रायपुर: धर्म संसद में महात्मा गांधी पर आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में कालीचरण की मुश्किलें कम नहीं हो रही है. एडिशनल डिस्ट्रिक जज विक्रम प्रताप चंद्रा की कोर्ट में दायर जमानत याचिका खारिज कर दी गई है. दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अतिरिक्त न्यायधीश विक्रम प्रताप चंद्रा ने फैसला सुनाया. उन्होंने इस मामले को गंभीर प्रवृत्ति का मानते हुए जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. कालीचरण की जमानत को लेकर उनके वकील हाइकोर्ट में याचिका दायर करेंगे.
कालीचरण की जमानत याचिका खारिज
सरकारी वकील और बचाव पक्ष के वकीलों के बीच जमानत को लेकर बहस हुई. सरकारी वकील जीपी शुक्ला और केके शुक्ला ने धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने और राष्ट्रपिता को अपशब्द कहे जाने की दलील दी. बचाव पक्ष के वकील लोकेश मिश्रा ने भी दलील दी कि किसी भी विवादित बयान के आधार पर भविष्य का आकलन कर वर्तमान में किसी व्यक्ति को आरोपी नहीं बना सकते. इंटरस्टेट प्रोटोकॉल के उल्लंघन की भी दलील दी दई. बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा प्राप्त है ये बात संविधान में कहीं नहीं लिखी गई है. ऐसे में राजद्रोह का मामला नहीं बनता.
अब ट्रांजिट रिमांड के लिए अर्जी लगाएगी महाराष्ट्र पुलिस
कालीचरण केस में महाराष्ट्र पुलिस को प्रोडक्शन वारंट नहीं मिला. कोर्ट ने प्रोडक्शन वारंट देने से मना कर दिया है. प्रोडक्शन के बदले ट्रांजिट रिमांड ले सकते हैं. महाराष्ट्र पुलिस अब मंगलवार को ट्रांजिट रिमांड के लिए फिर कोर्ट में अर्जी लगाएगी. CJM भूपेंद्र वासनीकर की कोर्ट में महाराष्ट्र पुलिस ने अर्जी लगाई थी.
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19 दिसंबर को महाराष्ट्र में दिया था भड़काऊ बयान
कालीचरण महाराज पर महाराष्ट्र के ठाणे इलाके के खड़क थाना में केस दर्ज है. 19 दिसंबर को खड़क में हिंदू आघाडी की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में उन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप है. इस मामले में 21 दिसंबर को कालीचरण समेत छह लोगों पर खड़क थाने में धर्म विशेष की धार्मिक भावनाओं को आहत पहुंचाने के आरोप में केस दर्ज हुआ था. उसके बाद से कालीचरण फरार चल रहे थे. इसी मामले में महाराष्ट्र की पुलिस कालीचरण को रायपुर से महाराष्ट्र ले जाने आई है.