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Ketki Ke Phool Se Judi Manyta: भूलकर भी महादेव पर न चढ़ाएं केतकी का फूल - भगवान विष्णु

Lord Mahadev भगवान महादेव अपने भक्तों की भक्ति पर से बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. रोजाना जल भी अर्पित करें तो उनकी कृपा बनी रहती है. महादेव की पूजा में सफेद रंग के फूल चढ़ाए जाते हैं. मान्यता के मुताबिक महादेव को सफेद फूल बहुत प्रिय हैं, लेकिन हर सफेद फूल उन्हें अर्पित नहीं किया जा सकता. केतकी का फूल भी सफेद होता है, लेकिन ये भूलकर भी महादेव को कभी अर्पित नहीं करना चाहिए.

Ketki Ke Phool Se Judi Manyta
भूलकर भी महादेव पर न चढ़ाएं केतकी का फूल
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Published : Feb 15, 2023, 5:20 AM IST

Updated : Mar 13, 2023, 6:16 AM IST

रायपुर/हैदराबाद: शिवपुराण के अनुसार "एक बार ब्रह्माजी और भगवान विष्णु में श्रेष्ठता को लेकर विवाद छिड़ गया. इसका फैसला महादेव को करना था. तभी वहां एक विराट ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ. इस पर भगवान शिव ने कहा कि ब्रह्मा और विष्णु में से जो भी इस ज्योतिर्लिंग का आदि या अंत बता देगा, वो ही श्रेष्ठ कहलाएगा. ब्रह्माजी ज्योतिर्लिंग का आरंभ खोजने नीचे की ओर गए और विष्णु भगवान ऊपर की ओर चल पड़े. नीचे जाते समय ब्रह्माजी ने देखा कि एक केतकी फूल भी उनके साथ नीचे आ रहा है. ब्रह्माजी ने केतकी के फूल को पक्ष में कर लिया और महादेव के पास पहुंच गए."

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भगवान विष्णु ने जताई असमर्थता: शिवपुराण के मुताबिक "भगवान विष्णु ने लौटकर महादेव से कहा कि वे इस शिवलिंग का अंत ढूंढ पाने में असमर्थ रहे हैं. ब्रह्मा जी ने कहा कि उन्होंने पता लगा लिया है कि ज्योतिर्लिंग कहां से उत्पन्न हुआ. उन्होंने केतकी के फूल को इस बात का साक्षी बताया. लेकिन महादेव तो अंतर्यामी हैं. वे सच जानते थे. इसलिए उन्हें झूठ पर बहुत क्रोध आया. उन्होंने ब्रह्मा जी का एक सिर काट दिया और केतकी के फूल को श्राप देते हुए अपनी पूजा में वर्जित कर दिया." इसके से नियम बन गया कि जब भी महादेव की पूजा होती है, उसमें उन्हें केतकी का फूल नहीं चढ़ाया जाता.

ब्रह्मा जी को अपनी भूल का हुआ अहसास: शिवपुराण में है कि "इसके बाद शिव जी ने कहा कि मैं ही आदि हूं और मैं ही अंत हूं. मैं ही सृष्टि का कारण, उत्पत्तिकर्ता और स्वामी हूं. मुझ से ही आप दोनों की उत्पत्ति हुई है. ये ज्योतिर्लिंग भी मेरा ही स्वरूप है. इस पर बाद ब्रह्मा जी को अपनी भूल का अहसास हुआ. फिर ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु ने मिलकर ज्योतिर्लिंग की आराधना की."

रायपुर/हैदराबाद: शिवपुराण के अनुसार "एक बार ब्रह्माजी और भगवान विष्णु में श्रेष्ठता को लेकर विवाद छिड़ गया. इसका फैसला महादेव को करना था. तभी वहां एक विराट ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ. इस पर भगवान शिव ने कहा कि ब्रह्मा और विष्णु में से जो भी इस ज्योतिर्लिंग का आदि या अंत बता देगा, वो ही श्रेष्ठ कहलाएगा. ब्रह्माजी ज्योतिर्लिंग का आरंभ खोजने नीचे की ओर गए और विष्णु भगवान ऊपर की ओर चल पड़े. नीचे जाते समय ब्रह्माजी ने देखा कि एक केतकी फूल भी उनके साथ नीचे आ रहा है. ब्रह्माजी ने केतकी के फूल को पक्ष में कर लिया और महादेव के पास पहुंच गए."

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ब्रह्मा जी को अपनी भूल का हुआ अहसास: शिवपुराण में है कि "इसके बाद शिव जी ने कहा कि मैं ही आदि हूं और मैं ही अंत हूं. मैं ही सृष्टि का कारण, उत्पत्तिकर्ता और स्वामी हूं. मुझ से ही आप दोनों की उत्पत्ति हुई है. ये ज्योतिर्लिंग भी मेरा ही स्वरूप है. इस पर बाद ब्रह्मा जी को अपनी भूल का अहसास हुआ. फिर ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु ने मिलकर ज्योतिर्लिंग की आराधना की."

Last Updated : Mar 13, 2023, 6:16 AM IST
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