रायपुर: जेल में कैदियों को पढ़ाना चुनौतीपूर्ण होता है. लेकिन रायपुर केंद्रीय जेल में सहायक शिक्षक नेतराम नाकतोड़े बखूबी यह काम कर रहे हैं. साल 2008 से वे बंदियों को शिक्षा और मार्गदर्शन दे रहे हैं.
सवाल: आपको आज राज्यपाल के हाथों से सम्मान मिला है, कैसा महसूस कर रहे हैं?
जवाब: सम्मान पाकर मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं. राज्यपाल और मुख्यमंत्री के हाथों हमारे कार्यों के लिए आज सम्मानित किया गया है. मैं विशेष सेवा क्षेत्र से आता हूं. मेरा कार्य क्षेत्र रायपुर केंद्रीय जेल है. मैं केंद्रीय जेल में अध्ययन प्रभारी के रूप में पदस्थ हूँ. ऐसे व्यक्ति जो अपराध की दुनिया से आते हैं, उन्हें साक्षर करने और मूल धारा में लाने का प्रयास करता हूँ. मैं 2008 से जेल में शिक्षक के रूप में कार्य कर रहा हूं. जेल के बंदियों के लिए किए जाने वाले कार्यों के लिए मुझे देश विदेश से सराहना मिली है.
सवाल: सामान्य शिक्षक से हटकर आपका कार्य कैदियों को शिक्षा देना है? जेल में बंद कैदियों को आप पढ़ाते हैं. कितना चैलेजिंग है ये काम?
जवाब: यह बहुत चैलेंजिंग तो होता है क्योंकि अगर आज की दुनिया से आने वाले ऐसे कई लोग जो जघन्य अपराध में शामिल होते है, उन्हें मोटिवेट करना हमारे लिए मुश्किल तो होता है लेकिन असम्भव नहीं है. हम कैदियों की काउंसलिंग करते हैं. उनके साथ मित्रता करके हम धीरे धीरे आगे बढ़ते हैं. उन्हें शिक्षा से जोड़ने का काम किया जाता है. उन्हें हम मार्गदर्शन भी देते हैं.
सवाल: जेल में किस तरह की पढ़ाई कराई जाती है?
जवाब: जेल में साक्षरता कक्षा से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन की कक्षाओं के साथ वोकेशनल पाठ्यक्रम और उच्च शिक्षा की पढ़ाई करवाई जाती है.
सवाल: जेल में आपके अलावा अन्य कितने शिक्षक हैं?
जवाब: जेल की शिक्षा अवधारणा अलग है. मैं अकेला जेल का शिक्षक हूँ, जो सभी प्रकार के शिक्षा कार्यक्रम संचालित करता हूँ. हमारे जेल में जो पढ़े लिखे बंदी हैं, उनकी भी सेवाएं हम शिक्षा के क्षेत्र में लेते हैं. उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास करते हैं.
सवाल: कितने कैदियों को आप शिक्षा दे रहे हैं?
जवाब: रायपुर केंद्रीय जेल में लगभग 3000 कैदी हैं, जिनमें लगभग 1100 कैदी अध्ययनरत हैं. इसमें ऐसे लोग हैं, जो शिक्षा के कार्य करते थे. जो किसी अपराध में जेल में बंद हैं. इसके अलावा बाहर के शिक्षाविदों स्कूल कॉलेज से जुड़े लोगों की सेवाएं भी समय समय पर ली जाती है.
सवाल: जेल में शिक्षा देने की शुरुआत आपने कब से की?
जवाब: मैंने शिक्षा विभाग के लिए 1990 से 2008 तक काम किया. शिक्षा के अलग अलग विभागों में मैंने काम किया है. NCERT दिल्ली, शिक्षा मंत्रालय, डीईओ ऑफिस सभी के लिए कार्य किया. मुझे लगा कि जेल की दुनिया अलग है. बंदियों को शिक्षा देनी चाहिए. शिक्षा विभाग से त्यागपत्र देने के बाद मैंने जेल विभाग ज्वाइन किया . 2008 में परीक्षा के माध्यम से मैंने जेल विभाग में टॉप किया. जेल में शिक्षक पद हासिल किया. तभी से मैं जेल में शिक्षा देने का काम कर रहा हूं. सबसे पहले मैं कांकेर जेल में कैदियों को शिक्षा देता था. पिछले 15 वर्षों से मैं रायपुर केंद्रीय जेल में कैदियों को शिक्षा देने का काम कर रहा हूं.
सवाल: शिक्षा सभी का मूल अधिकार है ? कैदियों के शिक्षा के लिए और क्या बेहतर किया जा सकता है?
जवाब: हर व्यक्ति को शिक्षा पाने का अधिकार है. चाहे वह बच्चा हो, महिला हो या जेल का कैदी. शिक्षा उनका मूल अधिकार है. शिक्षा के द्वारा ही हम देश में परिवर्तन और अपराध मुक्त भारत की परिकल्पना को साकार कर पाएंगे. चंदन तस्कर वीरप्पन को अगर सही शिक्षा मिलती तो वह इस प्रकार का अपराध नहीं करता. मैं यह कहना चाहता हूं कि अपराध से घृणा करें, अपराधी से नहीं.
सवाल: सम्मान मिलने के बाद आपकी एक और जिम्मेदारी बढ़ गई है. आप आगे किस तरह का कार्य करेंगे?
जवाब: जैसे उम्र बढ़ती जाती है, वैसे हमें अनुभव भी मिलते जाते हैं. जेल में विशेष प्रकार के भी बंदी आते हैं. उनके मनोभाव और उनकी प्रवृत्ति के साथ, उनकी उम्र देखकर काउंसलिंग की जाती है. आगे भी बेहतर करने का प्रयास जारी रहेगा.