रायपुर: हाल ही में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी के तीन नेता कांग्रेस में शामिल हुए. ये तीनों साल 2018 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में जेसीसीजे से विधायक प्रत्याशी थे. इनमें गीतांजलि पटेल, चंद्रपुर, खुज्जी विधानसभा से जनरल सिंह भाठिया, मोहला मानपुर से संजीत ठाकुर. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ देने के बाद जेसीसीजे विधानसभा चुनाव 2023 में कैसे जंग लड़ेगी ?
2018 विधानसभा चुनाव में बनी प्रदेश की तीसरी पार्टी: विधानसभा चुनाव 2018 में ऐतिहासिक परिवर्तन छत्तीसगढ़ राजनीति में देखने को मिला. इस चुनाव में छत्तीसगढ़ में थर्ड फ्रंट के रूप में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी का आगाज हुआ था. इस पार्टी ने चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा थर्ड मोर्चे के रूप में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया. अब तक छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में इक्का-दुक्का राजनीतिक दल या निर्दलीय उम्मीदवार एक दो सीट हासिल करते आए थे लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में जेसीसीजे ने थर्ड मोर्चे के रूप में बेहतर प्रदर्शन किया. पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के नेतृत्व में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़(जोगी) ने 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा. उस समय केवल दो साल पुरानी इस पार्टी ने 5 सीटें जीतीं. दो सीटों पर सहयोगी बसपा ने जीत हासिल की.
अजीत जोगी के निधन से हुआ नुकसान: राजनीति की जानकारी एवं वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में जेसीसीजे का अच्छा प्रदर्शन रहा है. लगभग 7.5 फीसदी वोट जेसीसीजे को मिले थे. बहुजन समाजवादी पार्टी को भी दो सीट हासिल हुई थी. अजीत जोगी के प्रभाव के कारण थर्ड फ्रंट के रूप में जेसीसीजे की स्थिति काफी मजबूत थी. उस समय लगने लगा कि छत्तीसगढ़ में क्षेत्रीय दल के रूप में जेसीसीजे एक अलग मुकाम हासिल करेगी. लेकिन इस बीच 29 मई 2020 को पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष अजीत जोगी का निधन हो गया. उनकी वजह से खाली हुई मरवाही विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए लेकिन जोगी परिवार के सदस्यों का पर्चा खारिज हो गया. वर्तमान की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ विधानसभा में जेसीसीजे के तीन विधायक हैं. अजीत जोगी के निधन के बाद पार्टी बिखरती जा रही है.
अमित जोगी इस पार्टी को चला रहे हैं लेकिन जो विश्वास और आशीर्वाद अजीत जोगी को मिला था वह शायद अमित जोगी को अभी हासिल नहीं हो सका है. ऐसे में कहा जा सकता है कि पिछली बार जैसा रिजल्ट इस बार आने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है.- उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
जेसीसीजे का दावा, सरकार बनाने में रहेगा अहम रोल: जेसीसीजे से भले ही नेता नाता तोड़ रहे हो लेकिन अमित जोगी पार्टी को बचाने जद्दोजेहद कर रहे हैं. अमित जोगी ने अभी हिम्मत नहीं आ रही है वह लगातार चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं. जेसीसीजे के प्रदेश प्रवक्ता भगवानु नायक कहते हैं कि जोगी पार्टी अस्तित्व की लड़ाई नहीं लड़ रही है बल्कि पूरे दमखम के साथ चुनाव की तैयारी कर रही है. इसका उदाहरण प्रदेश के अलग अलग विधानसभा क्षेत्र में अमित जोगी की सभा में उमड़ती भीड़ के रूप में देखा जा सकता है. अमित जोगी ने पाटन विधानसभा से चुनावी शंखनाद किया है. अब अजीत जोगी की तरह अमित जोगी को भी देखने और सुनने हजारों की संख्या ने लोग सभाओं में पहुंच रहे हैं.
इस बार जेसीसीजे 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और आने वाले विधानसभा चुनाव में जोगी कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका होगी- भगवानु नायक, प्रदेश प्रवक्ता, जेसीसीजे
कांग्रेस छोड़कर जाने वाले नेता ही वापस आ रहे: कांग्रेस का कहना है कि अजीत जोगी ने कांग्रेस से बाहर जाने के बाद पार्टी का गठन किया था. विधानसभा चुनाव में जिन जोगी कांग्रेस के नेताओं ने जीत हासिल की. उनकी पहचान कांग्रेस नेता के तौर पर थी. इसका फायदा भी उन नेताओं को मिला था. जोगी के निधन के बाद पार्टी उद्देश्यहीन हो चुकी है. इस पार्टी को पहले ही भाजपा की बी टीम के रूप में जनता जानती है. अजीत जोगी के समय जो थोड़ी बहुत इस पार्टी की पहचान थी वह भी अब खत्म हो चुकी है.
जो कांग्रेस के नेता जोगी के समय जेसीसीजे में गए थे अब उनके निधन के बाद वापस कांग्रेस में आ रहे हैं. ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में जेसीसीजे की भूमिका शून्य हो गई है. छत्तीसगढ़ में प्रमुख मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच होगा. बाकी दूसरे दल महज खानापूर्ति के लिए होंगे.-धनंजय सिंह ठाकुर, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस
अमित जोगी से जुड़ नहीं पा रहे कार्यकर्ता : जेसीसीजे का छोड़कर जाने वाले नेताओं को लेकर वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा बताते हैं कि जो नेता जोगी कांग्रेस से जुड़े थे, वह शायद अजीत जोगी के जाने के बाद अपने आप को अनकंफरटेबल महसूस कर रहे हैं. उन्हें लग रहा है कि बिना अजीत जोगी के जोगी कांग्रेस अधूरा है. पहले और आज की स्थिति में काफी अंतर है. जोगी कांग्रेस के भविष्य को लेकर उन नेताओं में संशय की स्थिति है. शायद वे अमित जोगी के साथ अपने आप को सहज महसूस नहीं कर रहे हैं. यही कारण है कि वे जोगी कांग्रेस छोड़कर कांग्रेस में जा रहे हैं.
भाजपा का कांग्रेस पर नेताओं को प्रलोभन देने का आरोप: भाजपा प्रदेश प्रवक्ता केदार गुप्ता का कहना है कि छत्तीसगढ़ में राजनीतिक पार्टियों को लोकतांत्रिक ढंग से काम करने नहीं दिया जा रहा है. भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार जोगी कांग्रेस के नेताओं पर लगातार दबाव बना रही है. उन्हें उलझा रही है, फंसा रही है, उन्हें प्रलोभन दे रही है. वे चाहते है कि कैसे भी जोगी कांग्रेस टूट जाए खत्म हो जाए और यदि इसके लिए कोई दोषी है तो भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार दोषी है.
पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान थर्ड फ्रंट ने लगभग 14 से 16 फीसदी वोट पाए थे. जिसमें जेसीसीजे, बहुजन समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी सहित अन्य दल शामिल थे. इस बार यह सभी कुछ बेहतर कर पाएंगे इसकी उम्मीद कम नजर आ रही है. जानकार बताते हैं कि सर्व आदिवासी समाज इस विधानसभा चुनाव में तेजी से उभर कर सामने आ रहा है. उनकी हमर पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में प्रदेश के दोनों प्रमुख दल के लिए चुनौती खड़ी कर सकती हैं. खासकर बस्तर सहित लगभग 30 आदिवासी सीटों पर इनका खास असर देखने को मिल सकता है.