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Farming in summer: अक्षय तृतीया के बाद शुरू की जाती है खेती, इन बातों का रखें ध्यान

अक्षय तृतीया के बाद से ही खेती जुताई शुरू हो जाती है. खेती जुताई के दौरान खरपतवार का प्रबंधन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. खरपतवार की वजह से बीज खराब हो जाते हैं. इसलिए खरपतवार को खेती करने से पहले ही साफ कर देना चाहिए.

summer plowing
ग्रीष्मकालीन जुताई
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Published : May 12, 2023, 4:42 PM IST

घनश्याम साहू वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक

रायपुर: छत्तीसगढ़ के किसान अक्षय तृतीया के दिन से खेती की शुरुआत करते हैं. अक्षय तृतीया को खेती के शुरुआत का त्यौहार माना जाता है. मौसम को देखते हुए किसान खेती करते हैं. अक्सर अक्षय तृतीया के एक-दो दिन आगे या पीछे बारिश जरूर होती है. इसलिए किसान दिन और समय को भांपते हुए खेती करते हैं.

गर्मी के दिनों में खेतों की जुताई यानी कि ग्रीष्मकालीन जुताई में कई बातों का ध्यान रखना होता है. पहले के किसान बैंलगाड़ी से खेतों की जुताई करते थे. हालांकि समय के साथ-साथ खेती और जुताई के सिस्टम में काफी बदलाव हो गया है. गर्मी के दिनों में खेती जुताई को लेकर रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक घनश्याम साहू ने भी अपनी राय ईटीवी भारत से साझा की है.

"ग्रीष्मकालीन जुताई करने से बहुवर्षीय फसल और सीजनल फसल की खरपतवार को आसानी से खत्म किया जा सकता है.मृदाजनित हानिकारक कीट का जीवन चक्र या लाइफ साइकल प्रभावित होता है और जमीन से हानिकारक कीट को समाप्त किया जा सकता है." - घनश्याम साहू, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय

खरपतवार का प्रबंधन जरुरी: कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जमीन में नमी आने के बाद किसान गर्मी के दिनों में जुताई शुरु करते हैं. इस जुताई के काफी फायदे हैं. खेत में फैले खरपतवार चाहे खरीफ फसल का हो या फिर रवि फसल का खेती के समय जमीन पर पड़ी रहती है. इसका प्रबंधन बेहद जरूरी है. ये खरपतवार या तो जमीन के अंदर छिपा होता है या फिर जमीन के ऊपर. कुछ खरपतवार बीज और जमीन के काफी नीचे चला जाता है. ऐसे में जब बीज से नमी चली जाती है, जिससे बीज के बाहरी कोर में दरार पड़ने की संभावना होती है. ये बीज सक्रिय होने के बजाय निष्क्रिय हो जाते हैं. ऐसे में खरपतवार के संपर्क में आने वाले बीज उगते नहीं हैं, इसलिए खरपतवार प्रबंधन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है.

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ऐसे बढ़ती है मिट्टी की उर्वरा शक्ति : खरपतवार प्रबंधन से मृत हानिकारक कीट का जीवन चक्र प्रभावित होता है. खरपतवार प्रबंधन से जमीन से हानिकारक कीट को खत्म किया जा सकता है. मृदाजनित बीमारियों को जड़ से खत्म करने के लिए अप्रैल और मई माह में जुताई की जाती है. आने वाले समय में फसल लगाते समय मृदाजनित बीमारी लगभग खत्म हो जाती है. खेतों की बिना जुताई फसल लगाने पर मिट्टी काफी सख्त हो जाता है. ऐसे में ग्रीष्मकालीन जुताई करने से मिट्टी में नमी और भरभरापन रहता है. अगर किसान ट्रैक्टर से जुताई करते हैं तो जमीन में गहराई के साथ आड़ा और तिरछा जुताई करना चाहिए. ऐसा करने से गर्मी के दिनों में मरी हुई मिट्टी में उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है.

घनश्याम साहू वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक

रायपुर: छत्तीसगढ़ के किसान अक्षय तृतीया के दिन से खेती की शुरुआत करते हैं. अक्षय तृतीया को खेती के शुरुआत का त्यौहार माना जाता है. मौसम को देखते हुए किसान खेती करते हैं. अक्सर अक्षय तृतीया के एक-दो दिन आगे या पीछे बारिश जरूर होती है. इसलिए किसान दिन और समय को भांपते हुए खेती करते हैं.

गर्मी के दिनों में खेतों की जुताई यानी कि ग्रीष्मकालीन जुताई में कई बातों का ध्यान रखना होता है. पहले के किसान बैंलगाड़ी से खेतों की जुताई करते थे. हालांकि समय के साथ-साथ खेती और जुताई के सिस्टम में काफी बदलाव हो गया है. गर्मी के दिनों में खेती जुताई को लेकर रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक घनश्याम साहू ने भी अपनी राय ईटीवी भारत से साझा की है.

"ग्रीष्मकालीन जुताई करने से बहुवर्षीय फसल और सीजनल फसल की खरपतवार को आसानी से खत्म किया जा सकता है.मृदाजनित हानिकारक कीट का जीवन चक्र या लाइफ साइकल प्रभावित होता है और जमीन से हानिकारक कीट को समाप्त किया जा सकता है." - घनश्याम साहू, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय

खरपतवार का प्रबंधन जरुरी: कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जमीन में नमी आने के बाद किसान गर्मी के दिनों में जुताई शुरु करते हैं. इस जुताई के काफी फायदे हैं. खेत में फैले खरपतवार चाहे खरीफ फसल का हो या फिर रवि फसल का खेती के समय जमीन पर पड़ी रहती है. इसका प्रबंधन बेहद जरूरी है. ये खरपतवार या तो जमीन के अंदर छिपा होता है या फिर जमीन के ऊपर. कुछ खरपतवार बीज और जमीन के काफी नीचे चला जाता है. ऐसे में जब बीज से नमी चली जाती है, जिससे बीज के बाहरी कोर में दरार पड़ने की संभावना होती है. ये बीज सक्रिय होने के बजाय निष्क्रिय हो जाते हैं. ऐसे में खरपतवार के संपर्क में आने वाले बीज उगते नहीं हैं, इसलिए खरपतवार प्रबंधन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है.

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