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international kite festival 2023 : गुजरात में G20 थीम पर होगा अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव

अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट पर अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव 8 से 14 जनवरी तक आयोजित किया जाएगा. 8 जनवरी को सुबह 8 बजे गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत (Governor Acharya Devvrat) इस महोत्सव का उद्घाटन international kite festival date 2023 करेंगे. इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और पर्यटन मंत्री मुलु बेरा भी उपस्थित रहेंगे. गुजरात पर्यटन निगम लिमिटेड (TCGL) की ओर से आयोजित पतंग महोत्सव में पतंगबाज और जी 20 देशों के साथ साथ दुनिया भर के अन्य प्रतिभागी हिस्सा gujarat international kite festival 2023 लेंगे. अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव 2023 जी 20 की थीम पर आयोजित हो रहा है. कोविड 19 महामारी के कारण 2 साल के बाद अहमदाबाद और गुजरात के शहरों में इसका आयोजन होगा.

Kite Festival to be held on G20 theme in Gujarat
गुजरात में होगा अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव
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Published : Jan 6, 2023, 4:28 PM IST

रायपुर /हैदराबाद : भारत में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव (international kite festival) की शुरुआत 1989 से हुई. पहले गुजरात में स्थानीय स्तर पर अहमदाबाद और उसके आसपास ही यह महोत्सव मनाया जाता था. अब गुजरात के साथ साथ पूरे देश में पतंग महोत्सव मनाया जाता है. kite festival day news राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश में पतंगबाजी अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महोत्सवों के रूप में मनाई जाने लगी है. मकर संक्रांति में जयपुर के चौगान स्टेडियम में होने वाले पतंग महोत्सव में पर्व दरबारी पतंगबाज के परिवार वाले लोग, विदेशी पतंगबाजों से मुकाबला करते हैं. अहमदाबाद में गुजरात पर्यटन विभाग सरदार पटेल स्टेडियम या पोलीस स्टेडियम में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव में कई तरह की प्रतियोगिताएं कराता है. इस प्रतियोगिता में देश विदेश से आए लोग शामिल होते हैं..

क्या है पतंग का इतिहास : पतंग उड़ाने का प्रचलन चीन से आरंभ हुआ है. आसमान में उड़ने वाली रंग बिरंगी पतंगों का 150 साल से पुराना इतिहास है. चीन में कई राजवंश हुए, जिनके शासन के दौरान पतंग उड़ाकर उसे अज्ञात स्थान छोड़ देने को अपशकुन माना जाता था. किसी कटी पतंग को उठाना भी अपशकुन माना जाता था. थाइलैंड में हर राजा की अलग पतंग हुआ करती थी. वह पड़ोसी राज्य या गरीब राज्य में पतंग भेजकर शांति और खुशहाली की आशा की नींव रखते थे. यहां लोग अपनी प्रार्थनायें ईश्वर तक भेजने के लिए वर्षा ऋतु में भी पतंग उड़ाते थे. पतंग के लिए सबसे उपयुक्त स्थान चीन ही था, क्योंकि पतंग को सही आकार देने के लिए आवश्यक बांस चीन में सबसे अच्छी मिलती है.history of kite

ये भी पढ़ें- चाइनीज मांझा बेचने पर लगेगा भारी जुर्माना

पतंग दिवस की धार्मिक मान्यता :हिंदू मान्यताओं के अनुसार पतंग उत्सव मकर संक्रांति के दिन मनाया जाता है. मकर संक्रांति के बाद सूर्य उत्तरायण हो जाता है. भगवान 6 महीने के लिये उठ जाते हैं. सूर्य के उत्तरायण होने के कारण इससे कुछ समय के लिए हानिकारक किरणें निकलती हैं. यह किरणें नुकसानदायक होती हैं. इस दिन लोग जल्दी स्नान करके मंदिर जाते हैं, पूजापाठ और दान करते हैं. अपने देव के उठने की खुशी में पतंगबाजी करते हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि मकर संक्रांति के बाद से स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं. मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं.

रायपुर /हैदराबाद : भारत में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव (international kite festival) की शुरुआत 1989 से हुई. पहले गुजरात में स्थानीय स्तर पर अहमदाबाद और उसके आसपास ही यह महोत्सव मनाया जाता था. अब गुजरात के साथ साथ पूरे देश में पतंग महोत्सव मनाया जाता है. kite festival day news राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश में पतंगबाजी अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महोत्सवों के रूप में मनाई जाने लगी है. मकर संक्रांति में जयपुर के चौगान स्टेडियम में होने वाले पतंग महोत्सव में पर्व दरबारी पतंगबाज के परिवार वाले लोग, विदेशी पतंगबाजों से मुकाबला करते हैं. अहमदाबाद में गुजरात पर्यटन विभाग सरदार पटेल स्टेडियम या पोलीस स्टेडियम में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव में कई तरह की प्रतियोगिताएं कराता है. इस प्रतियोगिता में देश विदेश से आए लोग शामिल होते हैं..

क्या है पतंग का इतिहास : पतंग उड़ाने का प्रचलन चीन से आरंभ हुआ है. आसमान में उड़ने वाली रंग बिरंगी पतंगों का 150 साल से पुराना इतिहास है. चीन में कई राजवंश हुए, जिनके शासन के दौरान पतंग उड़ाकर उसे अज्ञात स्थान छोड़ देने को अपशकुन माना जाता था. किसी कटी पतंग को उठाना भी अपशकुन माना जाता था. थाइलैंड में हर राजा की अलग पतंग हुआ करती थी. वह पड़ोसी राज्य या गरीब राज्य में पतंग भेजकर शांति और खुशहाली की आशा की नींव रखते थे. यहां लोग अपनी प्रार्थनायें ईश्वर तक भेजने के लिए वर्षा ऋतु में भी पतंग उड़ाते थे. पतंग के लिए सबसे उपयुक्त स्थान चीन ही था, क्योंकि पतंग को सही आकार देने के लिए आवश्यक बांस चीन में सबसे अच्छी मिलती है.history of kite

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पतंग दिवस की धार्मिक मान्यता :हिंदू मान्यताओं के अनुसार पतंग उत्सव मकर संक्रांति के दिन मनाया जाता है. मकर संक्रांति के बाद सूर्य उत्तरायण हो जाता है. भगवान 6 महीने के लिये उठ जाते हैं. सूर्य के उत्तरायण होने के कारण इससे कुछ समय के लिए हानिकारक किरणें निकलती हैं. यह किरणें नुकसानदायक होती हैं. इस दिन लोग जल्दी स्नान करके मंदिर जाते हैं, पूजापाठ और दान करते हैं. अपने देव के उठने की खुशी में पतंगबाजी करते हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि मकर संक्रांति के बाद से स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं. मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं.

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