रायपुर: छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ ने अपनी 1 सूत्रीय मांग नियमितीकरण को लेकर नवा रायपुर के तूता धरना स्थल पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन करने के बाद संविदा कर्मचारियों ने आक्रोश रैली निकाली. लेकिन पुलिस ने लगभग 300 मीटर के बाद प्रदर्शनकारियों को रोक दिया. प्रदर्शनरत कर्मचारियों ने सरकार के साल 2018 के चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करने की मांग की.
कर्मचारियों ने निकाली रथ यात्रा: छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ की मांग पूरी नहीं होती है, तो 3 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है. सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि 2023 के विधानसभा चुनाव में संविदा कर्मचारियों के साथ ही उनका पूरा परिवार दूसरी पार्टी को वोट देंगे.
16 मई से सभी जिला मुख्यालय में रथ यात्रा का आयोजन करके अपनी मांग के संबंध में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया था. सरकार को अल्टीमेटम दिया गया है कि मांग पूरी नहीं होने पर प्रदेश भर के लगभग 45 हजार संविदा कर्मचारी 3 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए बाध्य होंगे.-सूरज सिंह ठाकुर, प्रांतीय प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी, छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ
दूसरी पार्टी को वोट देने की चेतावनी: प्रदर्शनकारियों ने छत्तीसगढ़ सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए चुनाव में इसका नतीजा भुगतने की चेतावनी दी. सूरज सिंह ठाकुर ने कहा कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को सत्ता में लाया गया लेकिन पिछले साढ़े 4 सालों से कांग्रेस सरकार ने नियमितीकरण को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की है. जिसके कारण संविदा कर्मचारियों में आक्रोश और नाराजगी है.
कांग्रेस सरकार संविदा कर्मचारियों को नियमितीकरण नहीं करती है, तो 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश भर के संविदा कर्मचारी और उनका परिवार दूसरी पार्टी को वोट देने के लिए मजबूर होंगे.-सूरज सिंह ठाकुर, प्रांतीय प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी, छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ
3 जुलाई से नाराज कर्मचारियों की हड़ताल: 3 जुलाई से प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय में संविदा कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठेंगे. जिसका सीधा असर सरकार के कामकाज पर पड़ेगा. प्रदेश के लगभग 54 विभागों में 45 हजार संविदा कर्मचारी काम कर रहे हैं. इनके हड़ताल पर चले जाने से सभी विभागों में कामकाज प्रभावित होने के साथ ही ठप भी हो सकते हैं. ऐसे में अब देखना होगा कि भूपेश सरकार नाराज कर्मचारियों को अपने पाले में लाने क्या करती है.