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Indira Ekadashi 2021: शनिवार को मनाया जाएगा इंदिरा एकादशी का पर्व, ऐसे करें पूजा

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Published : Sep 30, 2021, 5:20 PM IST

इस बार इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) का पर्व 2 अक्टूबर को शनिवार के दिन मनाया जाएगा. इस दिन महात्मा गांधी और लाल बहादुर की जयंती भी है. इस दिन शालीग्राम, विष्णु भगवान और लक्ष्मी की पूजा की जाती है. खास बात यह है कि इस दिन सुपात्र व्यक्तियों को दान देने से भगवान का अनुग्रह मिलता है. ऐसी मान्यता है कि देव पितृ, ऋषि पितृ, यम पितृ, भूत पितृ सहित सभी ज्ञात अज्ञात पितरों को मुक्ति और मोक्ष मिल जाता है.

Indira Ekadashi 2021
इंदिरा एकादशी का पर्व

रायपुर: इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) का शुभ पर्व अश्लेषा नक्षत्र, कर्क राशि और सिद्धि योग के संयोग में 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा. यह एकादशी बहुत ही विशिष्ट मानी गई है. क्योंकि कृष्ण पक्ष में इंदिरा एकादशी पर्व पितृपक्ष में पड़ता है. एकादशी व्रत (Ekadashi VRAT) को करने से पितृों को मुक्ति और मोक्ष प्राप्त होता है. सभी पितृगण इस एकादशी के व्रत के प्रभाव से मुक्ति को प्राप्त होते हैं. इस दिन शालीग्राम, विष्णु भगवान और लक्ष्मी का पूजा की जाती है.

इंदिरा एकादशी का पर्व

इंदिरा एकादशी 2021 शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 01 अक्टूबर, शुक्रवार को रात 1 बजकर 03 मिनट से शुरू होगी. एकादशी तिथि का समापन 02 अक्टूबर, शनिवार को रात 11 बजकर 10 मिनट पर होगा. इंदिरा एकादशी व्रत 02 अक्टूबर को रखा जाएगा.

इंदिरा एकादशी 2021 व्रत के पारण का समय

इंदिरा एकादशी का व्रत द्वादशी तिथि में होगा. व्रत पारण का शुभ समय 03 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 37 मिनट तक है.


पौराणिक मान्यता है कि इस दिन राजा इंद्रसेन (Raja Indrasen) को नारद मुनि ने इस व्रत कथा के बारे में विस्तारपूर्वक बताया था. तब से ही प्रेरित होकर राजा इंद्र सेन इस व्रत को जीवन पर्यंत करते रहे. मान्यता है कि राजा इंद्रसेन के पिता को कुछ समय के लिए यमलोक की प्राप्ति हुई थी. वहां पर उन्हें नारद मुनि ने देखा था और यह वृत्तांत राजा इंद्रसेन को बताया कि इंदिरा एकादशी का व्रत करने से उनके पिता को यमलोक से मुक्ति संभव है. जैसे ही यह सूचना राजा इंद्रसेन को मिली.

उन्होंने विधिपूर्वक इस व्रत का संकल्प लिया और आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को इस व्रत को पूरे विधि-विधान पूर्वक और उत्तम रीति से किया. परिणाम स्वरूप देवता प्रसन्न होकर उनके पिता को यमलोक से मुक्त कर देते हैं और बैकुंठ की ओर भेज देते हैं. तब से पितरों के मोक्ष के लिए इस व्रत का अनुष्ठान किया जाता है.

इंदिरा एकादशी महत्व

इस दिन शालिग्राम भगवान की विधान पूर्वक पूजा की जाती है. सुपात्र ब्रह्मणों को दान दिया जाता है और गरुड़ की भी पूजा की जाती है. इस दिन दान का बहुत ही विशेष महत्व है. सुपात्र व्यक्तियों को दान देने से भगवान का अनुग्रह मिलता है. ऐसी मान्यता है कि देव पितृ, ऋषि पितृ, यम पितृ, भूत पितृ सहित सभी ज्ञात अज्ञात पितरों को मुक्ति और मोक्ष मिल जाता है.

रायपुर: इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) का शुभ पर्व अश्लेषा नक्षत्र, कर्क राशि और सिद्धि योग के संयोग में 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा. यह एकादशी बहुत ही विशिष्ट मानी गई है. क्योंकि कृष्ण पक्ष में इंदिरा एकादशी पर्व पितृपक्ष में पड़ता है. एकादशी व्रत (Ekadashi VRAT) को करने से पितृों को मुक्ति और मोक्ष प्राप्त होता है. सभी पितृगण इस एकादशी के व्रत के प्रभाव से मुक्ति को प्राप्त होते हैं. इस दिन शालीग्राम, विष्णु भगवान और लक्ष्मी का पूजा की जाती है.

इंदिरा एकादशी का पर्व

इंदिरा एकादशी 2021 शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 01 अक्टूबर, शुक्रवार को रात 1 बजकर 03 मिनट से शुरू होगी. एकादशी तिथि का समापन 02 अक्टूबर, शनिवार को रात 11 बजकर 10 मिनट पर होगा. इंदिरा एकादशी व्रत 02 अक्टूबर को रखा जाएगा.

इंदिरा एकादशी 2021 व्रत के पारण का समय

इंदिरा एकादशी का व्रत द्वादशी तिथि में होगा. व्रत पारण का शुभ समय 03 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 37 मिनट तक है.


पौराणिक मान्यता है कि इस दिन राजा इंद्रसेन (Raja Indrasen) को नारद मुनि ने इस व्रत कथा के बारे में विस्तारपूर्वक बताया था. तब से ही प्रेरित होकर राजा इंद्र सेन इस व्रत को जीवन पर्यंत करते रहे. मान्यता है कि राजा इंद्रसेन के पिता को कुछ समय के लिए यमलोक की प्राप्ति हुई थी. वहां पर उन्हें नारद मुनि ने देखा था और यह वृत्तांत राजा इंद्रसेन को बताया कि इंदिरा एकादशी का व्रत करने से उनके पिता को यमलोक से मुक्ति संभव है. जैसे ही यह सूचना राजा इंद्रसेन को मिली.

उन्होंने विधिपूर्वक इस व्रत का संकल्प लिया और आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को इस व्रत को पूरे विधि-विधान पूर्वक और उत्तम रीति से किया. परिणाम स्वरूप देवता प्रसन्न होकर उनके पिता को यमलोक से मुक्त कर देते हैं और बैकुंठ की ओर भेज देते हैं. तब से पितरों के मोक्ष के लिए इस व्रत का अनुष्ठान किया जाता है.

इंदिरा एकादशी महत्व

इस दिन शालिग्राम भगवान की विधान पूर्वक पूजा की जाती है. सुपात्र ब्रह्मणों को दान दिया जाता है और गरुड़ की भी पूजा की जाती है. इस दिन दान का बहुत ही विशेष महत्व है. सुपात्र व्यक्तियों को दान देने से भगवान का अनुग्रह मिलता है. ऐसी मान्यता है कि देव पितृ, ऋषि पितृ, यम पितृ, भूत पितृ सहित सभी ज्ञात अज्ञात पितरों को मुक्ति और मोक्ष मिल जाता है.

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