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हर घर तिरंगा 2022: भारतीय झंडे के सफर की कहानी - journey of indian national flag

भारतीय तिरंगे को लेकर इतिहास में कई कहानियां हैं.ऐसी ही एक कहानी इसके रंग से (har ghar tiranga Campaign in chhattisgarh ) जुड़ी है. ये कम लोगों को ही पता होगा कि भारतीय तिरंगे ने अब तक 6 बार अपना रंग बदला (Indian tiranga has changed its color six times)है.

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Etv Bharatहर घर तिरंगा 2022: भारतीय झंडे के सफर की कहानी
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Published : Aug 3, 2022, 4:38 PM IST

Updated : Aug 3, 2022, 6:22 PM IST

रायपुर : हर देश का अपना एक राष्ट्रीय ध्वज होता है, जो कि उसकी कहानी को बयां करता (journey of indian national flag)है. भारत का राष्ट्रीय ध्वज जिसे आज 'तिरंगा' भी कहा जाता (har ghar tiranga Campaign ) है कि कहानी भी बड़ी रोचक (har ghar tiranga Campaign in chhattisgarh ) है. अपने वर्तमान रूप में आने से पहले भारत के ध्वज ने 6 बार अपना रंग रूप (Indian tiranga has changed its color six times)बदला.

पहला तिरंगा : सबसे पहले तिरंगे को 7 अगस्त, 1906 को कलकत्ता (वर्तमान में कोलकाता) के पारसी बागान स्क्वेयर में फहराया गया (har ghar tiranga campaign) था. इस झंडे में तीन रंग की पट्टियां थी. जिनमें बीच की पट्टी पर वंदे मातरम लिखा था. इस बीच में सफेद की बजाए पीली पट्टी थी. वहीं नीचे की पट्टी लाल थी जिस पर अर्ध चंद्र और सूरज बना था. इसके अलावा सबसे ऊपरी हरी पट्टी पर कमल का फूल अंकित था.

सबसे पहला तिरंगा
सबसे पहला तिरंगा

बर्लिन कमेटी का झंडा : यह भी पहले झंडे से काफी कुछ मिलता जुलता था. इसमें बीच की पीली पट्टी पर वंदे मातरम लिखा था. इसमें ऊपरी पट्टी पर कमल के फूल की बजाए सात तारे छपे थे, जो कि सप्तर्षि का तारामंडल का प्रतीक थे. इसे 1907 में मैडम काम ने फहराया था. साथ ही इसे बर्लिन में आयोजित एक सभा में भी भारत के झंडे के रूप में फहराया गया.

बर्लिन कमेटी का झंडा
बर्लिन कमेटी का झंडा

होम रूल आंदोलन का झंडा : इसके बाद तीसरी बार भारत का झंडा सामने आया नए रूप में होम रूल आंदोलन के दौरान. 1917 में इस झंडे को होम एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने फहराया था. इस झंडे में पांच लाल और चार हरी पट्टियां थीं. इन पर सात तारे अंकित थे. इसके बाएं कोने में ऊपरी ओर ब्रिटेन का आधिकारिक झंडा भी छपा था.

होम रूल आंदोलन का झंडा
होम रूल आंदोलन का झंडा

अनौपचारिक तिरंगा झंडा : 1921 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की एक बैठक में आयोजित एक युवा ने गांधी जी को यह झंडा दिया. यह तीन रंग की पट्टियों से बना था और इस पर नीले रंग में चरखा अंकित था. इसके तीन रंगों सफेद रंग सबसे ऊपर, उसके नीचे हरा रंग और सबसे नीचे लाल रंग था.

अनौपचारिक तिरंगा झंडा
अनौपचारिक तिरंगा झंडा

गांधी जी का झंडा : साल 1931 तिरंगे की यात्रा में महत्वपूर्ण पड़ाव है. इस दौरान एक रेज्योल्यूशन पास कर तिरंगे को आधिकारिक तौर पर भारत के ध्वज के रूप में अपनाया गया. इस ध्वज में सफेद पट्टी बीच में थी और इस पर गांधी जी का चरखा अंकित था.

गांधी जी का झंडा
गांधी जी का झंडा

ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ में हर घर तिरंगा अभियान, 34 हजार तिरंगे की पहुंची खेप (हर घर तिरंगा 2022)

तिरंगा : भारत के वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज की कल्पना पिंगली वेंकैयानंद ने की थी. तिरंगे को इस रूप में पहली बार भारतीय संविधान सभा की 22 जुलाई को आयोजित बैठक में अपनाया गया था. जिसके बाद 26 जनवरी 1950 को इसे राष्ट्रध्वज के रूप में अपनाया गया.

भारत का राष्ट्रीय ध्वज
भारत का राष्ट्रीय ध्वज


रायपुर : हर देश का अपना एक राष्ट्रीय ध्वज होता है, जो कि उसकी कहानी को बयां करता (journey of indian national flag)है. भारत का राष्ट्रीय ध्वज जिसे आज 'तिरंगा' भी कहा जाता (har ghar tiranga Campaign ) है कि कहानी भी बड़ी रोचक (har ghar tiranga Campaign in chhattisgarh ) है. अपने वर्तमान रूप में आने से पहले भारत के ध्वज ने 6 बार अपना रंग रूप (Indian tiranga has changed its color six times)बदला.

पहला तिरंगा : सबसे पहले तिरंगे को 7 अगस्त, 1906 को कलकत्ता (वर्तमान में कोलकाता) के पारसी बागान स्क्वेयर में फहराया गया (har ghar tiranga campaign) था. इस झंडे में तीन रंग की पट्टियां थी. जिनमें बीच की पट्टी पर वंदे मातरम लिखा था. इस बीच में सफेद की बजाए पीली पट्टी थी. वहीं नीचे की पट्टी लाल थी जिस पर अर्ध चंद्र और सूरज बना था. इसके अलावा सबसे ऊपरी हरी पट्टी पर कमल का फूल अंकित था.

सबसे पहला तिरंगा
सबसे पहला तिरंगा

बर्लिन कमेटी का झंडा : यह भी पहले झंडे से काफी कुछ मिलता जुलता था. इसमें बीच की पीली पट्टी पर वंदे मातरम लिखा था. इसमें ऊपरी पट्टी पर कमल के फूल की बजाए सात तारे छपे थे, जो कि सप्तर्षि का तारामंडल का प्रतीक थे. इसे 1907 में मैडम काम ने फहराया था. साथ ही इसे बर्लिन में आयोजित एक सभा में भी भारत के झंडे के रूप में फहराया गया.

बर्लिन कमेटी का झंडा
बर्लिन कमेटी का झंडा

होम रूल आंदोलन का झंडा : इसके बाद तीसरी बार भारत का झंडा सामने आया नए रूप में होम रूल आंदोलन के दौरान. 1917 में इस झंडे को होम एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने फहराया था. इस झंडे में पांच लाल और चार हरी पट्टियां थीं. इन पर सात तारे अंकित थे. इसके बाएं कोने में ऊपरी ओर ब्रिटेन का आधिकारिक झंडा भी छपा था.

होम रूल आंदोलन का झंडा
होम रूल आंदोलन का झंडा

अनौपचारिक तिरंगा झंडा : 1921 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की एक बैठक में आयोजित एक युवा ने गांधी जी को यह झंडा दिया. यह तीन रंग की पट्टियों से बना था और इस पर नीले रंग में चरखा अंकित था. इसके तीन रंगों सफेद रंग सबसे ऊपर, उसके नीचे हरा रंग और सबसे नीचे लाल रंग था.

अनौपचारिक तिरंगा झंडा
अनौपचारिक तिरंगा झंडा

गांधी जी का झंडा : साल 1931 तिरंगे की यात्रा में महत्वपूर्ण पड़ाव है. इस दौरान एक रेज्योल्यूशन पास कर तिरंगे को आधिकारिक तौर पर भारत के ध्वज के रूप में अपनाया गया. इस ध्वज में सफेद पट्टी बीच में थी और इस पर गांधी जी का चरखा अंकित था.

गांधी जी का झंडा
गांधी जी का झंडा

ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ में हर घर तिरंगा अभियान, 34 हजार तिरंगे की पहुंची खेप (हर घर तिरंगा 2022)

तिरंगा : भारत के वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज की कल्पना पिंगली वेंकैयानंद ने की थी. तिरंगे को इस रूप में पहली बार भारतीय संविधान सभा की 22 जुलाई को आयोजित बैठक में अपनाया गया था. जिसके बाद 26 जनवरी 1950 को इसे राष्ट्रध्वज के रूप में अपनाया गया.

भारत का राष्ट्रीय ध्वज
भारत का राष्ट्रीय ध्वज


Last Updated : Aug 3, 2022, 6:22 PM IST
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