रायपुरः हिन्दू धर्म (Hindu dharm) में करवा चौथ (Karva Chauth) व्रत महिलाएं (Womens) अपने पति के लंबी उम्र के लिए करती हैं. इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत (Nirjal vrat) रखती हैं फिर शाम को चन्द्रमा (Moon) के दर्शन के बाद पति के हाथों जल पीकर व्रत तोड़ती हैं. इस बार 24 अक्टूबर यानी कि रविवार को करवा चौथ मनाया जाएगा.
कहते हैं कि करवा चौथ का व्रत सभी व्रतों से कठिन व्रत माना जाता है. इस व्रत में चद्र दर्शन का खास महत्व होता है. अगर इस व्रत में चन्द्रमा का दर्शन नहीं किया जाए तो व्रत अधूरा माना जाता है. चंद्रमा के दर्शन के बाद चंद्र को अर्घ्य देकर पति की पूजा की जाती है. फिर पति के हाथों जल पीकर व्रत तोड़ा जाता है.
साज-श्रृंगार का है अलग महत्व
इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं. पूजा के समय साज-श्रृंगार का अलग ही महत्व माना गया है.यह व्रत निर्जला व निराहार रखा जाता है. व्रत में व्रती महिलाएं पूरे दिन बिना अन्न- जल ग्रहण किये हुए व्रत रखकर शाम को माता पार्वती, भगवान शिव, गणेश जी, भगवान कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा करती है. उसके बाद चंद्रमा का छलनी के अंदर से दर्शन करती हैं. इसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत पूरा करती हैं.
ये है शुभ समय
करवा चौथ व्रत कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 अक्टूबर 2021 दिन रविवार को प्रात: 03 बजकर 01 मिनट पर प्रारंभ हो रहा है. यह चतुर्थी तिथि 25 अक्टूबर 2021 दिन सोमवार को प्रात: काल 05 बजकर 43 मिनट तक रहेगी. पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि में चन्द्रोदयव्यापिनी मुहूर्त 24 अक्टूबर को प्राप्त हो रहा है, इसलिए करवा चौथ व्रत 24 अक्टूबर दिन रविवार को ही रखा जाएगा.पंचांग के अनुसार, 24 अक्टूबर को चंद्रमा का उदय रात को 08 बजकर 07 मिनट पर होगा. व्रती महिलायें इस समय चंद्रमा का दर्शन कर व्रत का समापन कर सकती है.
जानिए क्या है करवा चौथ की विधि
इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर सरघी खाना चाहिए.करवा चौथ व्रत वाले दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें. इस पावन व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लें. फिर पूरे दिन निर्जल उपवास रखें. इसके बाद शाम के समय भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेश की रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य एवं श्रृंगार के सामान आदि से पूजा करें. इसके बाद करवा चौथ व्रत की कथा का पाठ करें या सुनें. इसके बाद चंद्र देव के उदय होने पर उनका दर्शन करें. उसके बाद पति को छलनी से देखें.चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद अपने पति को तिलक लगाकर प्रसाद खिलाएं और उननके हाथों से पानी पीकर अपना व्रत पूर्ण करें. इसके बाद अपने से बड़ो का पैस छूकर आशिर्वाद लें.