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भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अफसर के अनशन से हिली सरकार, महिला बाल विकास विभाग ने बनाई जांच समिति

महासमुंद में जिला महिला बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोंदले ने विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर घर पर ही अनशन शुरू कर दिया था. जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. अब इस मामले में सियासी घमासान तेज हो गया है. इस घटना के तूल पकड़ने के बाद अब राज्य सरकार हरकत में आ गई है. इस केस में महिला एवं बाल विकास विभाग ने जांच टीम गठित कर दी है. कुल मिलाकर इस पूरे घटनाक्रम के बाद रायपुर से महासमुंद तक हड़कंप मच गया है. म

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धरने पर अधिकारी
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Published : May 17, 2021, 4:30 PM IST

Updated : May 17, 2021, 7:55 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में एक बार फिर से भ्रष्टाचार पर विपक्ष सरकार को घेर रहा है. मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और रेडी टू ईट योजना में अनियमितता की शिकायत को लेकर धरना देने वाले महासमुंद के महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले के अनशन से सरकार बैकफुट पर आ गई है. अफसर की गिरफ्तारी के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने विभागीय संचालक जनमेजय महोबे की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय टीम गठित की है. इस टीम को जांच का जिम्मा सौंपा गया है. जांच से पहले ही महासमुंद में प्रगति महिला स्व सहायता समूह और एकता महिला स्व सहायता समूह के दो पर्यवेक्षक को बर्खास्त कर दिया गया है. महिला समूह के पर्यवेक्षक शशि जायसवाल और दीपमाला तारक पर गाज गिरी है. महिला एवं बाल विकास विभाग की संचालक दिव्या मिश्रा ने इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कार्रवाई की बात कही है. उन्होंने बताया कि प्रगति महिला स्व सहायता समूह और एकता महिला स्व सहायता समूह के दो पर्यवेक्षक को बर्खास्त कर दिया गया है. जिन पर्यवेक्षकों पर गाज गिरी है उनमें शशि जायसवाल और दीप माला तारक शामिल हैं.

पांच दिन में मांगी रिपोर्ट

महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव रीना बाबा साहब कंगाले ने इस जांच समिति में विभाग की संयुक्त संचालक क्रिस्टीना लाल, संयुक्त संचालक वित्त भावेश कुमार दुबे, उप संचालक आरजे कुशवाहा और उप संचालक प्रियंका केश को शामिल किया है. इन पांचों लोगों को महासमुंद जिले में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और रेडी टू ईट योजना में हुई अनियमितता के आरोपों की जांच करनी है. इस समिति को जांच पूरी कर रिपोर्ट देने के लिए पांच दिनों का समय दिया गया है.

विभागीय मंत्री ने ली जानकारी

महासमुंद में अफसर के अपने घर में अनशन पर बैठ जाने की जानकारी मिलने के बाद सरकार में हड़कंप मच गया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कार्यालय भी सक्रिय हो गया. महासमुंद प्रशासन से इस बारे में रिपोर्ट मांगी गई. महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया ने भी अफसरों को तलब कर उन शिकायतों की जानकारी ली. उसके बाद विभाग ने जांच समिति के गठन का आदेश जारी किया.

बिना अनुमति घर पर अनशन करने वाले महिला बाल विकास अधिकारी गिरफ्तार

30 लाख रुपये का घोटाला

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत वैवाहिक जोड़ों को कुछ सामान दिया जाता है. इसके लिए टेंडर होता है. आरोप है कि 2020 और 2021 में ब्रांडेड बताकर लोकल सामग्री बांट दी गई. इसका पता सत्यापन के दौरान चला था. इसी साल गुणवत्ता विहीन रेडी-टू-ईट फूड वितरण का मामला पकड़ा गया. यह दोनों मिलाकर करीब 30 लाख रुपये की अनियमितता बताई जा रही है. आरोप महासमुंद के ही बाल विकास परियोजना अधिकारी विजय सरल पर लगा है.

अफसर ने क्यों की बगावत ?

महासमुंद के महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले का कहना है कि 23 अप्रैल 2020 को कलेक्टर को जांच रिपोर्ट सौंपी गई थी. फिर इसी साल 5 मई और 10 मई को भी कलेक्टर को पत्र लिखा, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई. कार्रवाई नहीं हुई तो अफसर ने बगावत कर दी. उन्होंने कलेक्टर को पत्र लिखकर बाकायदा अनशन की अनुमति मांगी. लॉकडाउन का हवाला देकर कलेक्टर ने ऐसी अनुमति देने से इनकार कर दिया. नाराज अफसर ने अपने घर में ही बैनर लगाकर अनशन शुरू कर दिया. बाद में पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया.

विपक्ष ने भी लगाए आरोप

अफसर के अपने ही विभाग के खिलाफ अनशन पर बैठने को लेकर, पूर्व सीएम रमन सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है. इस मामले की जांच रिटायर्ड जज की निगरानी में कराने की मांग की जा रही है. रमन सिंह ने लिखा कि ये केवल एक जिले या विभाग का मामला नहीं है. इससे पूरे प्रदेश में गंभीर वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार की छूट मिल गई है. रमन सिंह ने कहा कि राज्य गठन के बाद सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर किसी अफसर के धरने पर बैठने की यह पहली घटना है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में एक बार फिर से भ्रष्टाचार पर विपक्ष सरकार को घेर रहा है. मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और रेडी टू ईट योजना में अनियमितता की शिकायत को लेकर धरना देने वाले महासमुंद के महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले के अनशन से सरकार बैकफुट पर आ गई है. अफसर की गिरफ्तारी के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने विभागीय संचालक जनमेजय महोबे की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय टीम गठित की है. इस टीम को जांच का जिम्मा सौंपा गया है. जांच से पहले ही महासमुंद में प्रगति महिला स्व सहायता समूह और एकता महिला स्व सहायता समूह के दो पर्यवेक्षक को बर्खास्त कर दिया गया है. महिला समूह के पर्यवेक्षक शशि जायसवाल और दीपमाला तारक पर गाज गिरी है. महिला एवं बाल विकास विभाग की संचालक दिव्या मिश्रा ने इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कार्रवाई की बात कही है. उन्होंने बताया कि प्रगति महिला स्व सहायता समूह और एकता महिला स्व सहायता समूह के दो पर्यवेक्षक को बर्खास्त कर दिया गया है. जिन पर्यवेक्षकों पर गाज गिरी है उनमें शशि जायसवाल और दीप माला तारक शामिल हैं.

पांच दिन में मांगी रिपोर्ट

महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव रीना बाबा साहब कंगाले ने इस जांच समिति में विभाग की संयुक्त संचालक क्रिस्टीना लाल, संयुक्त संचालक वित्त भावेश कुमार दुबे, उप संचालक आरजे कुशवाहा और उप संचालक प्रियंका केश को शामिल किया है. इन पांचों लोगों को महासमुंद जिले में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और रेडी टू ईट योजना में हुई अनियमितता के आरोपों की जांच करनी है. इस समिति को जांच पूरी कर रिपोर्ट देने के लिए पांच दिनों का समय दिया गया है.

विभागीय मंत्री ने ली जानकारी

महासमुंद में अफसर के अपने घर में अनशन पर बैठ जाने की जानकारी मिलने के बाद सरकार में हड़कंप मच गया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कार्यालय भी सक्रिय हो गया. महासमुंद प्रशासन से इस बारे में रिपोर्ट मांगी गई. महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया ने भी अफसरों को तलब कर उन शिकायतों की जानकारी ली. उसके बाद विभाग ने जांच समिति के गठन का आदेश जारी किया.

बिना अनुमति घर पर अनशन करने वाले महिला बाल विकास अधिकारी गिरफ्तार

30 लाख रुपये का घोटाला

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत वैवाहिक जोड़ों को कुछ सामान दिया जाता है. इसके लिए टेंडर होता है. आरोप है कि 2020 और 2021 में ब्रांडेड बताकर लोकल सामग्री बांट दी गई. इसका पता सत्यापन के दौरान चला था. इसी साल गुणवत्ता विहीन रेडी-टू-ईट फूड वितरण का मामला पकड़ा गया. यह दोनों मिलाकर करीब 30 लाख रुपये की अनियमितता बताई जा रही है. आरोप महासमुंद के ही बाल विकास परियोजना अधिकारी विजय सरल पर लगा है.

अफसर ने क्यों की बगावत ?

महासमुंद के महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले का कहना है कि 23 अप्रैल 2020 को कलेक्टर को जांच रिपोर्ट सौंपी गई थी. फिर इसी साल 5 मई और 10 मई को भी कलेक्टर को पत्र लिखा, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई. कार्रवाई नहीं हुई तो अफसर ने बगावत कर दी. उन्होंने कलेक्टर को पत्र लिखकर बाकायदा अनशन की अनुमति मांगी. लॉकडाउन का हवाला देकर कलेक्टर ने ऐसी अनुमति देने से इनकार कर दिया. नाराज अफसर ने अपने घर में ही बैनर लगाकर अनशन शुरू कर दिया. बाद में पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया.

विपक्ष ने भी लगाए आरोप

अफसर के अपने ही विभाग के खिलाफ अनशन पर बैठने को लेकर, पूर्व सीएम रमन सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है. इस मामले की जांच रिटायर्ड जज की निगरानी में कराने की मांग की जा रही है. रमन सिंह ने लिखा कि ये केवल एक जिले या विभाग का मामला नहीं है. इससे पूरे प्रदेश में गंभीर वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार की छूट मिल गई है. रमन सिंह ने कहा कि राज्य गठन के बाद सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर किसी अफसर के धरने पर बैठने की यह पहली घटना है.

Last Updated : May 17, 2021, 7:55 PM IST
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