रायपुर: छत्तीसगढ़ की सियासी उठापटक के बीच अब एक नए समीकरण की सुगबुगाहट तेज हो गई. रेणु जोगी की आज दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात संभव है. ये सभी जानते हैं कि एक दौर में जोगी परिवार के गांधी परिवार के साथ अच्छे संबंध रहे हैं. ऐसे में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के विवाद के बीच रेणु जोगी और सोनिया गांधी की मुलाकात के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं.
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क्या हो सकते हैं इस मुलाकात के मायने
जानकारों का मानना है कि अजीत जोगी के निधन के बाद जेसीसीजे काफी कमजोर पड़ गई है. संभव है कि रेणु जोगी सोनिया गांधी के सामने विलय का प्रस्ताव रख दें. लेकिन भूपेश बघेल के साथ जोगी परिवार की दूरी जाहिर है. ऐसे में टीएस सिंहदेव के पक्ष में ये मुलाकात हो सकती है.
कयास ये भी लगाया जा रहा है कि हो सकता है कि छत्तीसगढ़ में पैदा हुए इस सियासी संकट को लेकर सोनिया गांधी रेणु जोगी से कोई तठस्थ मशवरा करें और उसके बाद अपना फैसला सुना दें. जानकार इस स्थिति में भी टीएस सिंहदेव को लाभ होने का अनुमान जता रहे हैं.
गांधी परिवार से जोगी परिवार के हैं बेहतर रिश्ते
अजीत जोगी ने आईएएस की नौकरी छोड़ राजीव गांधी के समय राजनीति में प्रवेश किया था. इसके बाद से ही दोनों परिवारों के बीच संबंध बेहतर होते गए. राजीव गांधी के निधन के बाद जब सोनिया गांधी राजनीति से दूर थीं, तब भी जोगी परिवार की सोनिया गांधी से नियमित मुलाकात होती थी. रेणु जोगी और अजीत जोगी ने इन मुलाकातों के बारे में अपनी किताबों में भी जिक्र किया है.
बहरहाल छत्तीसगढ़ की राजनीति में बनते-बिगड़ते समीकरणों के बीच अजीत जोगी को कांग्रेस से ही बाहर होना पड़ा और जेसीसीजे नाम से एक नई पार्टी बनाई की गई. लेकिन अजीत जोगी के निधन के बाद एक बार फिर से हो सकता है कि रेणु जोगी कांग्रेस में सम्मानजनक वापसी की राह तलाश रही हों. ये भी हो सकता है कि ढाई-ढाई साल के सीएम फॉर्मूले के लागू होने से प्रदेश में राजनीतिक तौर पर ये बदलाव भी देखने को मिल सकता है.