रायपुर: शरीर को सुचारू रूप से काम करने के लिए हर एक अंग का अच्छे से काम करना जरूरी होता है. जिससे हमारा शरीर स्वस्थ बना रहे. यदि शरीर का एक अंग भी काम करना बंद कर दे वह शरीर के लिए घातक होता है. शरीर का एक सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा लंग्स होता (Respiratory System) है, जो ऑक्सीजन को आपके पूरे शरीर में फैलाता है. फेफड़े और श्वसन प्रणाली के जरिए हम सांस ले पाते हैं. इसके जरिए ऑक्सीजन हमारे शरीर में दाखिल होता है और कार्बन डाइऑक्साइड शरीर से बाहर निकलती है. श्वसन के जरिए ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड की अदला-बदली होती है.
मेकाहारा रायपुर में रेस्पिरेटरी डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर और पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर देवी ज्योति दास (Dr Devi Jyoti Das Pulmonologist) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में श्वसन से जुड़ी काफी समस्याएं लोगों को हुई है. दरअसल, कोरोना वायरस फेफड़ों को बुरी तरह से जकड़ लेता है. पूरी दुनिया को इस दौरान फेफड़ों की समस्या से जूझना पड़ा है. सिर्फ कोरोना ही नहीं अस्थमा, टीबी जैसी बीमारियां भी फेफड़ों को काफी नुकसान पहुंचाती है. छत्तीसगढ़ में हर साल हजारों लोग इस तरह की बीमारियों की शिकायत लेकर डॉक्टर्स के पास पहुंचते हैं.
सवाल: लंग्स से जुड़ी किस तरह कि बीमारियां होती है ?
जवाब: सांस से जुड़ी काफी बीमारियां लोगों को होती है. जैसे अस्थमा जिसमें लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है. यह कई लोगों में बचपन से देखने को मिलता है. यह यंगस्टर में भी देखने को मिलता है. जो लोग ज्यादा स्मोकिंग करते हैं या ज्यादा डस्ट वाले क्षेत्र में रहते हैं, उनमें सीओपीडी फंगल डीसीज देखने को मिलती है. इससे लंग्स में कैंसर हो सकता हैं. कोरोना फेफड़ों पर काफी प्रभाव करता है. एक होता है लंग्स एस्पिस्टिस. इससे लंग्स में इंफेक्शन के कारण गड्ढा हो जाता है. जिसमें बहुत ज्यादा बलगम आता है.
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सवाल: पिछले 1 साल में लंग्स को लेकर किस तरह के मामले ज्यादा देखने को मिले हैं ?
जवाब: कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर में लंग्स को लेकर जो मरीज आए हैं, उसमें काफी बदलाव देखने को मिले हैं. पहली लहर के बाद जो लोग लंग्स की समस्या लेकर आते थे, उनको थोड़ी खांसी होती थी या सांस लेने में तकलीफ होती थी. लेकिन उनका ऑक्सीजन लेवल जल्दी ठीक हो जाता था. दूसरी लहर में हमने देखा है कि बहुत सारे लोगों को आईसीयू और वेंटीलेटर बेड की जरूरत पड़ी है. बहुत लोगों का ऑक्सीजन लेवल लो रहा है. दूसरी लहर में फंगल इन्फेक्शन के केस बहुत ज्यादा देखने को मिल रहे हैं. फंगल इन्फेक्शन का मतलब सिर्फ म्यूकर माइकोसिस ही नहीं है. बल्कि दूसरे बहुत तरह के फंगल इन्फेक्शन लंग्स में देखने को मिलते हैं. दूसरी लहर में लोगों का ऑक्सीजन लेवल काफी दिनों तक लो रहा है. सांस लेने में लोगों को काफी दिक्कत आई है. लोगों की खांसी 4 महीने तक भी ठीक नहीं हो रही है. इस तरह की दिक्कत कोरोना की दूसरी लहर में ज्यादा देखने को मिली है.
सवाल: बच्चों में किस तरह के लंग्स इन्फेक्शन ज्यादा देखने को मिलते हैं ?
जवाब: बच्चों में ज्यादातर अस्थमा के मरीज देखने को मिलते हैं. बारिश के मौसम में ठंडी के कारण उनकी सांस फूलती हैं. ऐसी समस्या उन बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है जिनके परिवार में ये समस्या पहले से रही हो. इसके अलावा एक दो तरह के इंफेक्शन और होते हैं जो बच्चों में ज्यादातर देखने को मिलते हैं. टीबी भी बच्चों में देखने को मिलता है. फेफड़ों में कही गठान दिखे तो तुरंत इलाज कराना चाहिए.
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सवाल: बच्चों में यदि लंग्स इन्फेक्शन देखने को मिलता है तो यह कितना खतरनाक हो सकता है ?
जवाब: कोई भी बीमारी यदि हम जल्दी डायग्नोस कर ले तो उसका इलाज करना आसान होता है. आजकल मां-बाप बहुत ज्यादा जागरूक हो गए हैं. बच्चों को थोड़ी भी तकलीफ होती है तो वह उन्हें हॉस्पिटल ले जाते हैं. बहुत सारे ऐसे बच्चे हैं जिनका लंग्स इंफेक्शन जल्दी डायग्नोस हो जाता है तो हम उनका ट्रीटमेंट कर जल्दी ठीक कर लेते हैं. किसी को यदि अस्थमा की समस्या भी हो तो जल्दी पता चल जाने पर 16-17 साल तक के किशोर स्वस्थ हो जाते हैं. उनको हमेशा इनहेलर लेने की जरूरत नहीं पड़ती है. यदि उनका इलाज किसी वजह से नहीं हो पाता है तो हो सकता है, उनको यह तकलीफ जिंदगी भर रह जाए.
पिछले 1 साल में बच्चों में लंग्स इन्फेक्शन के काफी कम मामले देखने को मिले
पिछले 1 साल में लंग्स की समस्या को लेकर बहुत कम बच्चे हॉस्पिटल आए हैं. क्योंकि पिछले 1 साल से लगभग लॉकडाउन है. स्कूल बंद होने की वजह से ज्यादातर बच्चे घर में ही रहे हैं. जिसकी वजह से बच्चों में इसका प्रभाव कम देखने को मिला है.