रायपुर: अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस 13 फरवरी को मनाया जाता है. इस दिन लोगों को मिर्गी और उसके बचाव से संबंधित जानकारी दी जाती है. उन्हें इसके प्रति जागरूक किया जाता है. मिर्गी क्या है, मिर्गी आने पर क्या करें और इससे बचाव के लिए किस तरह का उपाय किया जाए. इन्ही बातों की जानकारी ईटीवी भारत से चर्चा के दौरान डॉक्टर संवार अग्रवाल ने दी.
ब्रेन की असामान्य गतिविधि है मिर्गी: डॉक्टर संवार अग्रवाल ने बताया कि "मिर्गी एक तरह की ब्रेन की असामान्य गतिविधि है. जिसकी वजह से मरीज को आमतौर पर झटके आते हैं. यही आम तरह का मिर्गी का प्रारूप है. जिससे लोग परिचित हैं. वैसे मिर्गी के बहुत सारे प्रारूप होते हैं. जिसके बारे में लोगों को पता नहीं हैं. लेकिन आमतौर पर जनता मिर्गी के जिस रूप में पहचानती है. उसमें झटके आते हैं."
छोटे बच्चों में आने वाले झटके को नहीं कह सकते मिर्गी: डॉक्टर संवार अग्रवाल ने बताया कि "मिर्गी आने के अनेकों कारण होते हैं. छोटे बच्चों में 6 महीने से लेकर 5 वर्ष की उम्र तक झटके आते हैं. उनको हम टेक्निकल रूप में मिर्गी नहीं बोलते हैं. उन्हें बुखार के साथ आने वाले झटके कहते हैं. जो कि सबसे आम कारण बच्चों में झटके आने के होते हैं."
ब्रेन बनावट की गड़बड़ी भी हो सकती है मिर्गी की वजह: डॉक्टर विजय अग्रवाल ने कहा कि "जब सामान्यतः बिना किसी कारण बिना बुखार के किसी मरीज को दो बार झटके आ जाते हैं. तब हम उसको मिर्गी कहते हैं. मिर्गी के कारण अनेको हो सकते हैं. जैसे ब्रेन की बनावट में गड़बड़ी. कई बार बिना किसी गड़बड़ी के एमआरआई, सीटी स्कैन नॉरमल होने के बावजूद भी मिर्गी के झटके आ सकते हैं."
मिर्गी आने की नहीं होती है कोई उम्र: डॉक्टर संवार अग्रवाल ने बताया कि "यह बीमारी किसी भी उम्र में आ सकती है. नवजात शिशु से लेकर बड़े उम्र तक के बच्चों को मिर्गी के झटके आने की संभावना रहती है."
मिर्गी के झटके आने पर क्या करें: डॉक्टर संवार अग्रवाल ने बताया कि "यह महत्वपूर्ण सवाल है. क्योंकि जिनको अनुभव नहीं होता है या फिर पहली बार मिर्गी को देखते हैं तो वे बुरी तरह से भयभीत हो जाते हैं. सबसे जरूरी चीज होती है जब पेशेंट को मिर्गी के झटके आ रहे हों तो उसे एक तरफ करवट करके लेटा देना चाहिए. उसका सिर बाकी के शरीर से थोड़ा नीचे होना चाहिए और पीछे की तरफ होना चाहिए. जिससे मुंह में आने वाला लार पानी बाहर बह जाए, अंदर फेफड़ों न जाए.
मिर्गी आने पर नहीं करना चाहिए यह काम: डॉक्टर संवार अग्रवाल ने बताया कि "सबसे महत्वपूर्ण बात जो मरीजों के रिश्तेदारों को नहीं करनी चाहिए. वह यह है उसके मुंह में उंगली डालकर या फिर चम्मच से मुंह को खोलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, या मुंह में पानी पिलाने कोशिश नहीं करनी चाहिए, यह बहुत महत्वपूर्ण बात है. आमतौर पर ये झटके 5 मिनट से भी कम समय के लिए रहते हैं. लेकिन आप के मरीज को 5 मिनट से ज्यादा के झटके आ रहे हो तो नजदीक के जहा भी हेल्थ सुविधा उपलब्ध है. वहां पर मरीज को लेकर जाना चाहिए."
मिर्गी आने पर जूता नहीं सूंघाना है: डॉक्टर संवार अग्रवाल ने बताया कि "यह साइंटिफिक रूप से ना तो इंपॉर्टेंट है ना ही कारगर उपाय. क्योंकि जैसा मैंने पहले ही बताया कि मिर्गी का झटका 5 मिनट से ज्यादा नहीं रहता है. आप उस दौरान जो भी उपाय करेंगे उसे क्रेडिट दे सकते हैं, इसके कारण मिर्गी का झटका रुका है.
बीपी और शुगर की तर्ज पर मिर्गी की भी है कोई रेगुलर दवाई: डॉक्टर संवार अग्रवाल ने बताया कि "मिर्गी के मरीजों के लिए रेगुलर खाने वाली दवाई भी आती है जो काफी कारगर साबित होती है. उन दवाइयों के उपयोग से मरीज नियंत्रण में रहते हैं. आमतौर पर यह दवाइयां ढाई से 3 साल चलती है. इसमें नियमितता बहुत आवश्यक है. जब आपके डॉक्टर अपने अनुमान, विश्वास और अनुभव से मिर्गी की दवाई देते हैं. तब यह बहुत जरूरी होता है कि उनके लिए उनके निर्देशों का पालन किया जाए दवाई की एक भी डोज मिस ना हो."
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लगभग 3 से 4 प्रतिशत लोगों को आते हैं मिर्गी के झटके: डॉक्टर संवार अग्रवाल ने बताया कि "आमतौर पर यह कहा जाता है कि 3 से 4 प्रतिशत लोगों को मिर्गी के झटके आते हैं."