाइजेशन या एक देश को काफी नुकसान सहना पड़ता है.

लगातार किया जा रहा जागरूक

साइबर क्राइम से निपटने के लिए हमारे जिले में एक साइबर सेल की यूनिट है. जिसमें 40 से 45 लोग हैं. ये अधिकारी भी हैं. रायपुर पुलिस लगातार साइबर संगवारी नाम से अभियान चला रही है. लोगों को साइबर अपराधों के प्रति सचेत किया जा रहा है. ज्यादातर साइबर क्राइम के केस में बाहर के आरोपी शामिल हैं. जिसमें पुलिस कार्रवाई करते हुए बाहर टीम भेजती है और आरोपियों को गिरफ्तार किया जाता है.

Last Updated : Jan 11, 2021, 1:12 PM IST
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