रायपुर: डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है. लेकिन डॉक्टर के अलावा एक रोगी की देखभाल में और इलाज में नर्स की अहम भूमिका होती है. हेल्थ सेक्टर का पूरा सिस्टम नर्सों की सेवा पर टिका होता है. अस्पतालों में नर्सों की देखभाल और सेवाभाव से मरीजों का इलाज संभव हो पाता है. महामारी का दौर हो या आम बीमारी से जूझ रहे लोगों की सेवा करने का समय. नर्स अपनी जान की परवाह किए बगैर मरीजों की सेवा करती हैं. इसलिए तो कोरोना काल में डॉक्टरों के साथ साथ नर्सों को भी कोरोना वॉरियर्स का खिताब दिया गया.
फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिवस पर मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस: फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्म दिवस पर हर साल 12 मई को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है. नर्सें हॉस्पिटल्स में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. वह रोगियों की देखभाल करती हैं. मरीजों को समय पर दवाई देती हैं. उनके खान पान से लेकर उनकी बीमारी और उपचार का जिम्मा उठाती है. वह समय-समय पर डॉक्टरों को मरीजों के बारे जानकारियां देती हैं. मरीजों की स्थिति से डॉक्टर्स को अवगत कराती रहती है. इस तरह की सेवा भाव से मरीजों का इलाज संभव हो पाता है और वह स्वस्थ हो पाते हैं .
साल 1974 से हुई थी नर्स दिवस मनाने की शुरुआत: अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाने की शुरुआत साल 1974 के जनवरी महीने में हुई थी. इस दिवस को आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल को समर्पित किया गया है. उनकी याद में ही 12 मई को नर्स दिवस मनाया जाता है. फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने ही नोबेल नर्सिंग सेवा को प्रारंभ किया था. फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म 12 मई 1820 को हुआ था. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी रोगियों की सेवा में लगा दी. वह दिन रात रोगियों को सेवा करती थी. इसी सेवा भाव को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस आज भी मनाया जाता है. फ्लोरेंस नाइटिंगेल की नर्सिंग सेवा ने समाज में नर्सों को सम्मानजनक स्थान दिलाया है. डॉक्टर के अलावा कर किसी की सेवा को देखा जाए तो नर्सिंग को विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य पेशे के रूप में जाना जाता है.
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस का महत्व: कोविड-19 महामारी से लड़ने में नर्सें सबसे आगे हैं. डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की तरह, नर्स लगातार बिना ब्रेक के काम कर रही हैं. नर्स एकमात्र स्वास्थ्य पेशेवर होते हैं, जिन्हें लोग संकट की स्थिति में अपने साथ पाते हैं.डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया के सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों में आधे से अधिक नर्सों की संख्या है, फिर भी दुनिया भर नर्सों की कमी है और में 5.9 मिलियन से अधिक नर्सों की अभी भी जरूरत है, खासकर कम और मध्यम आय वाले देशों में.भारत में भी प्रशिक्षित नर्सों की कमी है.