रायपुर: पिछले कुछ दिनों से बस्तर नगर पंचायत को ग्राम पंचायत बनाने की मांग जोर शोर से उठ रही है. स्थानीय विधायक लखेश्वर बघेल भी इस स्थानीय मांग को लेकर सहमत नजर आ रहे हैं. बस्तर को ग्राम पंचायत बनाने के पीछे उनका क्या कहना है. इस संबंध में ETV भारत की टीम ने लखेश्वर बघेल से खास बातचीत की.
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सवाल-बस्तर को नगर पंचायत से ग्राम पंचायत बनाए जाने की मांग क्यों उठ रही है, आप इसे किस तरह देखते हैं ?
जवाब- लखेश्वर बघेल ने कहा कि नगरीय क्षेत्र में शामिल होने से कई सुविधाएं जरूर बढ़ जाती हैं, लेकिन इसके कारण कुछ टैक्स भी देने होते हैं. इसके कारण लोग इसका विरोध कर रहे हैं. हमें जन भावना का सम्मान करना चाहिए. उन्होंंने ग्राम सभा आयोजित कर प्रस्ताव बनाने की बात कही थी, लेकिन दो पक्ष में इस मुद्दे पर मतभेद के चलते स्थिति साफ नहीं हो पा रही.
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सवाल- कहा जा रहा है कि नगर निकाय होने से आदिवासियों के कुछ अधिकार कम हो जाते हैं, वे कौन से अधिकार हैं ?
जवाब- लखेश्वर बघेल ने कहा कि 5वीं अनुसूची क्षेत्र में बिना ग्रामसभा की अनुमति कुछ नहीं होना चाहिए. पहले ग्राम पंचायत ने अनुमति दी थी, लेकिन टैक्स के बोझ से परेशान ग्रामीण अब ग्राम पंचायत की मांग कर रहे हैं. पिछले साल हमने टैक्स माफ कराए थे. ग्रामीणों की मांग के मुताबिक सुझाव सरकार दिए हैं. इस पर सरकार निर्णय लेगी.
सवाल- माना जाता है कि ग्राम पंचायत एक गांव का विकास मॉडल है. अर्बन बॉडी में तब्दील किया गया है. ऐसे में आप बस्तर का विकास मॉडल किस तरह देखते हैं ?
जवाब- लखेश्वर बघेल ने कहा कि ये बिलकुल सही बात है कि नगर निकाय के तहत जो विकास कार्य हो सकते हैं. वो ग्राम पंचायत के तहत संभव नहीं है. ये बात ग्रामीणों को समझना होगा.
सवाल- आप ग्रामीणों को समझाने की कोशिश करेंगे या सरकार पर दबाव बनाएंगे ?
जवाब- लखेश्वर बघेल ने कहा कि सरकार पर दबाव बनाने वाली बात नहीं हैं. हम ग्रामीणों की मंशा सरकार तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं. बाकि सरकार को निर्णय करना है.
नगरीय निकाय बनने से कौन से अधिकार ग्रामीणों के खत्म हो जाते हैं ?
- नगर पंचायत में पंचायत एक्सटेंशन इन शेड्यूल एरिया यानि 'पेसा' क़ानून लागू नहीं होता है.
- नगरीय क्षेत्र होने के कारण मनरेगा के तहत होने वाला काम और रोजगार बंद हो जाता है.
- वन अधिकार पत्र पर भी रोक लग जाती है.