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कैलाश मानसरोवर यात्रा और पंच कैलाश के बारे बताती है ये किताब - कैलाश मानसरोवर यात्रा

छत्तीसगढ़ के रिटायर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. एसके सिंह ने अपने यात्रा अनुभव के आधार पर एक किताब लिखी है.राज्यपाल अनुसुइया उइके ने मंगलवार को राजभवन में डॉ. एसके सिंह द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन किया. राज्यपाल ने उन्हें शुभकामनाएं दी और कहा कि डॉ. सिंह द्वारा कैलाश मानसरोवर पर लिखा गया यात्रा वृतांत सराहनीय है. ईटीवी भारत की टीम ने डॉ. एसके सिंह से खास बातचीत की है.

interview with dr sk singh
कैलाश मानसरोवर यात्रा और पंच कैलाश के बारे बताती है ये किताब
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Published : Jun 1, 2021, 11:29 PM IST

रायपुर: कैलाश मानसरोवर की यात्रा बेहद कठिन यात्राओं में से एक मानी जाती है. इस यात्रा का जहां आध्यात्मिक महत्व है.वहीं प्रकृति को भी बेहद करीब से महसूस करने का मौका भी इस यात्रा में मिलता है. तमाम साधनों और तीन रास्ता खुलने के बाद भी बड़ी संख्या में लोगों को इस यात्रा के संबंध में ज्यादा जानकारी नहीं है. छत्तीसगढ़ के रिटायर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. एसके सिंह ने अपने यात्रा अनुभव के आधार पर यह किताब लिखी है.

'पंच कैलाश...' से कैलाश मानसरोवर की यात्रा

'5 (पंच) कैलाश, केदार, बद्री एवं मानसरोवर यात्रा एक अनुभूति'

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने मंगलवार को राजभवन में डॉ. एसके सिंह द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन किया. राज्यपाल ने उन्हें शुभकामनाएं दी और कहा कि डॉ. सिंह द्वारा कैलाश मानसरोवर पर लिखा गया यात्रा वृतांत सराहनीय है. इस पुस्तक में कैलाश मानसरोवर तक पहुंचने के मार्ग का वर्णन किया गया है. साथ ही कैलाश की आंतरिक परिक्रमा को पहले दिन से लेकर 18वें दिन तक, आदि कैलाश के 6 दिवसीय यात्रा, श्री खंड महादेव यात्रा, श्री मणि महेश मार्ग, कल्पेश्वर, वृद्ध बद्री, आदि बद्री जैसे स्थलों का विस्तृत वर्णन किया गया है. इस किताब और कैलाश मानसरोवर यात्रा के संबंध में ईटीवी भारत ने डॉ. एसके सिंह से खास बातचीत की.

सवाल- कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर आपका अनुभव किस तरह का रहा है, इस किताब के माध्यम से आप पाठकों से किन बातों को साझा कर रहे हैं ?

जवाब- हमारे धर्म में कैलाश मानसरोवर की यात्रा सबसे पवित्र मानी जाती है. कहा जाता है कि जो इस यात्रा को एक बार कर लेता है तो वो जीवन के सारे पाप से मुक्त हो जाता है. इसका विवरण हमारे विभिन्न पुराणों में मिलता है. जहां तक कैलाश की बात है तो भगवान भोलेनाथ का घर है. यहां पहुंचने के लिए तीन मार्ग हैं. पहला नेपाल की ओर से जाता है.दूसरा मार्ग पिथौरागढ़ से शुरू होता है. लीपू लेक होते हुए चीन पहुंचा जाता है. फिर वहां से कैलाश मानसरोवर पहुंचा जाता है. ये यात्रा तुनलनात्मक दृष्टि से सुगम है. इस मार्ग से जाने पर कुमाऊं के जंगल और ओम पर्वत का दर्शन भी मिलता है. तीसरा रास्ता सिक्किम से होकर जाता है. इसमें भी भारत सरकार द्वारा सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाती है.

सवाल- इस तरह की यात्रा बाहरी दुनिया के साथ ही खुद की तलाश को पूरा करती है, ऐसे में आध्यात्मिक नजरिए से आपके लिए किस तरह का अनुभव देने वाला यह रहा है ?

जवाब- आध्यत्मिक दृष्टि से देखा जाए तो हम अलग-अलग माध्यम से ईश्वर को पूजते हैं. कोई शैव, कोई वैष्णण, कोई देवी को मानता है.अगर शिव की बात करें तो वे अर्धनारीश्वर हैं. देवी की उत्पत्ति भी उन्हीं से होती है. यही भक्ति आपकी यात्रा को सफल बनाती है. सभी पुराणों में इसका जिक्र है. ये स्थान तो शिव का निवास है. कैलाश की दो तरह से परिक्रमा होती है. एक बाहरी कोरा, दूसरा
आंतरिक कोरा. भारत सरकार द्वारा बाहरी प्रक्रिमा कराई जाती है. दूसरी परिक्रमा आंतरिक कोरा यानि जलहरी की परिक्रमा कराई जाती है. ये बेहद कठिन परिक्रमा होती है. ये परिक्रमा केवल नेपाल की ओर से ही कराई जाती है.

सवाल- इस किताब में पंच कैशाश, बद्री और केदार लिखा है ये पंच क्या है ?

जवाब- बहुत कम लोगों को पता है कि 5 कैलाश हैं, एक कैलाश चीन में है. बाकि चार भारत में हैं. इसी तरह केदार और बद्री भी पांच-पांच हैं. पहले लोग केदारनाथ-बदरीनाथ की यात्रा करते थे तो वे इन सभी जगहों में जाते थे.लेकिन अब इन जगहों के बारे में कम लोगों को पता है. इस किताब में पाठकों को इन यात्राओं के संबंध में पूरी जानकारी के साथ ही इसे कब शुरू करना है ? कहां रूकना है? पहले से कैसे तैयारी करनी है. आदि विषयों पर जानकारी दी गई है.

रायपुर: कैलाश मानसरोवर की यात्रा बेहद कठिन यात्राओं में से एक मानी जाती है. इस यात्रा का जहां आध्यात्मिक महत्व है.वहीं प्रकृति को भी बेहद करीब से महसूस करने का मौका भी इस यात्रा में मिलता है. तमाम साधनों और तीन रास्ता खुलने के बाद भी बड़ी संख्या में लोगों को इस यात्रा के संबंध में ज्यादा जानकारी नहीं है. छत्तीसगढ़ के रिटायर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. एसके सिंह ने अपने यात्रा अनुभव के आधार पर यह किताब लिखी है.

'पंच कैलाश...' से कैलाश मानसरोवर की यात्रा

'5 (पंच) कैलाश, केदार, बद्री एवं मानसरोवर यात्रा एक अनुभूति'

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने मंगलवार को राजभवन में डॉ. एसके सिंह द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन किया. राज्यपाल ने उन्हें शुभकामनाएं दी और कहा कि डॉ. सिंह द्वारा कैलाश मानसरोवर पर लिखा गया यात्रा वृतांत सराहनीय है. इस पुस्तक में कैलाश मानसरोवर तक पहुंचने के मार्ग का वर्णन किया गया है. साथ ही कैलाश की आंतरिक परिक्रमा को पहले दिन से लेकर 18वें दिन तक, आदि कैलाश के 6 दिवसीय यात्रा, श्री खंड महादेव यात्रा, श्री मणि महेश मार्ग, कल्पेश्वर, वृद्ध बद्री, आदि बद्री जैसे स्थलों का विस्तृत वर्णन किया गया है. इस किताब और कैलाश मानसरोवर यात्रा के संबंध में ईटीवी भारत ने डॉ. एसके सिंह से खास बातचीत की.

सवाल- कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर आपका अनुभव किस तरह का रहा है, इस किताब के माध्यम से आप पाठकों से किन बातों को साझा कर रहे हैं ?

जवाब- हमारे धर्म में कैलाश मानसरोवर की यात्रा सबसे पवित्र मानी जाती है. कहा जाता है कि जो इस यात्रा को एक बार कर लेता है तो वो जीवन के सारे पाप से मुक्त हो जाता है. इसका विवरण हमारे विभिन्न पुराणों में मिलता है. जहां तक कैलाश की बात है तो भगवान भोलेनाथ का घर है. यहां पहुंचने के लिए तीन मार्ग हैं. पहला नेपाल की ओर से जाता है.दूसरा मार्ग पिथौरागढ़ से शुरू होता है. लीपू लेक होते हुए चीन पहुंचा जाता है. फिर वहां से कैलाश मानसरोवर पहुंचा जाता है. ये यात्रा तुनलनात्मक दृष्टि से सुगम है. इस मार्ग से जाने पर कुमाऊं के जंगल और ओम पर्वत का दर्शन भी मिलता है. तीसरा रास्ता सिक्किम से होकर जाता है. इसमें भी भारत सरकार द्वारा सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाती है.

सवाल- इस तरह की यात्रा बाहरी दुनिया के साथ ही खुद की तलाश को पूरा करती है, ऐसे में आध्यात्मिक नजरिए से आपके लिए किस तरह का अनुभव देने वाला यह रहा है ?

जवाब- आध्यत्मिक दृष्टि से देखा जाए तो हम अलग-अलग माध्यम से ईश्वर को पूजते हैं. कोई शैव, कोई वैष्णण, कोई देवी को मानता है.अगर शिव की बात करें तो वे अर्धनारीश्वर हैं. देवी की उत्पत्ति भी उन्हीं से होती है. यही भक्ति आपकी यात्रा को सफल बनाती है. सभी पुराणों में इसका जिक्र है. ये स्थान तो शिव का निवास है. कैलाश की दो तरह से परिक्रमा होती है. एक बाहरी कोरा, दूसरा
आंतरिक कोरा. भारत सरकार द्वारा बाहरी प्रक्रिमा कराई जाती है. दूसरी परिक्रमा आंतरिक कोरा यानि जलहरी की परिक्रमा कराई जाती है. ये बेहद कठिन परिक्रमा होती है. ये परिक्रमा केवल नेपाल की ओर से ही कराई जाती है.

सवाल- इस किताब में पंच कैशाश, बद्री और केदार लिखा है ये पंच क्या है ?

जवाब- बहुत कम लोगों को पता है कि 5 कैलाश हैं, एक कैलाश चीन में है. बाकि चार भारत में हैं. इसी तरह केदार और बद्री भी पांच-पांच हैं. पहले लोग केदारनाथ-बदरीनाथ की यात्रा करते थे तो वे इन सभी जगहों में जाते थे.लेकिन अब इन जगहों के बारे में कम लोगों को पता है. इस किताब में पाठकों को इन यात्राओं के संबंध में पूरी जानकारी के साथ ही इसे कब शुरू करना है ? कहां रूकना है? पहले से कैसे तैयारी करनी है. आदि विषयों पर जानकारी दी गई है.

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