रायपुर: पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद से उनकी पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) का भविष्य अधर में लटक गया है. जहां एक ओर कुछ लोगों का मानना है कि जोगी कांग्रेस बिना अजीत जोगी के भी इसी तरह राजनीतिक मैदान में आगे बढ़ सकता है. लेकिन वहीं दूसरी ओर कई राजनीतिक विचारकों और लोगों का मानना है कि JCC(J) पार्टी का कांग्रेस में विलय हो सकता है. लगातार सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों में इसकी प्रबल संभावना व्यक्त की जा रही है. ऐसे में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) का कांग्रेस में विलय होता है तो उसकी क्या प्रक्रिया है उनके जनप्रतिनिधि सहित कार्यकर्ताओं की क्या भूमिका होगी यह सवाल लोगों को सोंचने पर मजबूर कर रही है. विलय होने की स्थिति में पार्टी को क्या करना होगा यह ETV भारत ने पता लगाया है. इसके लिए ETV भारत ने पूर्व निर्वाचन आयुक्त सुशील त्रिवेदी से बात की है. जिन्होंने बताया है कि आखिर किस तरह से एक पार्टी का दूसरे पार्टी में विलय होता है .
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कार्यकर्ताओं पर कौन से नियम
त्रिवेदी ने आगे बताया कि संविधान में निर्वाचित सदस्यों के लिए नियम बनाए गए हैं. यह नियम कार्यकर्ताओं पर लागू नहीं होता है. मतलब सांसद और विधायक यदि पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में प्रवेश करते हैं तो उनकी सदस्यता रद्द हो जाएगी लेकिन कार्यकर्ता जब चाहें किसी भी पार्टी में प्रवेश कर सकते है, और छोड़ भी सकते हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.
अभी स्थिति जनता कांग्रेस को क्या करना होगा
वर्तमान में जनता कांग्रेस के 4 विधायक हैं इनमें से तीन विधायक दूसरी पार्टी में प्रवेश करते हैं तो यह संविधान के नियम के तहत होगा. इससे विधायकों की सदस्यता नहीं जाएगी. लेकिन 3 से कम विधायकों के दूसरी पार्टी में प्रवेश से उनकी सदस्यता छीन सकती है. यदि तीन में से एक विधायक ने भी कांग्रेस में प्रवेश से इनकार किया तो जोगी कांग्रेस का कांग्रेस में विलय होना संभव नहीं होगा. साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस से पांच विधायक चुनकर आए थे. मरवाही से अजीत जोगी, कोटा से रेणु जोगी, लोरमी से धर्मजीत सिंह, बलौदाबाजार से प्रमोद कुमार शर्मा और खैरागढ़ से देवव्रत सिंह शामिल थे. वहीं अजित जोगी के निधन के बाद मरवाही विधानसभा सीट खाली हो गई है और जनता कांग्रेस के 5 में से 4 विधायक रह गए हैं.