रायपुर: आदिवासी बालक छात्रावास में रैगिंग का मामला सामने आया है. राजधानी के पेंशनबाड़ा स्थित आदिवासी बालक छात्रावास में सीनियर छात्रों ने जूनियर छात्रों की जमकर पिटाई की है. प्रताड़ित छात्रों ने सिटी कोतवाली थाने में सीनियर्स के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. इसमें जूनियर छात्रों ने सीनियर छात्रों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. छात्रों की मानें, तो उनके साथ आए दिन मारपीट की जा रही है, जिसके कारण कुछ छात्रों ने छात्रावास तक छोड़ दिया है.
नक्सल प्रभावित इलाके के हैं छात्र
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के छात्र भविष्य बनाने का सपना लिए राजधानी पढ़ाई करने आए थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए उन्हें इतनी प्रताड़नाओं से गुजरना पड़ेगा. अच्छी पढ़ाई के लिए राजधानी पहुंचे ये छात्र आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से होने के कारण सरकारी छात्रावास में रहते हैं, लेकिन सीनियर्स की प्रताड़ना से परेशान हैं.
छात्रों का दर्द सुन सहम जाएंगे
छात्रों ने बताया कि हॉस्टल में रहने वाले सीनियर उनकी रैगिंग लेते हैं. सीनियर्स उन्हें बेवजह प्रताड़ित करते हैं. छात्रावास में सीनियरों का हुक्म नहीं मानने पर उनकी जमकर पिटाई की जाती है. जूनियर छात्रों से बाथरूम साफ कराया जाता है. खाना बनवाया जाता है. साथ ही देर रात तक छात्रों की परेड लगाई जाती है. किसी सवाल का जवाब न देने या विरोध करने पर 1 छात्र को 15 से 20 सीनियर एक-एक करके पीटते हैं. हर शनिवार मीटिंग बुलाई जाती है. रात 10 से 4 बजे तक छात्रों को लाइन से खड़े कर पिटाई की जाती है.
छात्रों ने बताया कि शिकायत का मकसद है कि जो हॉस्टल में रैगिंग चल रही है, वह सभी के सामने उजागर हो. सभी छात्र नक्सल प्रभावित क्षेत्र से आते हैं. ऐसे में छात्रों की मांग है कि सभी बिना किसी दबाव के हॉस्टल में रहकर अच्छे से पढ़ाई कर सकें.
छात्रों ने किए खुलासे
जूनियर छात्रों का आरोप है कि सीनियर छात्र हॉस्टल में शराब का सेवन करते हैं. साथ ही बाहर से लड़कियों को लाया जाता है और जिस रूम में जूनियर रहते हैं, उन्हें रूम से बाहर निकाल दिया जाता है. शराब के नशे में सीनियर किसी भी जूनियर के रूम में घुसकर मारपीट करते हैं, जिससे वे दहशत में हैं और पढ़ाई भी नहीं कर पा रहे हैं.
छात्रों का कहना है कि UG में पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए 3 साल रहने के लिए हॉस्टल व्यवस्था है. वहीं PSC की तैयारी कर रहे लोगों के लिए 2 साल की व्यवस्था है, लेकिन कुछ सीनियर ऐसे हैं, जो पिछले 15- 20 साल से हॉस्टल में हैं. अपने दोस्तों के साथ जूनियरों के ऊपर अत्याचार करते हैं.
प्रताड़ना के बाद कई छात्रों ने छोड़ा हॉस्टल
छात्रों ने बताया कि प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए 150 सीट हैं, लेकिन शुरुआती दौर में हॉस्टल में 50 छात्र रहते थे, लेकिन रैगिंग से प्रताड़ित होकर बहुत से छात्रों ने हॉस्टल छोड़ दिया है. अभी मात्र 15 से 20 छात्र ही हॉस्टल में रह रहे हैं