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संवेदनशील होना एक अच्छे अधिकारी की पहचान है: वरिष्ठ IAS बीकेएस रे - कोरोना काम में आईएएस अधिकारियों का काम

कोरोना काल में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के लिए काम करना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है. कई जगहों से अधिकारियों की आम जनता से बदसलूकी किए जाने की खबरें भी आ रही है. इस मसले को लेकर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी बीकेएस रे ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है.

Senior IAS BKS Ray
वरिष्ठ IAS बीकेएस रे
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Published : May 26, 2021, 10:50 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक अधिकारियों के मनमाने रवैया को लेकर एक बार फिर सियासत तेज हो चुकी है. दरअसल, सूरजपुर के कलेक्टर रणवीर शर्मा ने लॉकडाउन का पालन कराने एक युवक को थप्पड़ मार दिया था. इसका वीडियो वायरल होने के बाद अधिकारी पर कार्रवाई भी कर दी गई है. रणवीर शर्मा को कलेक्टर पद से हटा दिया गया है. इस मसले को लेकर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी बीकेएस रे ने ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए बताया कि पद के साथ ही संवेदनशीलता का होना भी एक अच्छे अधिकारी की पहचान है. यहीं उसे जीवन में कामयाबी दिलाता है.

वरिष्ठ IAS अधिकारी बीकेएस रे से खास बातचीत

सवाल: IAS ट्रेनिंग के दौरान काम के प्रेशर और लोगों से व्यवहार करने की सीख किस तरह से दी जाती है ?

जवाब: आईएएस अफसरों के चयन के बाद उन्हें मसूरी में ट्रेनिंग दी जाती है. सिखाया जाता है कि आम जनता से किस तरह से व्यवहार करना है. शिष्टाचार सिखाया जाता है. ज्ञान अर्जन करना हो या रूल रेगुलेशन की बात हो सारी चीजों को काफी बारीकी से इस ट्रेनिंग में बताई जाती है. व्यवहार कुशलता पर पूरी ट्रेनिंग में जोर रहता है. प्रशासनिक अधिकारी फील्ड में सफल हो सकता है जो नम्र स्वभाव का है. मैंने बहुत सारी जगह पर देखा है जहां आईएएस बनने के बाद उनको लगता है कि वह बहुत कुछ बन गए हैं. उनमें एक एरोगेंस आ जाता है. जब आदमी अहंकारी होगा तो वह कुछ भी कर सकता है. वह गुंडागर्दी भी कर सकता है. व्यक्ति का संवेदनशील होना बेहद जरूरी है.

सवाल: अधिकारियों के हाथ में पावर भी होता है, लेकिन काम के साथ चौतरफा दबाव भी होता है. इन सारी चीजों को मैनेज किस तरह करना होता है?

जवाब: कलेक्टर का काम काफी चुनौतीपूर्ण होता है. मैं खुद 6 साल तक अलग-अलग जिलों में कलेक्टर रहा हूं. कमिश्नर भी 3 साल तक रहा हूं. प्रेशर तो था, लेकिन कोई असभ्य व्यवहार ना हो इस पर जोर रहता था. प्रेशर में लोग और संवेदनशील होते हैं. जो लोगों के दुख-दर्द को देखने का प्रयास करते हैं. जब आदमी में अहंकार का भाव आ जाए और उन्हें लगता है कि मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. जब आपके ऊपर कुर्सी आ जाती है तो यह उसके बुरे दौर में ला देती है.

पावर के नशे में सूरजपुर के कलेक्टर ने बीच सड़क पर बच्चों और महिलाओं से की बदसलूकी

सवाल: किताबी ज्ञान के साथ प्रैक्टिकल ज्ञान किस तरह से मायने रखता है. किस तरह से प्रेशर को झेलते हुए आपने काम किया है?

जवाब: ऐसे कई समय आये जब वही कलेक्टर काम करता है और लोगों की कठिनाई को समझने की कोशिश करता है.समस्याओं के निराकरण के लिए प्रयास करता है. कुछ कलेक्टर अपने चैंबर में बैठकर फिल्में भी देखते रहते हैं. हमारे समय में टेक्नोलॉजी उतनी ज्यादा नहीं थी. काम के साथ प्रत्येक इंसान को यह समझना चाहिए. आपको जानना है कि वह जनता का सेवक है. जो जनता का सेवक रहेगा वह जनता को कभी दुख नहीं दे सकता. मेरी जिंदगी में ऐसे कई समस्याएं आई है. एक बार ऐसे ही गांव से कोई व्यक्ति आया. उसे 5:30 बजे मिलने का समय दिया गया था, 6 बजे वह व्यक्ति पहुंचा. मुझे मिलने की कोशिश की. उस दरमियान मेरे स्टाफ ने उसे रोक लिया. लेकिन मैंने उससे मुलाकात की. हमें हर समस्या को सामने वाले की दृष्टि से देखना है. तत्काल जो हो सकता था मैंने उसकी मदद की.

सवाल: कोरोना काल में काम का दबाव है. किस तरह के तालमेल के साथ काम करने की जरूरत है. आप क्या सलाह देंगे ?

जवाब: मेरा कहना है कि टेंशन तो है प्रेशर भी है. नई-नई चीजें सामने आती रहेंगी. कोविड है, तूफान आएगा, भूकंप आएगा, अकाल आएगा, बहुत सारी चीजें आएंगी, लेकिन प्रेशर के बावजूद आदमी को इंसानियत को नहीं भूलना चाहिए. आदमी के इमोशनल वैल्यू ही उसे आगे बढ़ाते हैं. मेरी सभी अधिकारियों को यहीं सलाह है कि उन्हें अपने मूल इंसानियत को जिंदा रखते हुए. तमाम चीजों से बाहर निकलकर संवेदनशीलता के साथ काम करने की जरूरत है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक अधिकारियों के मनमाने रवैया को लेकर एक बार फिर सियासत तेज हो चुकी है. दरअसल, सूरजपुर के कलेक्टर रणवीर शर्मा ने लॉकडाउन का पालन कराने एक युवक को थप्पड़ मार दिया था. इसका वीडियो वायरल होने के बाद अधिकारी पर कार्रवाई भी कर दी गई है. रणवीर शर्मा को कलेक्टर पद से हटा दिया गया है. इस मसले को लेकर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी बीकेएस रे ने ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए बताया कि पद के साथ ही संवेदनशीलता का होना भी एक अच्छे अधिकारी की पहचान है. यहीं उसे जीवन में कामयाबी दिलाता है.

वरिष्ठ IAS अधिकारी बीकेएस रे से खास बातचीत

सवाल: IAS ट्रेनिंग के दौरान काम के प्रेशर और लोगों से व्यवहार करने की सीख किस तरह से दी जाती है ?

जवाब: आईएएस अफसरों के चयन के बाद उन्हें मसूरी में ट्रेनिंग दी जाती है. सिखाया जाता है कि आम जनता से किस तरह से व्यवहार करना है. शिष्टाचार सिखाया जाता है. ज्ञान अर्जन करना हो या रूल रेगुलेशन की बात हो सारी चीजों को काफी बारीकी से इस ट्रेनिंग में बताई जाती है. व्यवहार कुशलता पर पूरी ट्रेनिंग में जोर रहता है. प्रशासनिक अधिकारी फील्ड में सफल हो सकता है जो नम्र स्वभाव का है. मैंने बहुत सारी जगह पर देखा है जहां आईएएस बनने के बाद उनको लगता है कि वह बहुत कुछ बन गए हैं. उनमें एक एरोगेंस आ जाता है. जब आदमी अहंकारी होगा तो वह कुछ भी कर सकता है. वह गुंडागर्दी भी कर सकता है. व्यक्ति का संवेदनशील होना बेहद जरूरी है.

सवाल: अधिकारियों के हाथ में पावर भी होता है, लेकिन काम के साथ चौतरफा दबाव भी होता है. इन सारी चीजों को मैनेज किस तरह करना होता है?

जवाब: कलेक्टर का काम काफी चुनौतीपूर्ण होता है. मैं खुद 6 साल तक अलग-अलग जिलों में कलेक्टर रहा हूं. कमिश्नर भी 3 साल तक रहा हूं. प्रेशर तो था, लेकिन कोई असभ्य व्यवहार ना हो इस पर जोर रहता था. प्रेशर में लोग और संवेदनशील होते हैं. जो लोगों के दुख-दर्द को देखने का प्रयास करते हैं. जब आदमी में अहंकार का भाव आ जाए और उन्हें लगता है कि मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. जब आपके ऊपर कुर्सी आ जाती है तो यह उसके बुरे दौर में ला देती है.

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सवाल: किताबी ज्ञान के साथ प्रैक्टिकल ज्ञान किस तरह से मायने रखता है. किस तरह से प्रेशर को झेलते हुए आपने काम किया है?

जवाब: ऐसे कई समय आये जब वही कलेक्टर काम करता है और लोगों की कठिनाई को समझने की कोशिश करता है.समस्याओं के निराकरण के लिए प्रयास करता है. कुछ कलेक्टर अपने चैंबर में बैठकर फिल्में भी देखते रहते हैं. हमारे समय में टेक्नोलॉजी उतनी ज्यादा नहीं थी. काम के साथ प्रत्येक इंसान को यह समझना चाहिए. आपको जानना है कि वह जनता का सेवक है. जो जनता का सेवक रहेगा वह जनता को कभी दुख नहीं दे सकता. मेरी जिंदगी में ऐसे कई समस्याएं आई है. एक बार ऐसे ही गांव से कोई व्यक्ति आया. उसे 5:30 बजे मिलने का समय दिया गया था, 6 बजे वह व्यक्ति पहुंचा. मुझे मिलने की कोशिश की. उस दरमियान मेरे स्टाफ ने उसे रोक लिया. लेकिन मैंने उससे मुलाकात की. हमें हर समस्या को सामने वाले की दृष्टि से देखना है. तत्काल जो हो सकता था मैंने उसकी मदद की.

सवाल: कोरोना काल में काम का दबाव है. किस तरह के तालमेल के साथ काम करने की जरूरत है. आप क्या सलाह देंगे ?

जवाब: मेरा कहना है कि टेंशन तो है प्रेशर भी है. नई-नई चीजें सामने आती रहेंगी. कोविड है, तूफान आएगा, भूकंप आएगा, अकाल आएगा, बहुत सारी चीजें आएंगी, लेकिन प्रेशर के बावजूद आदमी को इंसानियत को नहीं भूलना चाहिए. आदमी के इमोशनल वैल्यू ही उसे आगे बढ़ाते हैं. मेरी सभी अधिकारियों को यहीं सलाह है कि उन्हें अपने मूल इंसानियत को जिंदा रखते हुए. तमाम चीजों से बाहर निकलकर संवेदनशीलता के साथ काम करने की जरूरत है.

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