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वेतन बगैर कर्मचारियों की कैसी दिवाली, कर्मचारियों का 5500 करोड़ रुपये छत्तीसगढ़ सरकार ने दबाया: केदार कश्यप - केदार कश्यप

Kedar Kashyap targets Chhattisgarh government पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कर्मचारियों के वेतन और भत्तों के लिए एक बार फिर छत्तीसगढ़ सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि इस साल कई कर्मचारियों के घरों में दीवाली काफी सादी रहेगी. भूपेश सरकार ने कई हजार करोड़ रुपये के लाभ से कर्मचारियों को वंचित कर दिया है. "Issue of salary and allowances in Chhattisgarh

Kedar Kashyap targets Chhattisgarh government
केदार कश्यप ने छत्तीसगढ़ सरकार को घेरा
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Published : Oct 23, 2022, 12:33 PM IST

रायपुर: दिवाली के मौके पर भाजपा ने एक बार राज्य सरकार को आवास भाड़ा भत्ता, सातवें वेतनमान, महंगाई भत्ता जैसे तमाम मुद्दों को लेकर सरकार को घेरा है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने कहा " दीपावली त्योहार एक दिन बचा है और छत्तीसगढ़ सरकार की नाकामी की वजह से राज्य के कर्मचारियों और अधिकारियों को अब तक वेतन नहीं मिल पाया है. जिसकी वजह से कर्मचारियों में नाराजगी और मायूसी है."

केदार कश्यप ने छत्तीसगढ़ सरकार को घेरा

कांग्रेस सरकार कर्मचारी विरोधी: भाजपा प्रदेश प्रवक्ता केदार कश्यप ने कहा " देश के सबसे बड़े त्योहार दीपावली के लिए सभी तरफ उत्साह का माहौल है लेकिन छत्तीसगढ़ सहित बस्तर संभाग में अभी तक कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है. त्योहार के समय वेतन न मिलने से कर्मचारियों के परिवार पर आर्थिक संकट आ पड़ा है. लेकिन राज्य सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है. राज्य सरकार संवेदनशून्य हो चुकी है. ऐसी सरकार जो अपने प्रदेश की जनता का सुख दुख न समझ सके उसे पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार ही नहीं है. सरकार जल्द से जल्द कर्मचारियों का वेतन जमा कर ताकि सभी लोग खुशी खुशी त्योहार मना सकें. "

सीजी व्यापम की सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा स्थगित होने से कैंडिडेट नाराज

कर्ज में डूबी प्रदेश में जनता से लेकर कर्मचारी तक बेहाल : कश्यप ने कहा " भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ कर्मचारियों को लगभग 5500 करोड़ रुपये के लाभ से वंचित किया है. साल 2019 से कर्मचारियों को केन्द्र की तरफ से घोषित महंगाई भत्ता नहीं दिया गया. कर्मचारियों के आंदोलन के बाद जब महंगाई भत्ता 5 प्रतिशत बढ़ा कर दिया गया तो इससे पहले के तीन साल का महंगाई भत्ता से उन्हें वंचित कर दिया. भाजपा की सरकार में इस राशि को GPF में जमा कर दिया जाता था. जो रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों को एक बड़ी राशि के रूप में काम आता था. इसी प्रकार आवास भाड़ा भत्ता सातवें वेतनमान अनुसार मिलना चाहिए लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने यहां भी कर्मचारियों का गला दबाया. प्रति मास तीन हजार रुपये का नुकसान कर लगभग कर्मचारियों का डेढ़ हजार करोड़ रुपये का नुकसान किया है. इसका सबसे ज्यादा नुकसान पेंशनधारियों को हो रहा है. जो अपनी आवाज उठाने में असमर्थ है."

रायपुर: दिवाली के मौके पर भाजपा ने एक बार राज्य सरकार को आवास भाड़ा भत्ता, सातवें वेतनमान, महंगाई भत्ता जैसे तमाम मुद्दों को लेकर सरकार को घेरा है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने कहा " दीपावली त्योहार एक दिन बचा है और छत्तीसगढ़ सरकार की नाकामी की वजह से राज्य के कर्मचारियों और अधिकारियों को अब तक वेतन नहीं मिल पाया है. जिसकी वजह से कर्मचारियों में नाराजगी और मायूसी है."

केदार कश्यप ने छत्तीसगढ़ सरकार को घेरा

कांग्रेस सरकार कर्मचारी विरोधी: भाजपा प्रदेश प्रवक्ता केदार कश्यप ने कहा " देश के सबसे बड़े त्योहार दीपावली के लिए सभी तरफ उत्साह का माहौल है लेकिन छत्तीसगढ़ सहित बस्तर संभाग में अभी तक कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है. त्योहार के समय वेतन न मिलने से कर्मचारियों के परिवार पर आर्थिक संकट आ पड़ा है. लेकिन राज्य सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है. राज्य सरकार संवेदनशून्य हो चुकी है. ऐसी सरकार जो अपने प्रदेश की जनता का सुख दुख न समझ सके उसे पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार ही नहीं है. सरकार जल्द से जल्द कर्मचारियों का वेतन जमा कर ताकि सभी लोग खुशी खुशी त्योहार मना सकें. "

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कर्ज में डूबी प्रदेश में जनता से लेकर कर्मचारी तक बेहाल : कश्यप ने कहा " भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ कर्मचारियों को लगभग 5500 करोड़ रुपये के लाभ से वंचित किया है. साल 2019 से कर्मचारियों को केन्द्र की तरफ से घोषित महंगाई भत्ता नहीं दिया गया. कर्मचारियों के आंदोलन के बाद जब महंगाई भत्ता 5 प्रतिशत बढ़ा कर दिया गया तो इससे पहले के तीन साल का महंगाई भत्ता से उन्हें वंचित कर दिया. भाजपा की सरकार में इस राशि को GPF में जमा कर दिया जाता था. जो रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों को एक बड़ी राशि के रूप में काम आता था. इसी प्रकार आवास भाड़ा भत्ता सातवें वेतनमान अनुसार मिलना चाहिए लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने यहां भी कर्मचारियों का गला दबाया. प्रति मास तीन हजार रुपये का नुकसान कर लगभग कर्मचारियों का डेढ़ हजार करोड़ रुपये का नुकसान किया है. इसका सबसे ज्यादा नुकसान पेंशनधारियों को हो रहा है. जो अपनी आवाज उठाने में असमर्थ है."

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