रायपुर: तस्वीरों में आप जिस सफेद फूल के सुंदर पौधे को देख रहे हैं वो कोई आम पौधा नहीं बल्कि एक ऐसा जहरीला खरपतवार है, जो अपनी शाखाओं में चटक चांदनी बिखेरे जहर उगल रहा है. ये देखने में जितने सुंदर हैं, इसका नुकसान उतना ही ज्यादा है. हम बात कर रहे हैं पार्थेनियम हिस्टोरोफस यानि गाजर घास की, जो किसी भी वातावरण में तेजी से फैलता है. इस विनाशकारी खरपतवार के जैविक तरीके से नियंत्रण किए जाने को लेकर रायपुर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के शोधकर्ता डटे हुए हैं.
ये जहरीला पौधा अपने आस-पास के फसलों को राख करता जा रहा. गाजर घास एक शाकीय पौधा है जो हर तरह से वातावरण में तेजी से उगकर फसलों के साथ-साथ मनुष्य और पशुओं के लिए भी गंभीर समस्या बना हुआ है.
प्रदेश में तेजी से फैल रहे गाजर घास के खात्मे के लिए अब कृषि विभाग ने तोड़ निकाल लिया है. कृषि विभाग ने इसे नष्ट करने के लिए प्रभावशाली जैविक विधि को चुना है. इसके तहत गाजर घास को खाने वाले मैक्सिकन बीटल को खेतों में छोड़ा जा रहा है.
मैक्सिकन बीटल से किया जाएगा गाजर घास का उन्मूलन
गाजर घास को खत्म करने के लिए मेक्सिको से बीटल मंगाया गया है जो की 6 से 8 सप्ताह में गाजर घास को खाकर खत्म कर सकता है. ये कीड़ा गाजर घास की सूखी पत्तियों को खाकर उसके पौधों को नष्ट कर देता है और फसलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता.
इनमें प्रजनन की अद्भुत क्षमता होती है. यह शोध प्रॉफेसर जया लक्ष्मी गांगुली की निगरानी में पीएचडी कर रहे सचिन जयसवाल की है. बताया जाता है कि इसके फूल और बीज हर मौसम में लगते हैं और हर एक पौधा साल में 5000 से 25000 की संख्या में बीज पैदा कर सकता है.