ETV Bharat / state

रायपुर: कमरछठ पर्व, माताओं ने संतान की लंबी उम्र के लिए रखा व्रत - माताओं ने की पूजा अर्चना

रायपुर के डगनिया क्षेत्र में भी कमरछठ पर्व मनाया गया. यहां पर माताएं बमलेस्वरी मंदिर के सामने एकत्रित हुईं. जहां भगवान शिव, गौरी-गणेश, कार्तिकेय और नंदी भगवान की पूजा अर्चना की.

kamachatha festival
कमरछठ पर्व
author img

By

Published : Aug 10, 2020, 5:48 AM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कमरछठ पर्व सादगीपूर्ण तरीके से मनाया गया. भादो महीने की कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हलषष्ठी पर्व मनाया जाता है. इसे छत्तीसगढ़ में कमरछठ के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है. बलराम को शेषनाग का अवतार भी माना जाता है. भगवान विष्णु के अधिकांश अवतारों में शेषनाग किसी न किसी रूप में उनके साथ हमेशा अवतरित हुए हैं. हिंदू धर्म शास्त्रानुसार भगवान बलराम का प्रधान शस्त्र हल और मूसल है. हल धारण करने के कारण भी बलराम को हलधर कहा जाता है.कमरछठ के दिन माताएं व्रत रहकर संतान की लंबी उम्र और समृद्धि की प्रार्थना करती है.

कमरछठ पर्व

डगनिया क्षेत्र में भी कमरछठ पर्व मनाया गया. यहां पर माताएं बमलेस्वरी मंदिर के सामने एकत्रित हुई. सगरी का निर्माण करके विधि-विधान से सोशल डिस्टेंडिंग का पालन करते हुए कांस का मंडप सजाया गया. जहां भगवान शिव, गौरी-गणेश, कार्तिकेय और नंदी भगवान की पूजा अर्चना की गई. मंदिर प्रांगण के पंडित जी ने व्रत मनाए जाने का कारण भी बताया.

पढ़ें-SPECIAL: संतान की दीर्घायु का पर्व कमरछठ, इस दिन महिलाएं सगरी कुंड बनाकर करती हैं पूजा अर्चना

खेत से उगाए अन्न का महिलाएं नहीं करती सेवन

महिलाएं एक जगह पर एकजुट होकर सगरी का निर्माण कर भूमि का पूजन करती हैं. इस दिन खेत में उगाए हुए या जोते हुए अनाजों और सब्जियों को नहीं खाया जाता. साथ ही भैंस का दूध, दही, घी ये उससे बने किसी भी वस्तु को खाने की पंरपरा है. इसलिए महिलाएं इस दिन तालाब में उगे पसही/तिन्नी का चावल/पसहर के चावल खाकर व्रत रखती हैं. इस दिन गाय का दूध दही, घी का प्रयोग वर्जित है. महिलाएं मिट्टी की चुकिया बनाकर पूजा करती हैं. आज पूजा में लाई और चना कांसी के पौधे, पलाश के पत्ते उपयोग में लाए जाते हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कमरछठ पर्व सादगीपूर्ण तरीके से मनाया गया. भादो महीने की कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हलषष्ठी पर्व मनाया जाता है. इसे छत्तीसगढ़ में कमरछठ के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है. बलराम को शेषनाग का अवतार भी माना जाता है. भगवान विष्णु के अधिकांश अवतारों में शेषनाग किसी न किसी रूप में उनके साथ हमेशा अवतरित हुए हैं. हिंदू धर्म शास्त्रानुसार भगवान बलराम का प्रधान शस्त्र हल और मूसल है. हल धारण करने के कारण भी बलराम को हलधर कहा जाता है.कमरछठ के दिन माताएं व्रत रहकर संतान की लंबी उम्र और समृद्धि की प्रार्थना करती है.

कमरछठ पर्व

डगनिया क्षेत्र में भी कमरछठ पर्व मनाया गया. यहां पर माताएं बमलेस्वरी मंदिर के सामने एकत्रित हुई. सगरी का निर्माण करके विधि-विधान से सोशल डिस्टेंडिंग का पालन करते हुए कांस का मंडप सजाया गया. जहां भगवान शिव, गौरी-गणेश, कार्तिकेय और नंदी भगवान की पूजा अर्चना की गई. मंदिर प्रांगण के पंडित जी ने व्रत मनाए जाने का कारण भी बताया.

पढ़ें-SPECIAL: संतान की दीर्घायु का पर्व कमरछठ, इस दिन महिलाएं सगरी कुंड बनाकर करती हैं पूजा अर्चना

खेत से उगाए अन्न का महिलाएं नहीं करती सेवन

महिलाएं एक जगह पर एकजुट होकर सगरी का निर्माण कर भूमि का पूजन करती हैं. इस दिन खेत में उगाए हुए या जोते हुए अनाजों और सब्जियों को नहीं खाया जाता. साथ ही भैंस का दूध, दही, घी ये उससे बने किसी भी वस्तु को खाने की पंरपरा है. इसलिए महिलाएं इस दिन तालाब में उगे पसही/तिन्नी का चावल/पसहर के चावल खाकर व्रत रखती हैं. इस दिन गाय का दूध दही, घी का प्रयोग वर्जित है. महिलाएं मिट्टी की चुकिया बनाकर पूजा करती हैं. आज पूजा में लाई और चना कांसी के पौधे, पलाश के पत्ते उपयोग में लाए जाते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.