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फसलों का काल है ये घास, अब ये विदेशी कीट करेगा इनका नाश - गाजर घास के दुष्प्रभाव

प्रदेश में तेजी से फैल रहे गाजर घास के खात्मे के लिए अब कृषि विभाग ने तोड़ निकाल लिया है. कृषि विभाग ने इसे नष्ट करने के लिए प्रभावशाली जैविक विधि को चुना है. इसके तहत गाजर घास को खाने वाले मैक्सिकन बीटल को खेतों में छोड़ा जा रहा है.

गाजर घास
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Published : Sep 10, 2019, 2:18 PM IST

Updated : Sep 10, 2019, 7:07 PM IST

रायपुर: तस्वीरों में आप जिस सफेद फूल के सुंदर पौधे को देख रहे हैं वो कोई आम पौधा नहीं बल्कि एक ऐसा जहरीला खरपतवार है, जो अपनी शाखाओं में चटक चांदनी बिखेरे जहर उगल रहा है. ये देखने में जितने सुंदर हैं, इसका नुकसान उतना ही ज्यादा है. हम बात कर रहे हैं पार्थेनियम हिस्टोरोफस यानि गाजर घास की, जो किसी भी वातावरण में तेजी से फैलता है. इस विनाशकारी खरपतवार के जैविक तरीके से नियंत्रण किए जाने को लेकर रायपुर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के शोधकर्ता डटे हुए हैं.

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय

ये जहरीला पौधा अपने आस-पास के फसलों को राख करता जा रहा. गाजर घास एक शाकीय पौधा है जो हर तरह से वातावरण में तेजी से उगकर फसलों के साथ-साथ मनुष्य और पशुओं के लिए भी गंभीर समस्या बना हुआ है.

प्रदेश में तेजी से फैल रहे गाजर घास के खात्मे के लिए अब कृषि विभाग ने तोड़ निकाल लिया है. कृषि विभाग ने इसे नष्ट करने के लिए प्रभावशाली जैविक विधि को चुना है. इसके तहत गाजर घास को खाने वाले मैक्सिकन बीटल को खेतों में छोड़ा जा रहा है.

मैक्सिकन बीटल से किया जाएगा गाजर घास का उन्मूलन
गाजर घास को खत्म करने के लिए मेक्सिको से बीटल मंगाया गया है जो की 6 से 8 सप्ताह में गाजर घास को खाकर खत्म कर सकता है. ये कीड़ा गाजर घास की सूखी पत्तियों को खाकर उसके पौधों को नष्ट कर देता है और फसलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता.

इनमें प्रजनन की अद्भुत क्षमता होती है. यह शोध प्रॉफेसर जया लक्ष्मी गांगुली की निगरानी में पीएचडी कर रहे सचिन जयसवाल की है. बताया जाता है कि इसके फूल और बीज हर मौसम में लगते हैं और हर एक पौधा साल में 5000 से 25000 की संख्या में बीज पैदा कर सकता है.

रायपुर: तस्वीरों में आप जिस सफेद फूल के सुंदर पौधे को देख रहे हैं वो कोई आम पौधा नहीं बल्कि एक ऐसा जहरीला खरपतवार है, जो अपनी शाखाओं में चटक चांदनी बिखेरे जहर उगल रहा है. ये देखने में जितने सुंदर हैं, इसका नुकसान उतना ही ज्यादा है. हम बात कर रहे हैं पार्थेनियम हिस्टोरोफस यानि गाजर घास की, जो किसी भी वातावरण में तेजी से फैलता है. इस विनाशकारी खरपतवार के जैविक तरीके से नियंत्रण किए जाने को लेकर रायपुर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के शोधकर्ता डटे हुए हैं.

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय

ये जहरीला पौधा अपने आस-पास के फसलों को राख करता जा रहा. गाजर घास एक शाकीय पौधा है जो हर तरह से वातावरण में तेजी से उगकर फसलों के साथ-साथ मनुष्य और पशुओं के लिए भी गंभीर समस्या बना हुआ है.

प्रदेश में तेजी से फैल रहे गाजर घास के खात्मे के लिए अब कृषि विभाग ने तोड़ निकाल लिया है. कृषि विभाग ने इसे नष्ट करने के लिए प्रभावशाली जैविक विधि को चुना है. इसके तहत गाजर घास को खाने वाले मैक्सिकन बीटल को खेतों में छोड़ा जा रहा है.

मैक्सिकन बीटल से किया जाएगा गाजर घास का उन्मूलन
गाजर घास को खत्म करने के लिए मेक्सिको से बीटल मंगाया गया है जो की 6 से 8 सप्ताह में गाजर घास को खाकर खत्म कर सकता है. ये कीड़ा गाजर घास की सूखी पत्तियों को खाकर उसके पौधों को नष्ट कर देता है और फसलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता.

इनमें प्रजनन की अद्भुत क्षमता होती है. यह शोध प्रॉफेसर जया लक्ष्मी गांगुली की निगरानी में पीएचडी कर रहे सचिन जयसवाल की है. बताया जाता है कि इसके फूल और बीज हर मौसम में लगते हैं और हर एक पौधा साल में 5000 से 25000 की संख्या में बीज पैदा कर सकता है.

Intro:राजधानी रायपुर के इंदिरागांधी कृषि विश्वविद्यालय में गाजर घास को लेकर शोध किया जा रहा है जिसमें गाजर का या चटक चांदनी को कम या खत्म करने के लिए एक मेक्सिको से बीटल मंगाया गया है जो की 6 से 8 सप्ताह में गाजर घास को कहा के खत्म कर सकता है। यह शोध प्रॉफेशोर जया लक्ष्मी गांगुली के निगरानी में पीएचडी कर रहे सचिन जयसवाल की है। गाजर घास या चटक चांदनी एक खरपतवार है जो बड़े आक्रामक तरीके से फैलती है या एक शाकीय पौधा है जो हर तरह से वातावरण में तेजी से उगकर फसलों के साथ-साथ मनुष्य और पशुओं के लिए भी गंभीर समस्या बन गया है विनाशकारी खरपतवार का समय रहते जैविक तरीके से नियंत्रण किया जाने को लेकर रायपुर इंदिरागांधी कृषि विश्वविद्यालय में शोध चल रहे हैं।

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गाजर घास या 'चटक चांदनी' की पहचान

हर प्रकार के वातावरण में अपने की अभूतपूर्व क्षमता वाली गाजर घास एक शाकीय खरपतवार है। जो 90 मिली मीटर से 1 मीटर तक ऊंचा होता है। इसकी पत्तियों गाजर या गुलदाउदी की पत्तियों की तरह होती है। यह पौधा पूरे साल भर उग सकता है और इस पौधे के फूल सफेद रंग के छोटे-छोटे तथा शाखाओं के शीश पर लगते हैं। फूल और बीज पौधे के हर मौसम में लगते हैं प्रत्येक पौधा 5000 से 25000 की संख्या में बीज प्रतिवर्ष पैदा कर सकता है।

स्वास्थ्य एवं परिवेश पर इसका प्रभाव

गाजर घास की वजह से मनुष्य में तरह-तरह के चरम रोग हो जाते हैं पौधों के संपर्क में आने से खाज खुजली होती है तथा गर्दन चेहरे तथा बाहों की चमड़ी सख्त होकर फट जाती है और उसमें घाव बन जाते हैं। जानवरों मैं भी यह खरपतवार कई रोग फैला देता है इसकी उपस्थिति के कारण स्थानीय वन संपतिया नहीं उग पति हैं जिसके स्थानीय जैव विविधता पर प्रभाव पड़ता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है।

गाजर घास को कैसे बढ़ने से रोक जाए

निवास स्थानों के आस-पास तथा क्यारियों में उगे पर्थिनियम के पौधे को फूल आने से पहले समूल से उखाड़ कर नष्ट कर दे इसके गिने-चुने पौधे और तो उसे हाथों से अखाड़ा जा सकता है ज्यादा क्षेत्र पर इन्हें हाथ से उखाड़ना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है अंत इस परिस्थिति में यात्रिक विधि से नष्ट करा करना चाहिए हाथ से उखाड़ पर सुमन ध्यान रखना चाहिए कि पौधे का शरीर में से सीधा संपर्क ना हो इसके लिए हाथों में रबर के दस्ताने पॉलिथीन की थैलियां लपेटी जा सकती है।

Conclusion:गाजर घास को मेक्सिकन बीटल की मदद से कैसे खतम करा जा सकता है।

पर्थिनियम का जैविक नियंत्रण मैक्सिकन व्हिटल द्वारा भी किया जा सकता है या व्यस्क बीटल 1 पर्थिनीयम के पूर्ण पौधे को 6 से 8 हफ्ते मैं खा जाते हैं इस किट के वयस्क और इल्ली दोनों ही पार्थीनियम के पत्ते का भक्षण करते हैं तथा इसमें प्रजनन की अद्भुत क्षमता होती है एक स्थान पर जहां पार्थिनियम अच्छी मात्रा में हो कम से कम 500 से 1000 तक व्यस्त बीटल छोड़ता है एक स्थान पर इसे समाप्त करने के बाद बीटल पास वाले क्षेत्र में उगे हुए पार्थिनियम पर आकर्षित होकर स्वयं ही चल जाते हैं क्षेत्र में कोई जगह निर्धारित कर अलग-अलग बीटल छोड़ने पर इसका प्रसार तेजी से होता है एव बीटल केवल पर्थीनियम को ही खाते हैं।

बाइट :- जया लक्ष्मी गांगुली प्रोफेसर (स्टूडेंट गाइड) इंदिरागांधी कृषि विश्वविद्यालय

अभिषेक सिंह
Last Updated : Sep 10, 2019, 7:07 PM IST
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