हैदराबाद: हिंदू धर्म (Hindu Religion) में पूर्णिमा का खास महत्व होता है. इस दिन पूजा पाठ का विशेष महत्व होता है. इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा की जाती है. इस दिन नदी में स्नान करने की भी परंपरा है. 24 जून को पड़नेवाली ज्येष्ठ पूर्णिमा (jyeshtha purnima 2021) का खास महत्व इसलिए भी हो जाता है क्योंकि यह गुरुवार को पड़ रहा है.
ज्येष्ठ पूर्णिमा और गुरुवार का शुभ संयोग
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की अराधना की जाती है और जब ये खास दिन गुरुवार को आता है तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है. गुरुवार का दिन भी विष्णु जी की अराधना के लिए विशेष होता है. 24 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा और गुरुवार का शुभ संयोग बन रहा है. ज्योतिषों की माने तो इस दिन विष्णु आराधना और कुछ विशेष उपायों को करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होने का आशीर्वाद मिलता है. पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य के कार्यों भी बहुत फलदायी माने जाते हैं.
व्रत रखने से भगवान विष्णु का मिला है आशीर्वाद
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत का शास्त्रों में विशेष पुण्य बताया गया है. मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक व्रत रखने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन स्नान और दान का भी विशेष महत्व बताया गया है. इस व्रत को रखने से धन से जुड़ी परेशानियां भी दूर होती हैं. पूर्णिमा की इस तिथि में वट सावित्री का व्रत रखा जाता है. उत्तर भारत के कई राज्यों में महिलाएं इस व्रत को बहुत ही श्रद्धा भाव से रखती हैं. पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखा जाता है. पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा की तिथि 24 जून गुरुवार, को प्रात: 03 बजकर 32 मिनट से शुरू होगी. पूर्णिमा की तिथि का समापन 25 जून 2021, दिन शुक्रवार को रात्रि 12 बजकर 09 मिनट पर होगा.
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उपवास का नियम
ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा के दिन प्रातः काल उठकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद हाथ जोड़कर पूरे दिन का उपवास रखने का संकल्प लेना चाहिए. इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा भी होती है. बरगद के पेड़ की पूजा करते समय अन्न, फूल,गुड़, धूप, दीप चढाएं. महिलाएं सुहाग का सामान चढ़ाएं और पूजन के समय वट वृक्ष में धागे से फेरे लगाएं. इस दिन जल से भरा हुआ मिट्टी का घड़ा दान करना होता है. इसके अलावा इस दिन पकवान आदि भी बनाकर दान करना शुभ माना जाता है. रात के समय चंद्रमा की विधिविधान से पूजा की जाती है.
भगवान विष्णु के प्रभावशाली मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
ॐ हूं विष्णवे नम:
ॐ विष्णवे नम:
ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
ॐ अं वासुदेवाय नम:
ॐ आं संकर्षणाय नम:
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
ॐ नारायणाय नम: