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ETV भारत के जरिए विधायकों से जोगी की अपील, 'कटुता से बोलिए लेकिन संसदीय भाषा न भूलिए'

पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने ETV भारत से खास बातचीत करने हुए कहा कि अपने विरोधी से कड़वी बातें कहनी हो तो उसका एक संसदीय तरीका है. बात चाहे कितनी भी कड़वी या बुरी क्यों न हो उसे मर्यादित भाषा में कहा जा सकता है.

अजीत जोगी
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Published : Jul 19, 2019, 8:47 AM IST

Updated : Jul 19, 2019, 9:40 AM IST

रायपुरः छतीसगढ़ में इन दिनों विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है. सत्र के दौरान सदन में विधायकों और मंत्रियों को कई बार असंसदीय भाषा का प्रयोग करते देखा गया है. गुरुवार इसी मुद्दे पर सदन में जोरदार हंगामा भी हुआ.

ETV भारत के जरिए विधायकों से जोगी की अपील

बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने मंत्री अमरजीत भगत को आदिवासी मंत्री कह कर संबोधित किया जिसके बाद सदन में सत्तापक्ष के विधायकों ने हंगामा किया.

मर्यादित भाषा का प्रयोग करने की अपील
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने ETV भारत से खास बातचीत करने हुए कहा कि अपने विरोधी से कड़वी बातें कहनी हो तो उसका एक संसदीय तरीका है. बात चाहे कितनी भी कड़वी या बुरी क्यों न हो उसे मर्यादित भाषा में कहा जा सकता है.

अटल बिहारी वाजपेयी का दिया उदाहरण
जोगी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का उदाहरण देते हुए कहा कि वे अपनी विपक्षियों के खिलाफ जमकर बोलते थे लेकिन अभी भी उन्होंने असंसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं किया.

जोगी ने सदस्यों से अपील की है कि, 'बोलिए दिल की बात करिए, कटुता से बोलिए लेकिन संसदीय भाषा में बोलिए'.

रायपुरः छतीसगढ़ में इन दिनों विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है. सत्र के दौरान सदन में विधायकों और मंत्रियों को कई बार असंसदीय भाषा का प्रयोग करते देखा गया है. गुरुवार इसी मुद्दे पर सदन में जोरदार हंगामा भी हुआ.

ETV भारत के जरिए विधायकों से जोगी की अपील

बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने मंत्री अमरजीत भगत को आदिवासी मंत्री कह कर संबोधित किया जिसके बाद सदन में सत्तापक्ष के विधायकों ने हंगामा किया.

मर्यादित भाषा का प्रयोग करने की अपील
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने ETV भारत से खास बातचीत करने हुए कहा कि अपने विरोधी से कड़वी बातें कहनी हो तो उसका एक संसदीय तरीका है. बात चाहे कितनी भी कड़वी या बुरी क्यों न हो उसे मर्यादित भाषा में कहा जा सकता है.

अटल बिहारी वाजपेयी का दिया उदाहरण
जोगी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का उदाहरण देते हुए कहा कि वे अपनी विपक्षियों के खिलाफ जमकर बोलते थे लेकिन अभी भी उन्होंने असंसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं किया.

जोगी ने सदस्यों से अपील की है कि, 'बोलिए दिल की बात करिए, कटुता से बोलिए लेकिन संसदीय भाषा में बोलिए'.

Intro:सरकारे बनती गई बदलती गई , लेकिन सदन वही रहा लेकिन संसदीय भाषा मे भी बदलाव आया । एक समय था जब लोगों विधायक और सांसद अपनी बातों को गरिमामय तरीके से सदन में रखते थे लेकिन समय के सदन में पहुचने वाले नेताओ की भाषा भी बहुत बदलती है।।

छतीसगढ़ में इन दिनों विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है वही सत्र के दौरान बसदन में विधायकों और मंत्रियों को और असंसदीय भाषा का प्रयोग करते देखा गया है।


Body:वही सदन में असंसदीय भाषा बोले जाने को लेकर पर जेसीसीजे प्रमुख अजीत जोगी ने का कहना है की

मैं उन लोगों से हु जो मानते है कड़वी से कड़वी बात , गंदी से गंदी बात बहुत अच्छी भाषा ,संयमित भाषा का इस्तेमाल करके की जा सकती है ।हमारे देश मे बहुत से उदहारण रहे है।

उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का उदाहरण देते हुए कहा कि अटल बिहारी बाजपेयी विपक्ष में रहे उन्होंने कड़े से कड़े शब्दों में पक्ष की सरकार की निदा की । लेकिन कभी उन्हें असंसदीय शब्दो का प्रयोग करते किसी ने नही सुना होगा।।

वही उन्हीने कहा कई बड़े नेता देश के इतिहास में रहे है उन्होंने कभी असंसदीय भाषा का प्रयोग नही किया।


Conclusion:दुख जताते हुए उन्होंने कहा कि छतीसगढ़ नया राज्य है , विधानसभा के 90 लोग है एक ही परिवार के सदस्य जैसे है।
पर सदन में बैठते है तो ऐसी असंसदीय भाषा का प्रयोग करते है ,कुछ सदस्य और मंत्री भी असंसदीय भाषा बोलते है जिसके लिए अध्य्क्ष ने कई बार टोका भी , कबीर का दोहा सुनाकर शिक्षा भी दी है, फिर भी कोई सुधार नही आ रहा है यह बड़े दुख की बात है


वहीं उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से अपील की है

सदन में अपनी बात दिल से बोलिए, दिल की गहराई से बोलिए ,कटुता के साथ बोलिए पर शब्दों का चयन संसदीय होना चाहिए।।



बाईट।


अजीत जोगी
जेसीसीजे सुप्रीमो
Last Updated : Jul 19, 2019, 9:40 AM IST
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